Friday, December 13, 2024
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  4. भारत पर दिखने लगा वैश्विक मंदी का असर, वस्तु निर्यात घटने का अंदेशा, कंपनियों के सौदे 87% तक घटे

जर्मनी और ब्रिटेन की बदहाली से भारत को भी लगा झटका, दिखने लगा वैश्विक मंदी का असर

दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाएं आर्थिक मंदी की चपेट में हैं। यूरोप में ब्रिटेन के बाद जर्मनी की अर्थव्यवस्था भी दरक रही है, अमेरिका के हालात भी अच्छे नहीं हैं। इसका असर भारत पर निर्यात के मोर्चे पर दिखाई दे रहा है।

Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published : Jun 13, 2023 7:08 IST, Updated : Jun 13, 2023 7:10 IST
Indian Export- India TV Paisa
Photo:FILE Indian Export

रूस यूक्रेन युद्ध, महंगाई और छंटनी जैसे संकटों के बीच दुनिया की सबसे मजबूत मानी जाने वाली यूरोपियन अर्थव्यव्यवस्था मंदी (Recession) की चपेट में जा रही है। महंगी गैस के चलते जर्मनी (Germany Recession) जैसी यूरोप की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था मंदी में चली गई है। ब्रिटेन (UK Economic Crisis) पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रहा है। अमेरिका (USA) में भी हालात अच्छे नहीं है और महंगाई को थामने के लिए वहां का सेंट्रल बैंक (US Fed) करीब 1 साल से मंदी को आमंत्रित कर रहा है। इस वैश्विक संकट और घटती मांग का असर भारत पर भी पड़ने का अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है। 

ग्लोबल मंदी से घटेगा भारत का निर्यात 

भारतीय निर्यात-आयात (एक्जिम) बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में देश से वस्तुओं का निर्यात घटकर 111.7 अरब डॉलर रहेगा। एक्जिम बैंक ने कहा कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं के चलते देश के निर्यात में पहली तिमाही में गिरावट आने की आशंका है। एक्जिम बैंक ने कहा, ‘‘आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं सहित चुनिंदा प्रमुख व्यापारिक भागीदार देशों में लगातार जारी सुस्ती से देश का निर्यात प्रभावित होगा।’’ आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वस्तुओं का निर्यात 116.7 अरब डॉलर रहा था। 

गैर तेल निर्यात 86 अरब डॉलर रहेगा! 

निर्यात को वित्तपोषित करने वाले बैंक ने कहा कि पहली तिमाही में गैर-तेल निर्यात 86.6 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। उसने कहा कि चुनौतीपूर्ण वैश्विक आर्थिक स्थिति के बावजूद देश का निर्यात मजबूत बना हुआ है। आपूर्ति श्रृंखला की दिक्कतों तथा भू-राजनीतिक तनाव के बाद भी 2021-22 की दूसरी तिमाही से निर्यात का आंकड़ा लगातार 100 अरब डॉलर से ऊपर बना हुआ है।

भारतीय कंपनियों की डील्स 87 प्रतिशत घटीं

भारतीय कंपनियों की सौदा गतिविधियां मई में मूल्य के लिहाज से 87 प्रतिशत की बड़ी गिरावट के साथ 4.6 अरब डॉलर की रह गईं जबकि संख्या के हिसाब से इस अवधि में सौदे 45 प्रतिशत घटकर 106 रह गए। उद्योग की एक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। इस तरह की कारोबारी गतिविधियों पर निगरानी रखने वाली फर्म ग्रांट थॉर्नटन की सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया कि मई, 2022 में 31.5 अरब डॉलर के चार बड़े यानी कई अरब डॉलर के सौदे हुए। वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल के बाद घरेलू बाजार में भी सौदा गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। ग्रांट थॉर्नटन के भागीदार शांति विजेता ने कहा कि मुख्य रूप से वैश्विक बैंकिंग क्षेत्र और बढ़ती ब्याज दरों की वजह से वैश्विक बाजार प्रभावित हुए हैं जिसका असर देश में सौदा गतिविधियों पर पड़ा है। 

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