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वैश्विक मंदी के बीच भारत एशिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में रहेगा, कारण ये रहा

जब दुनिया मंदी के चपेट में होगी तब भारत विकास की नई लकीर खींच रहा होगा। दुनिया भारत को सलाम ठोकेगी, क्योंकि भारत अकेला ऐसा देश होगा जो वैश्विक मंदी के बीच पूरे एशिया में सबसे तेज तरक्की करेगा।

Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published : Nov 22, 2022 23:49 IST, Updated : Nov 22, 2022 23:49 IST
भारत एशिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में - India TV Paisa
Photo:INDIA TV भारत एशिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में

India on Recession: वैश्विक स्तर पर मंदी के बीच भारत चालू वित्त वर्ष में 6.6 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर के साथ एशिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक रहेगा। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने अपनी ताजा ‘आर्थिक परिदृश्य’ के रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक मांग में गिरावट और महंगाई को काबू में करने के लिए आक्रामक मौद्रिक नीति के बावजूद भारत 2022-23 में सऊदी अरब से एक स्थान पीछे जी20 देशों में दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है। 

इन देशों की तुलना में तेज विकास

निर्यात और घरेलू मांग में वृद्धि के नरम होने के कारण वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि धीमी होकर 5.7 प्रतिशत रह जाएगी। हालांकि, यह तब भी चीन और सऊदी अरब समेत कई अन्य जी20 अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ रही है। वित्त वर्ष 2022-23 में 6.6 प्रतिशत की दर से बढ़ने के बाद अर्थव्यवस्था आने वाली तिमाहियों में धीमी हो जायेगी और 2023-24 में यह 5.7 प्रतिशत तथा 2024-25 में सात प्रतिशत पर पहुंचेगी।

एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में होगा भारत का नाम

ओईसीडी ने कहा है कि 2023 में आर्थिक वृद्धि एशिया के प्रमुख उभरते बाजारों पर दृढ़ता से निर्भर है। इनका अगले साल वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में करीब तीन-चौथाई हिस्सा होगा जबकि यूरोप और अमेरिका का योगदान घटेगा। ओईसीडी का अनुमान है कि यदि वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी से बचती है, तो इसमें एशिया की कुछ सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं जैसे भारत का बहुत बड़ा हाथ होगा। वैश्विक अर्थव्यवस्था के इस वर्ष 3.1 प्रतिशत और 2023 में केवल 2.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।

भारत में मंदी की ऐसी कोई आशंका नहीं 

कुमार ने कहा कि अमेरिका, यूरोप, जापान और चीन की अर्थव्यवस्थाएं नीचे आ रही हैं। ऐसे में यह स्थिति आने वाले महीनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर ले जा सकती है। उन्होंने कहा कि अच्छी बात यह है कि भारत में मंदी की ऐसी कोई आशंका नहीं है, क्योंकि भले ही हमारी वृद्धि वैश्विक परिस्थितियों से नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकती है, इसके बावजूद 2023-24 में हम 6-7 प्रतिशत की दर वृद्धि दर्ज करने में सफल रहेंगे। विश्व बैंक ने छह अक्टूबर को बिगड़ती अंतरराष्ट्रीय स्थिति का हवाला देते हुए 2022-23 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है। जून, 2022 में उसने भारतीय अर्थव्यवस्था के 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया था। वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। 

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