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FD कराने वाले के साथ अगर हो जाए अनहोनी तो ऐसे परिवार के लोग ले पाएंगे बैंक में जमा रकम

FD: फिक्‍स्‍ड डिपोजिट होल्‍डर के साथ किसी तरह की अनहोनी होने पर मेच्‍योरिटी पर राशि पाने में कोई समस्‍या न हो इसके लिए सबसे सरल विकल्‍प है नॉमिनी बनाना।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Aug 24, 2022 14:58 IST, Updated : Aug 24, 2022 15:08 IST
FD- India TV Paisa
Photo:FILE FD

FD: कई ऐसे मामले देखने को मिलते हैं जब फिक्‍स्‍ड डिपोजिट होल्‍डर के साथ मेच्‍योरिटी से पहले ही कोई अनहोनी हो जाती है। ऐसे हालात में जमाकर्ता के रिश्‍तेदार के लिए एफडी से पैसे निकालना मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए निवेशक या परिवार के सदस्‍यों को दावे की प्रक्रिया की पूरी जानकारी होनी चाहिए। आइए जानते हैं कि अगर दुर्भाग्‍यवश फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट करवाने वाले व्‍यक्ति के साथ कोई अनहोनी हो जाए तो किन तरीकों से परिवार के सदस्‍यों को आसानी से मिल सकते हैं पैसे।

नॉमिनी बनाना न भूलें

फिक्‍स्‍ड डिपोजिट होल्‍डर के साथ किसी तरह की अनहोनी होने पर मेच्‍योरिटी पर राशि पाने में कोई समस्‍या न हो इसके लिए सबसे सरल विकल्‍प है नॉमिनी बनाना। इसके लिए डिपॉजिटर को एफडी करवाते समय ही नॉमिनी का उल्‍लेख करना होता है। फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट होल्‍डर के साथ किसी तरह की अनहोनी होने के बाद बैंक में मृत्‍यु प्रमाणपत्र की एक कॉपी जमा करनी होती है। बैंक इसके बाद नॉमिनी को मेच्‍योरिटी की राशि दे देता है।

ज्‍वाइंट होल्डिंग

इस विकल्‍प के तहत, ज्‍वाइंट होल्डिंग में अगर पहले होल्‍डर की मृत्‍यु हो जाती है तो नॉमिनी, मेच्‍योरिटी पर उपर दी गई प्रक्रिया का पालन करते हुए पैसे पाने का दावा कर सकता है। हालांकि, यदि दूसरे होल्‍डर की मृत्‍यु होती है, तो पहला धारक कंपनी से मृतक संयुक्‍त होल्‍डर/धारक का नाम हटाने के लिए निवेदन कर सकता है और इसे अपनी पसंद के किसी नाम से बदल सकता है।

सिंगल होल्डिंग

यदि जमा राशि केवल एक व्‍यक्ति के नाम पर है और उस जमाकर्ता की मृत्‍यु पर एक या एक से ज्‍यादा व्‍यक्ति राशि पाने के लिए नामित हैं, तो मेच्‍योरिटी पर नॉमिनी को जमाकर्ता के ट्रस्‍टी के तौर पर राशि चुकाई जायेगी। यदि जमाकर्ता ने अपनी संपत्ति के लिए कोई अलग वसीयत बनाई है तो नामित व्‍यक्ति उसका पालन करने को बाध्‍य होगा। आयकर कानून के तहत ब्‍याज की राशि प्राप्‍तकर्ता की आमदनी में जोड़ी जाएगी और उसे अपनी कर-श्रेणी के अनुसार टैक्‍स देना होगा।

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