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शेयर बाजार निवेशकों के बीते 12 महीने में 5.86 लाख करोड़ डूबे, इन कारणों के चलते उठाना पड़ा नुकसान

मंदी की चिंताओं तथा वैश्विक बैंकिंग प्रणाली में संकट के मामलों ने बाजार को और भी कमजोर कर दिया। वहीं हिंडनबर्ग रिसर्च के अडाणी समूह पर शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी के आरोप के बाद से घरेलू निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Mar 31, 2023 20:01 IST, Updated : Mar 31, 2023 20:02 IST
शेयर बाजार- India TV Paisa
Photo:PTI शेयर बाजार

भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने वाले निवेशकों को चालू वित्त वर्ष में भारी नुकसान उठाना पड़ा है। दरअसल, वैश्विक घटनाक्रम के चलते बाजार में उठा-पटक जारी रहने से निवेशकों को यह नुकसान हुआ है। पिछले साल मार्च से इस साल 31 मार्च तक देखें तो शेयर बाजार निवेशकों के पिछले 12 महीनों में कुल 5.86 लाख करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है। घरेलू शेयर बाजार में गिरावट के साथ देश में शेयर निवेशकों की संपत्ति वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 5.86 लाख करोड़ रुपये घट गई। घरेलू शेयर बाजार को वित्त वर्ष 2022-23 में कई विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। इसमें ऊंची मुद्रास्फीति, यूक्रेन पर रूस के हमले से उत्पन्न वैश्विक तनाव, उच्च ब्याज दर, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निकासी और हाल ही में वैश्विक बैंकिंग उथल-पुथल शामिल हैं।

केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज बढ़ोतरी का भी असर

कोष प्रबंधन कंपनी कोटक चेरी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) श्रीकांत सुब्रमण्यन ने कहा, ‘‘इस वित्त वर्ष में हमने दुनिया के विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के आक्रामक मौद्रिक नीति रुख के साथ ब्याज दर में बढ़ोतरी, अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग संकट और रूस-यूक्रेन युद्ध देखा है।’’ बाजार में सुस्त रुझान के बीच, बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण वित्त वर्ष 2022-23 में 5,86,605.38 करोड़ रुपये घटकर 2,58,19,896.00 करोड़ रुपये रह गया। ऑनलाइन शेयर व्यापार ऐप ट्रेडिंगो के संस्थापक पार्थ न्याती ने कहा कि इस वित्त वर्ष के दौरान शेयर बाजार के सामने मुख्य मुद्दा मुद्रास्फीति थी। लिहाजा दुनियाभर में ब्याज दरें बढ़ीं और निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई।

मंदी की चिंताओं ने बाजार को और कमजोर किया

न्याती ने कहा कि मंदी की चिंताओं तथा वैश्विक बैंकिंग प्रणाली में संकट के मामलों ने बाजार को और भी कमजोर कर दिया। वहीं अमेरिका की वित्तीय शोध और निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च के अडाणी समूह पर शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी के आरोप के बाद से घरेलू निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई। बहरहाल, वित्त वर्ष 2022-23 के आखिरी दिन विदेशी कोषों की ताजा आवक से, तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स बढ़त के साथ चालू वित्त वर्ष को समाप्त करने में कामयाब रहा। पूरे वित्त वर्ष की बात की जाए तो 2022-23 में बीएसई सेंसेक्स केवल 423.01 अंक यानी 0.72 प्रतिशत मजबूत हुआ।। बीएसई वित्त वर्ष 2022-23 के आखिरी दिन 1,031.43 अंक यानी 1.78 प्रतिशत चढ़कर 58,991.52 पर बंद हुआ।

बढ़ती ब्याज दरें सबसे बड़ी चुनौती

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, ‘‘वित्त वर्ष के दौरान वैश्विक स्तर पर विकसित दुनिया में बढ़ती ब्याज दरें सबसे बड़ी चुनौती रही। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के बड़े पैमाने पर दर में बढ़ोतरी ने इक्विटी और बॉन्ड की कीमतों को प्रभावित किया। वहीं मार्च में अमेरिका में तीन बैंकों की विफलता और यूरोप के बैंक क्रेडिट सुइस में संकट ने भी बाजारों को अस्थायी रूप से प्रभावित किया, हालांकि बाजार जल्दी ही झटके से उबर गए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत में रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति को थामने और पूंजी प्रवाह को रोकने के लिये नीतिगत दर बढ़ायी। इससे शेयर बाजार पर असर पड़ा।’’ बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 14 दिसंबर, 2022 को 291.25 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया था। बीएसई सेंसेक्स 17 जून, 2022 को अपने एक साल के निचले स्तर 50,921.22 तक गया और बाद में पिछले साल एक दिसंबर को 63,583.07 के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया।

रिलायंस इंडस्ट्रीज सबसे मूल्यवान कंपनी

 इस दौरान रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड 15,77,092.66 करोड़ रुपये के बाजार मूल्यांकन के साथ देश की सबसे मूल्यवान कंपनी रही। इसके बाद 11,73,018.69 करोड़ रुपये के मूल्यांकन के साथ टीसीएस दूसरे स्थान पर और 8,98,199.09 करोड़ रुपये का मूल्यांकन के साथ एचडीएफसी बैंक तीसरे, 6,12,532.60 करोड़ रुपये के साथ आईसीआईसीआई बैंक चौथे स्थान रही। बाजार पूंजीकरण के लिहाज से हिंदुस्तान यूनिलीवर 6,01,201.66 करोड़ रुपये के मूल्यांकन के साथ पांचवें स्थान पर है। पिछले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में निवेशकों की संपत्ति 59.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक बढ़ी थी। इस दौरान बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 59,75,686.84 करोड़ रुपये बढ़कर 2,64,06,501.38 करोड़ रुपये हो गया था।

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