
माघ मास की पूर्णिमा तिथि 12 फरवरी को मनाई जाएगी। इस साल महाकुंभ होने के कारण इस तिथि पर महास्नान होने वाला है। देश की विभिन्न पवित्र नदियों में श्रद्धालुओं को इस दिन स्नान करने का सौभाग्य प्राप्त होगा। मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता भी स्वर्ग छोड़कर मनुष्य के रूप धर मृत्युलोक में संगम स्नान करने आते हैं। इस दिन श्रीहरि, मां लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा का विधि-विधान है, माना जाता है कि इनकी विधिवत पूजा करने से जातक को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, इस दिन सत्यनारायण व्रत कथा का भी काफी महत्व है।
11 फरवरी को क्यों नहीं है माघ पूर्णिमा
माना गया है कि इस दिन गंगा स्नान या गंगा जल से स्नान करने से मनुष्य के सभी दुख-दर्द नष्ट हो जाते हैं। साथ ही मां लक्ष्मी का आगमन होता है। इस दिन पीपल के वृक्ष पर जलाभिषेक को शुभ माना गया है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, पूर्णिमा तिथि 11 फरवरी की शाम 06.55 बजे शुरू होगी, जो 12 फरवरी की शाम 07.22 बजे खत्म होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि को मान्यता दी जाती है, इस कारण माघ पूर्णिमा 12 फरवरी को मनाई जाएगी।
कैसे करनी चाहिए पूजा?
इस दिन साधक को सुबह जल्दी उठना चाहिए और ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर लेना चाहिए। अगर आप गंगा स्नान कर रहे हैं तो बेहतर नहीं तो घर पर ही गंगाजल से स्नान कर सकते हैं। नहाते समय मां गंगा को जरूर याद करें। इसके बाद गंगा तट या फिर घर के मंदिर में दीप जलाएं और फिर सभी देवी-देवताओं को गंगाजल से स्नान कराएं। अगर संभव हो तो व्रत करें।
भगवान विष्णु को कैसे लगाएं भोग?
इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसे में भगवान विष्णु को गंगाजल से स्नान कराएं और उन्हें तुलसी, मिठाई आदि का भोग लगाएं। याद रखें कि शास्त्रों में कहा गया कि भगवान विष्णु बिना तुलसी के भोग स्वीकार नहीं करते हैं। इसके बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का आरती करें। पूर्णिमा पर चंद्रदेव की पूजा होती है, ऐसे में चंद्रोदय के बाद चंद्रमा की पूजा जरूर करें। माना जाता है कि चंद्रमा को अर्घ्य देने से दोषों मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही गरीब और जरूरतमंद के बीच अन्न और धन दान जरूर करें।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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