दिवाली के बाद सोने के बाजार में बड़ा झटका देखने को मिला है। कुछ ही दिनों पहले जहां सोना अपने अब तक के रिकॉर्ड लेवल 1.32 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया था, वहीं अब यह 1.28 लाख के आसपास ट्रेड कर रहा है. यानी करीब 4000 रुपये (3%) की भारी गिरावट। यह गिरावट निवेशकों और ग्राहकों दोनों के लिए चौंकाने वाली है। ऐसे में अब सबके मन में सवाल यह उठता है कि क्या अब सोना सस्ता मिल रहा है और खरीदारी का यह सही वक्त है या यह गिरावट आगे और जारी रहने वाली है?
दिवाली और छठ जैसे बड़े त्योहारों के बीच सोने की कीमतों में यह उतार-चढ़ाव कई निवेशकों को उलझन में डाल रहा है। ऐसे में फाइनेंशियल एक्सपर्ट और Fiscal Forum के फाउंडर अरिहंत मेहता ने बताया कि इस गिरावट को लेकर घबराने की नहीं, बल्कि समझदारी से कदम उठाने की जरूरत है।
सोने में आई गिरावट क्यों?
अरिहंत मेहता ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में मंगलवार को 5% से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई, जो पिछले पांच सालों में सबसे बड़ी सिंगल-डे सेलऑफ मानी जा रही है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, स्पॉट गोल्ड $4381 प्रति औंस के रिकॉर्ड लेवल से गिरकर $4109.19 तक आ गया है। अरिहंत बताते हैं कि यह गिरावट किसी बड़े संकट का संकेत नहीं है, बल्कि यह प्रॉफिट बुकिंग और मार्केट करेक्शन का नतीजा है। जब कोई एसेट लगातार ऊपर जाता है, तो निवेशक मुनाफा निकालने लगते हैं। सोने में भी यही हुआ है। उन्होंने कहा कि सालभर में करीब 60% रिटर्न मिलने के बाद, निवेशक स्वाभाविक रूप से प्रॉफिट बुक कर रहे हैं।
यह सिर्फ शॉर्ट-टर्म करेक्शन है या लंबी गिरावट की शुरुआत?
अरिहंत मेहता के मुताबिक, यह गिरावट शॉर्ट-टर्म करेक्शन जैसी दिख रही है, न कि किसी लंबे डाउनट्रेंड की शुरुआत। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में गोल्ड ने बहुत तेजी दिखाई थी, जिसकी वजह से वैल्यूएशन हाई लेवल पर पहुंच गए थे। अब कीमतों में थोड़ी ठंडक आना स्वाभाविक है। जब तक वैश्विक आर्थिक या भू-राजनीतिक स्थिति में कोई बड़ा बदलाव नहीं होता, सोने में यह गिरावट अस्थायी है।
सोने के दाम गिरने की बड़ी वजहें
सोने की कीमतों पर असर डालने वाले कई ग्लोबल और डोमेस्टिक फैक्टर एक साथ काम कर रहे हैं। अरिहंत मेहता के मुताबिक, गिरावट की मुख्य वजहें ये हैं:
- डॉलर की मजबूती: अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में मजबूती आई है, जिससे गोल्ड कमजोर हुआ है।
- बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी: अमेरिकी बॉन्ड यील्ड बढ़ने से निवेशकों को ब्याज देने वाले इंस्ट्रूमेंट ज्यादा आकर्षक लगते हैं, जिससे गोल्ड से पैसा निकलता है।
- भू-राजनीतिक तनावों में कमी: हाल में कुछ ग्लोबल कॉन्फ्लिक्ट्स में स्थिति स्थिर हुई है, जिससे सेफ हेवन की डिमांड घटी है।
- रुपये की मजबूती: डॉलर के मुकाबले रुपये में हल्की मजबूती आई है, जिससे इंपोर्टेड गोल्ड सस्ता हुआ है।
- प्रॉफिट बुकिंग: भारी रिटर्न के बाद ट्रेडर्स और फंड्स ने मुनाफा निकालना शुरू किया है।
निवेशक अब क्या करें- खरीदें या रुकें?
अरिहंत मेहता कहते हैं कि अगर आप गोल्ड में निवेश करना चाहते हैं, तो यह डिप आपके लिए धीरे-धीरे खरीदारी शुरू करने का सही मौका हो सकता है। लेकिन यह गलती न करें कि पूरा पैसा एक साथ लगा दें। उनका सुझाव है कि गोल्ड ETF या डिजिटल गोल्ड में SIP के जरिए निवेश करना बेहतर रहेगा। उन्होंने कहा कि जब आप हर महीने थोड़ा-थोड़ा निवेश करते हैं, तो औसत खरीदारी कीमत संतुलित रहती है। अगर दाम और गिरते हैं, तो आप सस्ते भाव में और गोल्ड खरीद पाएंगे।
क्या सोना फिर रिकॉर्ड हाई छूएगा?
इस सवाल पर अरिहंत ने कहा कि शॉर्ट-टर्म में सोना 1.18 लाख से 1.25 लाख रुपये के दायरे में रह सकता है। लेकिन मीडियम-टर्म में रिकवरी की उम्मीद बनी हुई है। अगर अमेरिकी सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में कटौती करता है या वैश्विक तनाव बढ़ते हैं, तो सोना दोबारा नई ऊंचाई छू सकता है। उन्होंने कहा कि जो लोग हाल में सोने में निवेश कर चुके हैं, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। गोल्ड लॉन्ग-टर्म स्टेबिलिटी देने वाला एसेट है, क्विक प्रॉफिट देने वाला नहीं। इसलिए अगर आपका निवेश प्लान 1-2 साल से ज्यादा का है, तो यह गिरावट सिर्फ एक शॉर्ट ब्रेक है।
भारतीय रिटेल निवेशकों के लिए सलाह
जो लोग हाल में गोल्ड ETF या डिजिटल गोल्ड में निवेश कर चुके हैं, उनके लिए अरिहंत मेहता की सलाह है कि अपनी पोजीशन बनाए रखें। गिरावट के समय में घबराकर बेचने से नुकसान हो सकता है। बल्कि, जिनके पास लिक्विड फंड है, वे इस मौके का फायदा उठाकर धीरे-धीरे और खरीदारी करें। उन्होंने कहा कि फिजिकल गोल्ड को निवेश के बजाय ज्वेलरी उपयोग तक सीमित रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि फिजिकल गोल्ड में मेकिंग चार्ज, प्यूरिटी और स्टोरेज का झंझट होता है। निवेश के लिहाज से Sovereign Gold Bonds (SGBs) और Gold ETFs ज्यादा बेहतर ऑप्शन हैं। ये सुरक्षित हैं, ब्याज भी देते हैं और टैक्स बेनेफिट भी मिलता है।
पोर्टफोलियो में गोल्ड की कितनी हिस्सेदारी होनी चाहिए?
अरिहंत मेहता के अनुसार, हर निवेशक को अपने पोर्टफोलियो का 10-15% हिस्सा गोल्ड में जरूर रखना चाहिए। यह आपकी निवेश यात्रा में बैलेंस बनाकर रखता है। जब मार्केट में गिरावट होती है, तो गोल्ड का प्रदर्शन अच्छा रहता है और यह बाकी नुकसान की भरपाई करता है।
Disclaimer: यह न्यूज सिर्फ जानकारी के लिए है। निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह जरूर लें।





































