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बिहार के जिस शाही फल का दीवाना है पूरा मुल्क, मायानगरी जा रही है उसकी पहली खेप; जानें खासियत?

Bihar Famous Fruit: बिहार भारत के लिए कई मायनों में खास है। वहां के लोग जितने शानदार होते हैं, उतनी ही मिठास मुजफ्फरपुर के लीची में होती है। बिहार ना सिर्फ राजनीति को लेकर जाना जाता है, बल्कि वह शाही लीची के लिए भी प्रसिद्ध है।

Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published : May 11, 2023 21:42 IST, Updated : May 12, 2023 6:16 IST
Shahi Litchi of Muzaffarpur- India TV Paisa
Photo:FILE Shahi Litchi of Muzaffarpur

Shahi Litchi of Muzaffarpur: बिहार के मुजफ्फरपुर की मशहूर शाही लीची अब बगानों से निकलने लगी है। लीची खाने वालों के लिए यह अच्छी खबर है बिहार के मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन से शाही लीची की पहली खेप पवन एक्सप्रेस से मायानगरी मुंबई के लिए रवाना हुई। हालांकि अभी लीची के लिए एक सप्ताह और इंतजार करने की बात भी कही जा रही है। मुजफ्फरपुर की शाही लीची देश ही नहीं विदेशों तक में चर्चित है। मुजफ्फरपुर की मशहूर शाही लीची रसीली और गुद्देदार होता है। शाही लीची की खेप अब बाहर जाने से लीची किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई है। मुजफ्फरपुर से लीची की पहली खेप बुधवार को पवन एक्सप्रेस से मुंबई के लिए रवाना हुई। पहले दिन कुल 51 कार्टन लीची मुंबई भेजी गई। 

इतनी होगी कीमत

व्यापारियों ने मुंबई के बाजारों में 15 सौ से लेकर दो हजार रुपये प्रति कार्टन के दर से शाही लीची बिकने की संभावना जताई है। जयनगर से जंक्शन पर बुधवार की देर शाम पहुंची पवन एक्सप्रेस के पार्सल बोगी में लीची लोड की गई। आने वाले दिनों में ट्रेनों से दिल्ली, अमृतसर व लखनऊ आदि शहरों में लीची भेजी जायेगी। किसानों ने बताया कि मीनापुर व कांटी इलाके की लीची मुंबई के बाजार में शुक्रवार को पहुंच जायेगी। रेलवे की ओर से बीस मई से लेकर बीस जून तक के लिए पवन एक्सप्रेस में अतिरिक्त पार्सल बोगी जोड़ी जायेगी। कहा जा रहा है कि एक-दो दिनों में अगर हल्की बारिश हो जाती है तो फिर मुजफ्फरपुर के मशहूर शाही लीची के स्वाद और बढ जाएगी। किसान भी इसी बारिश का इंतजार कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि अगले एक सप्ताह में बिहार के बाजारों में भी लीची अच्छी मात्रा में पहुंच जाएगी।

जानें कितनी होती है इस फल की बिहार में खेती?

अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना के प्रधान अन्वेषक एवं डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के Associate Director Research डॉ एस के सिंह का कहना है कि अच्छी लीची के लिए अभी एक सप्ताह और इंतजार करना होगा। उन्होनें कहा कि लीची अभी लाल रंग ले ली है, लेकिन केवल लांल रंग लेने से ही तोड़ना सही नहीं है। भारत सरकार के कृषि और सहकारिता विभाग के वर्ष 2020-2021 के आंकड़े के अनुसार भारत में 97.91 हजार हेक्टेयर में लीची की खेती हो रही है, जिससे कुल 720.12 हजार मैट्रिक टन उत्पादन प्राप्त होता है। आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में लीची की खेती 36.67 हजार हेक्टेयर में होती है, जिससे 308.06 हजार मैट्रिक टन लीची का फल प्राप्त होता है। बिहार में लीची की उत्पादकता 8.40 टन प्रति हेक्टेयर है जबकि राष्ट्रीय उत्पादकता 7.35 टन प्रति हेक्टेयर है।

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