पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह गन्ने को पानी-गहन फसलों के एक व्यवहारिक विकल्प के रूप में बढ़ावा दे। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब की पहचान हमेशा किसानों के हितों की रक्षा करने और उन्हें सर्वोच्च मूल्य देने की रही है।
महाराष्ट्र सरकार की यह नई योजना राज्य की सहकारी और निजी चीनी मिलों में गुणवत्ता, दक्षता और वित्तीय अनुशासन को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न केवल मिलों के प्रदर्शन को बेहतर बनाएगी, बल्कि किसानों को समय पर भुगतान और टिकाऊ औद्योगिक प्रथाओं को भी बढ़ावा देगी।
यह चौथी बार है जब योगी सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान गन्ने के दाम बढ़ाए हैं। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अब तक किसानों को ₹2,90,225 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में गन्ना किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस संबंध में फैसला लिया गया।
एआईएसटीए के मुताबिक, 3.16 करोड़ टन के अनुमानित चीनी उत्पादन और 57 लाख टन के शुरुआती भंडार के साथ देश में चीनी की उपलब्धता 3.73 करोड़ टन होने की संभावना है।
गन्ने की उपज कम होने की आशंका में सरकार ने बीते हफ्ते ही चीनी मिलों को गन्ने के रस और शीरे से एथनॉल बनाने पर रोक लगा दी थी।
किसानों ने कहा कि गन्ने की कीमत में बढ़ोतरी को बहुत कम बताया है और राज्य सरकार के कदम को विश्वासघात करार दिया। किसानों ने इसे 450 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की थी।
खाद्य मंत्रालय ने पाया कि चीनी व्यापार और भंडारण से जुड़े कई थोक विक्रेता, खुदरा विक्रेता और बड़े खुदरा विक्रेता ने अब भी चीनी स्टॉक प्रबंधन प्रणाली पर खुद को रजिस्टर ही नहीं किया है।
बीते मंगलवार को चीनी की कीमतें (sugar price in domestic market) बढ़कर 37,760 रुपये प्रति मीट्रिक टन हो गईं, जो अक्टूबर 2017 के बाद सबसे अधिक है।
उल्लेखनीय है कि गन्ना साल भर की फसल है। इसके तैयार होने में 3 से 7 बार पानी की जरूरत पड़ती है। एक अनुमान के मुताबिक प्रति किलोग्राम गन्ना उत्पादन में 1500 से 3000 हजार लीटर पानी की जरूरत होती है।
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