
Uday Kotak sells 2.83percent stake in Kotak Mahindra Bank for Rs 6,944 crore
नई दिल्ली। अरबपति बैंकर उदय कोटक ने कोटक महिंद्रा बैंक में प्रवर्तक समूह की 2.83 प्रतिशत हिस्सेदारी 6,944 करोड़ रुपए में बेची है। यह सौदा मंगलवार को पूरा हुआ। शेयरों की यह बिक्री खुले बाजार सौदों में की गई। इस बिक्री के बाद निजी क्षेत्र के कोटक महिंद्रा बैंक में उदय कोटक प्रवर्तक समूह की हिस्सेदारी 28.93 प्रतिशत से घटकर 26.10 प्रतिशत रह गई। यह रिजर्व बैंक के तय मानकों के अनुरूप होगी। बहरहाल, उदय कोटक को अब अगस्त मध्य तक रिजर्व बैंक नियमों का अनुपालन करने के लिए शेष 0.10 प्रतिशत और हिस्सेदारी बेचनी होगी।
रिजर्व बैंक ने उदय कोटक को बैंक में अपनी हिस्सेदारी को घटाकर 26 प्रतिशत पर लाने का आदेश दिया था। कोटक महिंद्रा बैंक ने इससे पहले सप्ताहांत में पात्र संस्थागत निवेशकों को शेयरों के नियोजन के जरिये 7,400 करोड़ रुपए जुटाए हैं। इस आवंटन के बाद बैंक में प्रवर्तक समूह की हिस्सेदारी एक प्रतिशत से कुछ अधिक घटकर 29.8 प्रतिशत रह गई थी। रिजर्व बैंक और कोटक के बीच इस साल की शुरुआत में एक समझौता हुआ था। इसके तहत प्रवर्तक की हिस्सेदारी कोटक बैंक में अगस्त तक 26 प्रतिशत पर लाई जानी है।
बाजार सूत्रों के अनुसार कोटक बैंक के शेयरों को 1,215 से लेकर 1,240 रुपए प्रति शेयर के मूल्य दायरे के शीर्ष मूल्य पर बेचा गया। नियम के मुताबिक शेयर बिक्री पिछले दिन के बंद भाव के मुकाबले एक प्रतिशत से कम भाव पर नहीं होनी चाहिए। इस लिहाज से भाव 1,236 रुपए प्रति शेयर बन रहा था, लेकिन बैंक ने यह बिक्री 1,240 रुपए प्रति शेयर पर की। कोटक महिंद्रा बैंक के शेयरों को खरीदने वाले निवेशकों में दि रिजंट्स आफ दि यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, ओपनहेइमर डेवलपिंग मार्किट फंड, जेपी मोर्गन सिक्यूरिटीज, एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट फंड्स, फीडेलिटी फंड्स- एमर्जिंग मार्किट फंड, सोसायटी जनरेले केनोडा और मोर्गन स्टेनली एशिया सिंगापुर आदि शामिल हैं।
इनके साथ ही एसबीआई म्यूचुअल फंड, आदित्य बिडला सन लाइफ म्यूचुल फंड, आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी और निपॉन इंडिया म्यूचुअल फंड ने भी इन शेयरों की खरीदारी की है। अरबपति कारोबारी उदय कोटक और रिजर्व बैंक के बीच हिस्सेदारी कम करने का मुद्दा काफी लंबे समय से चल रहा था। कोटक महिंद्रा बैंक में उदय कोटक की तय मानकों से अधिक हिस्सेदारी को लेकर रिजर्व बैंक ने आदेश दिया था, जिसके अनुपालन में काफी खींचतान हुई।