
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फिनटेक (फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी) कंपनियों से डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्रॉड जैसी घटनाओं को रोकने के लिए या उनसे निपटने के लिए सॉल्यूशन ढूंढने के लिए कहा है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि स्टार्टअप कंपनियां समाधान लेकर आएं ताकि लोगों को घर पर डिजिटल रूप से गिरफ्तार न किया जाए या रातों-रात ऑपरेटर्स उनका पैसा न हड़प लें।
डीपफेक तकनीक को भी बड़ा खतरा बताया
खबर के मुताबिक, सीतारमण ने कहा कि एक और बड़ा खतरा डीपफेक तकनीक भी है, जो बड़े पैमाने पर जनता को बहुत नुकसान पहुंचा रही है। आज, हमें इनसे निपटने में सावधानी बरतनी चाहिए, इसलिए हमें फिनटेक कंपनियों के एक समूह की आवश्यकता है जो लगातार नई चुनौतियों के लिए समाधान देने के लिए काम कर रही हैं। वित्त मंत्री ने वित्तीय समावेशन में तेजी लाने और पेमेंट सिस्टम को देश के दूर-दराज के क्षेत्रों तक ले जाने में मदद करने के लिए फिनटेक को क्रेडिट दिया। वित्त मंत्री ने फिनटेक क्षेत्र से प्रमुख एमएसएमई क्षेत्र में डिजिटल लोन सुविधाओं का और विस्तार करने का भी आह्वान किया।
भारतीय फिनटेक इनोवेशन में है काफी क्षमता
वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय फिनटेक इनोवेशन में वैश्विक सार्वजनिक वस्तु बनने की क्षमता है, जिससे दूसरी उभरती और विकसित अर्थव्यवस्थाओं को लाभ मिल सकता है। इससे भारतीय फर्मों के लिए नए बाजार खुलेंगे। आज यूपीआई के जरिये अंतर्राष्ट्रीय व्यापारी भुगतान अब सात देशों - भूटान, फ्रांस, मॉरीशस, नेपाल, सिंगापुर, श्रीलंका और यूएई में चुनिंदा व्यापारी आउटलेट पर स्वीकार किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे प्लेयर्स को अपने सफल मॉडलों को विदेशों में निर्यात करने और वैश्विक बाजारों पर कब्जा करने का लक्ष्य रखना चाहिए।
हमारे पास प्रतिभा है, हमारे पास बाजार का पैमाना है और हमारे पास सिद्ध समाधान हैं। इससे घरेलू फर्मों के लिए नए बाजार खुलेंगे।
भारतीय फिनटेक में काफी संभावनाएं
सीतारमण ने कहा कि भारतीय फिनटेक बाजार के 2028-29 तक 400 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक तक बढ़ने का अनुमान है। यह बहुत दूर नहीं है। सिर्फ तीन साल। 30 प्रतिशत की अनुमानित सालाना ग्रोथ को देखते हुए, अवसर का पैमाना बहुत बड़ा है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि इसके सर्वश्रेष्ठ अध्याय अभी लिखे जाने बाकी हैं। 2014 से डीबीटी के माध्यम से लगभग 44 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं और 3. 48 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है।