Saturday, December 14, 2024
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₹20,000 करोड़ के बैंक लोन हेराफेरी मामले में ED की इन शहरों में ताबड़तोड़ छापेमारी, जानें पूरा मामला

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा एमटेक सूमह की एसीआईएल लिमिटेड कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बाद ईडी इस मामले में धनशोधन की जांच कर रही है। इस धोखाधड़ी से सरकारी खजाने को लगभग 10,000-15,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Jun 20, 2024 14:40 IST, Updated : Jun 20, 2024 14:44 IST
सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले की ईडी से जांच की बात कही है।- India TV Paisa
Photo:FILE सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले की ईडी से जांच की बात कही है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को एक कंपनी और उसके प्रमोटर के खिलाफ धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र -दिल्ली, मुंबई और नागपुर में करीब 35 परिसरों में छापेमारी की। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि कंपनी और उसके प्रमोटर के खिलाफ 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक लोन की हेराफेरी करने का आरोप है। भाषा की खबर के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि एमटेक समूह और इसके निदेशकों- अरविंद धाम, गौतम मल्होत्रा ​​और अन्य के खिलाफ छापेमारी की जा रही है। इतनी बड़ी राशि के स्कैम मामले में ईडी काफी सक्रिय हो गई है। उम्मीद की जा रही है, जल्द ही ईडी को इसमें बड़ी सफलता मिलेगी।

एसीआईएल लिमिटेड कंपनी के खिलाफ जांच

खबर के मुताबिक, दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, मुंबई और नागपुर में गुरुवार सुबह से करीब 35 व्यावसायिक और आवासीय परिसरों पर छापेमारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा एमटेक सूमह की एसीआईएल लिमिटेड कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बाद ईडी इस मामले में धनशोधन की जांच कर रही है। सीबीआई की प्राथमिकी में कई सूचीबद्ध कंपनियों पर 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक ऋण की धोखाधड़ी करने का आरोप है।

सरकारी खजाने को ₹10,000-15,000 करोड़ का नुकसान

सूत्रों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले की प्रवर्तन निदेशालय से जांच की बात कही है। सूत्रों ने कहा कि ईडी के अनुसार इस धोखाधड़ी से सरकारी खजाने को लगभग 10,000-15,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। ईडी का मानना ​​है कि बैंक से ली गई कर्ज राशि को रियल एस्टेट, विदेशी निवेश और नए उद्यमों में लगाया गया। सूत्रों ने बताया कि अधिक लोन हासिल करने के लिए समूह की कंपनियों में फर्जी बिक्री, पूंजीगत संपत्ति, देनदारी और लाभ दिखाया गया ताकि इसे गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) का तमगा न मिले।

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