सरकार की ओर से पिछले वित्त वर्ष में कई सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बिक्री की है। इसके जरिए सरकार को करीब 16,500 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं।
सरकारी शेयरों की ओर से निवेशकों को वित्त वर्ष 24 में दमदार रिटर्न दिया गया है। इस दौरान बीएसई पीएसयू इंडेक्स 92 प्रतिशत बढ़ा है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का मुनाफा बढ़ने के कारण इस वर्ष सरकार को पीएसबी से 15,000 करोड़ रुपये के आसपास का डिविडेंड मिल सकता है। पीएसबी के मुनाफे में इजाफा होने की वजह ब्याज दरों का उच्च स्तर पर होना है।
PSU Share: सरकारी कंपनी एसजेवीएन ने नई सोलर परियोजना के लिए बोली जीती है। इस योजना में 7000 करोड़ से ज्यादा का निवेश होगा।
PSU Stocks: कई म्यूचुअल फंड्स ने पीएसयू शेयरों में हिस्सेदारी को बढ़ाया है। पिछले कुछ समय में सरकारी कंपनियों ने निवेशकों को बंपर रिटर्न दिया है।
Jefferies on PSU : जेफरीज के बेस्ट पीएसयू स्टॉक्स में से 3 एनटीपीसी, एसबीआई और कोल इंडिया हैं। जेफरीज ने सरकारी बैंकों के बारे में कहा कि इनमें तेजी की काफी गुंजाइश है। ब्रोकरेज ने PE/PB वैल्यूएशन पर री-रेटिंग की 25-30 फीसदी संभावना जताई।
Coal India की ओर से 5.25 रुपये प्रति शेयर के डिविडेंड का ऐलान किया गया है। शेयर में आज 5 प्रतिशत की तेजी देखने को मिल रही है।
पीएसयू शेयरों में बिकवाली का ट्रेंड देखा जा रहा है। भारत डायनेमिक्स 11.67 प्रतिशत, मिश्र धातु 10.76 प्रतिशत, एनबीसीसी 10 प्रतिशत, ईआईएल 9.32 प्रतिशत, आरवीएनएल 9.22 प्रतिशत, एमसीएक्स इंडिया 8.46 प्रतिशत की गिरावट देखी गई।
Hindustan Copper Share Price: हिंदुस्तान कॉपर के शेयर में बीते महीने जबरदस्त तेजी देखने को मिली है और इसने रेलवे स्टॉक्स को भी पछाड़ दिया है।
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने को शेयर बाजार में दिल खोल कर स्वागत किया है। निफ्टी में 364.85 अंक तो सेंसेक्स में 1,184.70 अंकों की तेजी दर्ज की जा रही है। इसके चलते दोनों इंडक्स लाइफ टाइम हाई पर पहुंच गए हैं।
भारतीय पीएसयू बैंकों का यह दमदार प्रदर्शन निवेशकों की बढ़ती रुचि और बैंकों के मजबूत वित्तीय मेट्रिक्स को दर्शाता है।
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की। उसने 1,255 करोड़ का मुनाफा कमाया, जबकि यह पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 308 करोड़ रुपये था।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पीएसबी) मार्च, 2022 को समाप्त पिछले पांच वर्षों में बट्टे खातों से सिर्फ 14 प्रतिशत राशि ही वसूल पाए हैं। इस दौरान कुल 7.34 लाख करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले गए।
महामारी शुरू होने के बाद से यह वित्त मंत्री और सरकारी बैंकों के प्रमुखों की आमने-सामने की पहली समीक्षा बैठक है। बैठक में बैंक की स्थिति, रिजर्व बैंक द्वारा घोषित पुनर्गठन- दो योजना की प्रगति की समीक्षा किये जाने की उम्मीद है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने बीते वित्त वर्ष 2020-21 में बाजार से रिकॉर्ड 58,700 करोड़ रुपये का कोष जुटाया है। बैंकों ने यह राशि ऋण और इक्विटी के रूप में अपने पूंजी आधार को मजबूत करने के लिए जुटाई है।
अंतर-मंत्रालयी विचार-विमर्श के बाद वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय इस प्रस्ताव पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी लेगा। अभी पेट्रोलियम रिफाइनिंग क्षेत्र में स्वत: मंजूर मार्ग से 49 प्रतिशत एफडीआई की ही अनुमति है।
कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली सचिवों की कोर समिति से मंजूरी मिलने के बाद ये नाम मंजूरी के लिए पहले वैकल्पिक तंत्र के पास और अंतिम मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के समक्ष रखे जाएंगे।
सरकार का ये दायित्व है कि वो देश के उद्यमों को, कारोबारों को पूरा समर्थन दे, लेकिन सरकार खुद उद्यम चलाए, उसकी मालिक बनी रहे, ये आवश्यक नहीं।
बीते एक हफ्ते में 12 बैंक के स्टॉक 8 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गए हैं, जो कि बैंक के द्वारा एफडी पर दिए जाने वाले एक साल के रिटर्न से ज्यादा है। निजीकरण की खबरें आने के बाद से ही इनके शेयरों मे तेज उछाल देखने को मिल रही है।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 2.01 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। हालांकि कोविड-19 महामारी का विनिवेश कार्यक्रम पर असर पड़ा है। इस वित्त वर्ष में सरकार अब तक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में छोटी हिस्सेदारी बेचकर सिर्फ 11,006 करोड़ रुपये ही जुटा पाई है।
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