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RBI का बड़ा फैसला: ऐसे लोन पर अब नहीं देना होगा प्री-पेमेंट चार्ज, इस तारीख से नया नियम लागू

आरबीआई ने जारी एक सर्कुलर में कहा कि सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (एमएसई) के लिए आसान और किफायती फाइनेंस की उपलब्धता सबसे अहम है।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Jul 03, 2025 06:48 am IST, Updated : Jul 03, 2025 06:48 am IST
आरबीआई ने एक सर्कुलर जारी किया है।- India TV Paisa
Photo:PTI आरबीआई ने एक सर्कुलर जारी किया है।

केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई ने बैंकों और एनबीएफसी सहित अन्य कर्जदाताओं को निर्देश देते हुए कहा है कि वे व्यक्तियों और सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (एमएसई) द्वारा लिए गए फ्लोटिंग रेट लोन और एडवांस जिनमें कारोबारी मकसद भी है, उनसे कोई प्री-पेमेंट चार्ज यानी पूर्व-भुगतान शुल्क न वसूलें। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से बीते बुधवार को जारी यह निर्देश 1 जनवरी 2026 को या इसके बाद अप्रूव या रिन्युअल किए सभी लोन और ए़डवांस पर लागू होंगे।

आरबीआई ने जारी एक सर्कुलर में क्या कहा

खबर के मुताबिक, आरबीआई ने जारी एक सर्कुलर में कहा कि सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (एमएसई) के लिए आसान और किफायती फाइनेंस की उपलब्धता सबसे अहम है। हालांकि, रिजर्व बैंक की पर्यवेक्षी समीक्षाओं ने एमएसई को अप्रूव लोन के मामले में पूर्व-भुगतान शुल्क लगाने के संबंध में विनियमित संस्थाओं (आरई) के बीच अलग प्रथाओं का संकेत दिया है, जिससे ग्राहकों की शिकायतें और विवाद होते हैं। केंद्रीय बैंक ने भारतीय रिजर्व बैंक (ऋणों पर पूर्व-भुगतान शुल्क) निर्देश, 2025 जारी किए हैं।

किन बैंकों के लिए क्या है निर्देश 

आरबीआई ने कहा है कि व्यक्तियों और एमएसई को व्यावसायिक उद्देश्य के लिए दिए गए सभी लोन के लिए, सह-दायित्वकर्ताओं के साथ या उनके बिना, एक कॉमर्शियल बैंक (लघु वित्त बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और स्थानीय क्षेत्र बैंक को छोड़कर), एक टियर 4 प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक, एक एनबीएफसी-यूएल और एक अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान कोई पूर्व-भुगतान शुल्क नहीं लगाएंगे। साथ ही इसमें कहा गया है कि व्यक्तियों को व्यवसाय के अलावा दूसरे मकसदों के लिए दिए गए सभी कर्ज के लिए, सह-दायित्वकर्ताओं के साथ या उनके बिना, एक विनियमित इकाई (आरई) पूर्व-भुगतान शुल्क नहीं लगाएगी।

इन बैंकों के लिए तय है लिमिट

लघु वित्त बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, टियर 3 प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैंक, केंद्रीय सहकारी बैंक और एनबीएफसीएमएल 50 लाख रुपये तक की स्वीकृत राशि/सीमा वाले ऋणों पर कोई पूर्व-भुगतान शुल्क नहीं लगाएंगे। आरबीआई ने यह भी कहा कि ये मानदंड लोन के पूर्व-भुगतान के लिए उपयोग किए जाने वाले धन के स्रोत की परवाह किए बिना लागू होंगे, चाहे आंशिक रूप से या पूर्ण रूप से, और बिना किसी न्यूनतम लॉक-इन अवधि के। 

कैश लोन/ओवरड्राफ्ट सुविधाओं के मामले में अगर उधारकर्ता लोन एग्रीमेंट में तय अवधि से पहले सुविधा को रिन्युअल नहीं करने के अपने इरादे के बारे में आरई को सूचित करता है, तो कोई पूर्व-भुगतान शुल्क लागू नहीं होगा, बशर्ते कि सुविधा नियत तारीख पर बंद हो जाए।

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