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क्या है सरकार का इक्विटी मॉडल? जिसके आ जाने से बदल जाएगी स्टार्टअप इंडस्ट्री की किस्मत

Startup News: सरकार स्टार्टअप इंडस्ट्री को कंधा देने के लिए एक मजबूत पार्टनर के तौर पर खुद को पेश कर रही है। सरकार का मानना है कि कर्ज देने के बाद कंपनी के ऊपर काफी प्रेशर आ जाता है और इससे उसके ग्रोथ पर असर पड़ता है।

Vikash Tiwary Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: February 27, 2023 14:13 IST
What is the equity model- India TV Paisa
Photo:FILE क्या है सरकार का इक्विटी मॉडल?

Startup Industry News: केंद्र से लेकर विभिन्न राज्य की सरकारें तक स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए लगातार कोशिश कर रही हैं। तमिलनाडु सरकार स्टार्टअप फर्मों को बढ़ावा देने के लिए पहली बार तमिलनाडु स्टार्टअप सीड फंड के पांचवें संस्करण (तनसीड 5.0) में इक्विटी मॉडल लेकर आएगी। राज्य सरकार ने रविवार को एक ऑफिशियल प्रेस रिलीज में इस बात की जानकारी दी कि उसका उद्देश्य स्टार्टअप इंडस्ट्री को बढ़ाने के लिए प्रेरित करना है। साल 2021 में तनसीड आने के बाद से सरकार ने अब तक राज्य में 84 स्टार्टअप को वित्तीय मदद दी है। केंद्र सरकार के तरफ से भी स्टार्टअप इंडस्ट्री को बूम करने के लिए मुद्रा लोन समेत कई अन्य लाभकारी योजनाएं चलाई गई हैं। आज के समय में भारत में 100 से अधिक यूनिकॉर्न स्टार्टअप हैं, जो काम कर रहे हैं। 

क्या है सरकार का इक्विटी मॉडल?

तमिलनाडु की सरकार स्टार्टअप इंडस्ट्री को कंधा देने के लिए एक मजबूत पार्टनर के तौर पर खुद को पेश कर रही है। सरकार का मानना है कि कर्ज देने के बाद कंपनी के ऊपर काफी प्रेशर आ जाता है और इससे उसके ग्रोथ पर असर पड़ता है। अगर सरकार उसका पार्टनर बनती है तो इससे सरकार को भी फायदा होगा और कंपनियां भी बेहतर परफॉर्मेंस कर पाएंगी। इसी बात को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने 3 फीसदी इक्विटी मॉडल को पेश किया है। एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, इक्विटी (हिस्सेदारी) के रूप में निवेश का लक्ष्य स्टार्टअप को उसके उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए उचित मार्गदर्शन प्रदान करना है। तनसीड के पांचवें एडिशन का लक्ष्य इक्विटी निवेश के रूप में 50 स्टार्टअप को लाभ प्रदान करना है। तनसीड का लक्ष्य स्टार्टअप को उनके शुरुआती चरण में आर्थिक जरूरतों को पूरा करना है।

छोटी कंपनियों की मदद के लिए सरकार ने बदले नियम

सरकार ने छोटी कंपनियों के लिए पेडअप कैपिटल (Paid-up Capital) और टर्नओवर सीमा में बदलाव किया है। इससे कंपनियों के ऊपर पहले से पड़ रहे बोझ को कम करने में मदद मिलेगी। कंपनी कानून को लागू करने वाले कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के ताजा फैसले ने छोटी कंपनियों की परिभाषा को फिर से संशोधित किया है और इसका उद्देश्य व्यापार करने में आसानी को और बेहतर बनाना है। कुछ नियमों में संशोधन के साथ छोटी कंपनियों की पेडअप कैपिटल सीमा को 2 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 4 करोड़ रुपये कर दिया गया है। वहीं टर्नओवर लिमिट में भी बदलाव किया गया है और 20 करोड़ से बढ़ाकर 40 करोड़ कर दिया गया है।

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