Friday, December 26, 2025
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रसातल में पहुंचा रुपया, 1 डॉलर की कीमत ₹87 के पार, अब जानें आप पर क्या होगा असर?

रुपये में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगातार गिरावट है। सोमवार को यह अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। आज रुपया टूटर 87.29 पर पहुंच गया है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Feb 03, 2025 11:32 am IST, Updated : Feb 03, 2025 11:39 am IST
Falling Rupee - India TV Paisa
Photo:FILE टूटता रुपया

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया टूटकर रसातल में पहुंच गया है।  सोमवार को शुरुआती कारोबार में रुपया 67 पैसे टूटकर 87.29 प्रति डॉलर के ऑल टाइम लो पर पहुंच गया। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कनाडा, मेक्सिको और चीन पर शुल्क लगाने संबंधी आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद ट्रेड वॉर शुरू होने की खबर के बाद भारतीय रुपये में यह भारी गिरावट आई है। गौरतलब है कि अमेरिका के ट्रंप ने मेक्सिको, कनाडा और चीन से आयात होने वाली वस्तुओं पर कड़े शुल्क लगाने संबंधी एक आदेश पर गत शनिवार को हस्ताक्षर किए जिसके तत्काल बाद देश के उत्तरी अमेरिकी पड़ोसियों की जवाबी कार्रवाई से ट्रेड वॉर की आशंका प्रबल हो गई है। 

पहली बार रुपया 87 के पार पहुंचा 

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 87.00 प्रति डॉलर पर खुला और शुरुआती सौदों के बाद 67 पैसे की गिरावट के साथ डॉलर के मुकाबले 87.29 पर आ गया। रुपया शुक्रवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 86.62 पर बंद हुआ था। इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 1.30 प्रतिशत की बढ़त के साथ 109.77 पर रहा। अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.71 प्रतिशत चढ़कर 76.21 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) शनिवार को बिकवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 1,327.09 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। 

ट्रेड वॉर एक विनाशकारी कदम 

करेंसी एक्सपर्ट का कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको पर 25 प्रतिशत तथा चीन पर 10 प्रतिशत शुल्क लगाया है। यह कदम विनाशकारी वैश्विक व्यापार युद्ध की ओर पहला कदम है। उन्होंने बताया कि विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी तथा तेल आयातकों की ओर से डॉलर की निरंतर मांग के कारण विदेशी बाजारों में अमेरिकी मुद्रा की व्यापक मजबूती से रुपये पर दबाव जारी रहा। 

रुपया क्यों टूट रहा, समझें 

विदेशी मुद्रा बाजार में किसी भी मुद्रा की कीमत करेंसी की मांग और उसकी आपूर्ति पर निर्भर करतीहै। यह उसी तरह है जैसे बाजार में किसी सामान की कीमत निर्धारित होती है। जब किसी सामान की मांग बढ़ती है, जबकि उसकी सप्लाई स्थिर रहती है, तो इससे उपलब्ध आपूर्ति को सीमित करने के लिए उत्पाद की कीमत बढ़ जाती है। दूसरी ओर, जब किसी उत्पाद की मांग गिरती है जबकि उसकी आपूर्ति स्थिर रहती है, तो इससे विक्रेताओं को पर्याप्त खरीदारों को आकर्षित करने के लिए उत्पाद की कीमत कम करनी पड़ती है। वस्तु बाजार और विदेशी मुद्रा बाजार के बीच एकमात्र अंतर यह है कि विदेशी मुद्रा बाजार में वस्तुओं के बजाय मुद्राओं के साथ ट्रेड किया जाता है। इस समय दुनियाभर के बाजार में डॉलर की मांग अधिक है। इसके चलते डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है। डॉलर मजबूत होने से रुपया कमजोर हो रहा है। इसे आप टूटना भी कह सकते हैं। 

FPI की बिकवाली से रुपये पर बढ़ा दबाव

रुपये पर दबाव विदेशी निवेशक भी बढ़ा रहे हैं। विदेशी निवेशक लगातार भारतीय मार्केट से पैसा निकाल रहे हैं। इससे रुपये पर दबाव पड़ा है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम हो रहा है। वैश्विक निवेशक विभिन्न देशों में अपने निवेश को इधर-उधर कर रहे हैं, क्योंकि केंद्रीय बैंक अपनी मौद्रिक नीतियों को अलग-अलग स्तरों पर पुनर्गठित कर रहे हैं। इसके अलावा अमेरिकी डॉलर इंडेक्स लगातार मजबूत हो रहा है। छह मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत को मापने वाला डॉलर इंडेक्स बढ़कर 109.01 पर पहुंच गया है। 10 साल के अमेरिकी बॉन्ड पर भी यील्ड बढ़कर अप्रैल 2024 के स्तर 4.69 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसका असर भी भारतीय रुपये पर देखने को मिल रहा है। इससे रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। 

रुपया टूटने का आप पर क्या होगा असर?

रुपया टूटने का असर भारतीय अर्थव्यवस्था, आम जनता और बिजनेस जगत पर होना शुरू हो गया है। रुपये में कमजोरी आने से विदेशों से आयत करना महंगा हो जाता है। इसके चलते जरूरी सामानों की कीमत बढ़ जाती है। यानी महंगाई का बोझ आप पर बढ़ेगा। उदाहरण के लिए, आयातक को अक्टूबर में 1 डॉलर के लिए 83 रुपये चुकाने पड़ते थे, लेकिन अब 87.29 रुपये खर्च करने होंगे। भारत बड़े पैमाने पर कच्चे तेल का आयात करता है। डॉलर की मजबूती से कच्चे तेल का आयात करना महंगा होगा। रुपये के कमजोर होने से विदेशी निवेशक शेयर बाजार से पैसा निकालते हैं। इसका असर दिखाई दे रहा है। रुपया टूटने से विदेश यात्रा या विदेश में पढ़ाई का बजट बढ़ेगा। 

वहीं, रुपये के कमजोर होने से भारत के निर्यातकों को फायदा होता है, क्योंकि उनके उत्पाद विदेशी बाजार में सस्ते हो जाते हैं। हालांकि, ओवरॉल रुपया टूटना सही नहीं है। इससे व्यापार घाटा बढ़ेगा। 

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