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विदेशी निवेशकों की आड़ में मनमानी पर लगाम की तैयारी में सेबी, डिस्क्लोजर नियम सख्त करने को लेकर मांगी राय

अपने परामर्श पत्र में नियामक ने उच्च जोखिम वाले ऐसे एफपीआई से बारीकी से जानकारी प्राप्त करने का प्रस्ताव किया है जिनका निवेश किसी एक कंपनी में केंद्रित हैं।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : May 31, 2023 14:22 IST, Updated : May 31, 2023 14:22 IST
सेबी- India TV Paisa
Photo:FILE सेबी

भारतीय पूंजी बाजार नियामक सेबी ने ऊंचे जोखिम वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की ओर से अतिरिक्त खुलासे को अनिवार्य करने का प्रस्ताव किया है। इससे न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) की जरूरत को लेकर किसी तरह की कोताही से बचा जा सकेगा। नियामक के संज्ञान में आया है कि कुछ विदेशी निवेशकों ने अपने इक्विटी पोर्टफोलियो का एक बड़ा हिस्सा एक कंपनी में निवेश किया है। कुछ मामलों में तो यह निवेश लंबे समय से कायम और बना हुआ है। इसस स्थिति से उपजने वाले खतरों को भांपते हुए सेबी ने कहा, ‘‘इस तरह के केंद्रित निवेश से यह आशंका बन रही है कि ऐसे कॉरपोरेट समूहों के प्रवर्तक या अन्य निवेशक न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता जैसी नियामकीय आवश्यकताओं को दरकिनार करने के लिए एफपीआई मार्ग का उपयोग कर रहे हैं।’’ 

डिस्क्लोजर नियम सख्त करने का प्रस्ताव 

अपने परामर्श पत्र में नियामक ने उच्च जोखिम वाले ऐसे एफपीआई से बारीकी से जानकारी प्राप्त करने का प्रस्ताव किया है जिनका निवेश एकल कंपनियों या कारोबारी समूहों में केंद्रित हैं। प्रस्ताव के तहत ऐसे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को स्वामित्व, आर्थिक हित और ऐसे कोषों के नियंत्रण के बारे में अतिरिक्त खुलासा करने की जरूरत होगी। 

एफपीआई का वर्गीकरण करने का भी सुझाव 

इसके साथ ही नियामक ने जोखिम के आधार पर एफपीआई का वर्गीकरण करने का सुझाव दिया है। इसके तहत सरकार और संबंधित इकाइयों मसलन केंद्रीय बैंक और सॉवरेन संपदा कोष को कम जोखिम वाली श्रेणी में रखा गया है, वहीं पेंशन कोष और सार्वजनिक खुदरा कोष को मध्यम जोखिम के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इनके अलावा अन्य सभी एफपीआई को उच्च जोखिम वाली श्रेणी में रखा गया है। 

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