Wednesday, March 19, 2025
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कर योग्य आय Vs ग्रॉस इनकम Vs Net income, जानें अपनी सैलरी पर टैक्स देनदारी की गणना कैसे करें?

टैक्सेबल इनकम की गणना आप आसानी से कर सकते हैं। आपकी कुल इनकम और टैक्स छूट के बाद बची इनकम टैक्सेबल इनकम होगी। टैक्सेबल इनकम की गणना करने में आप सीए की मदद ले सकते हैं।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Feb 08, 2025 8:06 IST, Updated : Feb 08, 2025 8:06 IST
Income
Photo:FILE इनकम

बजट 2025 में वित्त मंत्री ने घोषणा की कि 12 लाख रुपये की सालाना इनकम पर अब कोई टैक्स नहीं देना होगा। वहीं, इसके साथ विभिन्न आय वर्गों के लिए कर स्लैब को बदलाव किया गया है, जिसमें 4-7 लाख रुपये के बीच आय वालों को अब 5% कर देना होगा, 8-12 लाख रुपये के बीच आय वालों को 10% कर देना होगा, और 12-16 लाख रुपये के बीच आय वालों को 15% कर देना होगा। वहीं, 16 से 20 लाख की सालाना आय पर 20%, 20 से 24 लाख की सालाना आय पर 25% और 24 लाख से अधिक की आय पर 30% की दर से टैक्स लगाने का ऐलान किया गया है। इन बदलावों के बाद एक बार फिर कर योग्य आय Vs ग्रॉस इनकम Vs Net income की चर्चा तेज हो गई है। आइए जानते हैं कि आप अपनी सैलरी पर टैक्स देनदारी की गणना कैसे करें। 

ग्रॉस इनकम: आपकी ग्रॉस इनकम में किसी भी कटौती या छूट के लागू होने से पहले विभिन्न स्रोतों से होने वाली सभी आय शामिल होती है। ग्रॉस इनकम की व्याख्या करने का एक और तरीका यह है कि किसी भी समायोजन से पहले विभिन्न स्रोतों से आपकी सभी आय का जोड़ दिया जाए। यह वह कुल इनकम है जो आप किसी भी कर के लगाए जाने से पहले कमाते हैं।

ग्रॉस सैलरी: ग्रॉस सैलरी किसी कर्मचारी द्वारा किसी भी कटौती या करों को घटाए जाने से पहले अर्जित कुल राशि होती है। इसमें मूल वेतन, गृह किराया भत्ता (HRA), अतिरिक्त भत्ते और कोई भी बोनस शामिल है। 

नेट इनकम (Net Income): नेट इनकम किसी व्यक्ति की कुल आय से सभी खर्चों, करों और कटौतियों को घटाने के बाद बची हुई शुद्ध आय होता है। 

कर योग्य आय: कर योग्य (Taxable Income) आय उस वर्ष के लिए किसी भी टैक्स छूट के बाद  किसी व्यक्ति की ग्रॉस इनकम है। अपनी कर योग्य आय की गणना करने के लिए, आपको पहले सभी स्रोतों से अपनी ग्रॉस इनकम निर्धारित करनी होगी और फिर किसी भी कटौती या छूट को घटाना होगा जिसके लिए आप योग्य हैं। आयकर अधिनियम विभिन्न कटौतियों और छूटों की पेशकश करता है जो आपके निवेश, व्यय और अन्य विशिष्ट कर विनियमों के आधार पर भिन्न हो सकती हैं।

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