
अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की यूनिट रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर ने ग्लोबल मार्केट के लिए भारत में फाल्कन 2000 बिजनेस एग्जीक्यूटिव जेट बनाने के लिए फ्रांस की दिग्गज कंपनी दसॉल्ट एविएशन के साथ रणनीतिक साझेदारी की है। दोनों कंपनियों ने बुधवार को पेरिस एयरशो के दौरान ये घोषणा की। ये साझेदारी भारत की एयरोनॉटिक्स सेक्टर में विनिर्माण क्षमताओं को आगे बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। दसॉल्ट एविएशन ने कहा कि वो पहली बार फ्रांस के बाहर फाल्कन 2000 जेट की मैन्यूफैक्चरिंग करेगी।
कहां स्थापित होगी असेंबली लाइन
फाल्कन 2000 जेट के लिए अत्याधुनिक असेंबली लाइन महाराष्ट्र के नागपुर में स्थापित की जाएगी। ये भारतीय एयरोनॉटिक्स और मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री के लिए महत्वपूर्ण है। इस ऐतिहासिक समझौते से भारत के लिए अमेरिका, फ्रांस, कनाडा और ब्राजील के साथ अगली जनरेशन के बिजनेस जेट बनाने वाले देशों के क्लब में शामिल होने का रास्ता साफ हुआ है। दसां एविएशन और रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर (DRAL) के बीच जॉइंट वेंचर की स्थापना 2017 में हुई थी और इसने 2017 में ही नागपुर के मिहान में मॉडर्न मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट की स्थापना के साथ ऑपरेशन शुरू किया था।
फ्रांस के बाहर होगा पहला उत्कृष्टता केंद्र
जॉइंट वेंचर एविएशन के लिए फाल्कन 6X और फाल्कन 8X असेंबली प्रोग्राम सहित फाल्कन सीरीज के लिए उत्कृष्टता केंद्र (COE) भी बन जाएगा। ये फ्रांस के बाहर पहला ऐसा उत्कृष्टता केंद्र होगा। दसां एविएशन के चेयरमैन और सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कहा, ‘‘ये नया समझौता एक बार फिर हमारी 'मेक इन इंडिया' प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और ग्लोबल एयरोनॉटिक्स सप्लाई चेन में भारत को एक प्रमुख भागीदार के रूप में मान्यता दिलाने में योगदान देने के हमारे मजबूत इरादे को बताता है। ये समझौता जॉइंट वेंचर को फ्रांस के बाहर फाल्कन असेंबली के लिए पहला उत्कृष्टता केंद्र बनाएगा। ये अंततः फाल्कन 2000 के लिए अंतिम असेंबली लाइन की स्थापना को सक्षम बनाएगा।’’
दसॉल्ट के साथ पार्टनरशिप को लेकर क्या बोले अनिल अंबानी
रिलायंस समूह के संस्थापक चेयरमैन अनिल अंबानी ने कहा, ‘‘दसां एविएशन के साथ हमारी साझेदारी रिलायंस ग्रुप की यात्रा में मील का पत्थर है, क्योंकि हम ग्लोबल एयरोनॉटिक्स सप्लाई चेन में भारत को एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में मजबूती से स्थापित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।’’ बयान के अनुसार, असेंबली संचालन के हस्तांतरण के साथ-साथ कारखाने को अत्याधुनिक बनाने से 2028 तक भारत से ‘मेड इन इंडिया’ फाल्कन 2000 की पहली उड़ान का रास्ता साफ होगा। नई अंतिम असेंबली लाइन भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ती मांग को पूरा करेगी।