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FII ने 6 महीने में ही Stock Market से निकाले 2.36 लाख करोड़, जानिए, आखिर क्या चाहते हैं विदेशी निवेशक?

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस साल अबतक भारतीय बाजारों से 1,14,855.97 करोड़ रुपये की निकासी की है।

Alok Kumar Edited by: Alok Kumar @alocksone
Published on: March 27, 2022 12:06 IST
STOCK MARKET - India TV Paisa
Photo:FILE

STOCK MARKET 

Highlights

  • भू-राजनीतिक चिंता को लेकर विदेशी निवेशक बिकवाल बने हुए हैं
  • रूस-यूक्रेन संकट के बाद तेजी से पैसा निकाल रहे हैं विदेशी निवेशक
  • भारतीय शेयर बाजार को घरेलू निवेशकों का सहारा मिला

नई दिल्ली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस साल अबतक भारतीय बाजारों से 1,14,855.97 करोड़ रुपये की निकासी की है। वहीं, बीते छह महीने से विदेशी निवेशकों ने 236,293 करोड़ रुपये की भारी रकम निकासी की है। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे में अगर भारतीय बाजार को घरेलू निवेशकों का सहारा नहीं मिला होता है तो हालात फिर मार्च, 2020 वाले हो गए होते। भारतीय बाजार क्रैश कर चुका होता। 

FII लगातार छह महीने से निकाल रहे हैं पैसा 

महीना           कुल निकासी (करोड़ रुपये में )
मार्च में अब तक  48,261.65 
फरवरी 2022  45,720.07
जनवरी 2022  41,346.35
दिसंबर 2021  35,493.59
नवंबर 2021  39,901.92
अक्टूबर 2021  25,572.19

क्यों निकाल रहे हैं FII पैसा?

भू-राजनीतिक तनाव और मुद्रास्फीति को लेकर चिंता के बीच विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों में बिकवाल बने हुए हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने इस महीने अबतक भारतीय शेयरों बाजारों से 48,261.65 करोड़ रुपये की निकासी की है। इस तरह आज की तारीख तक 2022 में विदेशी निवेशकों की निकासी का आंकड़ा 1,14,855.97 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि रूस-यूक्रेन तनाव की वजह से वैश्विक स्तर पर वृहदआर्थिक स्थिति और मुद्रास्फीतिक दबाव की वजह से विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से निकासी कर रहे हैं। यह लगातार छठा महीना है जबकि विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों से शुद्ध निकासी की है।

कच्चे तेल में उछाल ने बढ़ाई निवेशकों की चिंता 

कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी की वरिष्ठ ईवीपी और प्रमुख (इक्विटी शोध) शिबानी कुरियन ने कहा, रूस-यूक्रेन युद्ध का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सीधा असर काफी सीमित है, क्योंकि इन देशों से हमारी आयात पर निर्भरता नहीं है। हालांकि, जिंसों के ऊंचे दाम चुनौतियां पैदा कर रहे हैं। कुरियन ने कहा कि भारत कच्चे तेल का शुद्ध आयातक है। ऐसा अनुमान है कि कच्चे तेल की कीमतों में 10 प्रतिशत के उछाल से चालू खाते के घाटे (कैड) पर 0.3 प्रतिशत, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पर 0.4 प्रतिशत और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर 0.2 प्रतिशत का असर पड़ेगा। 

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