
Kumbh Mela: महाकुंभ में लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम स्नान करने की खातिर प्रयागराज पहुंच रहे हैं। महाकुंभ में हमेशा अमृत स्नान (पहले शाही स्नान) का खासा महत्व रहा है। अमृत स्नान के दिन नागा साधुओं को पहले स्नान करने का हक प्राप्त है। सदियों से नागा साधु ही अमृत स्नान (शाही स्नान) के दिन पहले स्नान करते हैं। जानकारी दे दें कि इस बार 3 अमृत स्नान पड़ रहा है, जिसमें एक 14 जनवरी को हो चुका है, दूसरा 29 जनवरी को होना है और तीसरा 3 फरवरी को आयोजित होगा। ऐसे में आइए जानते हैं कि तीनों अमृत स्नान में से कौन-से अमृत स्नान का महत्व अधिक है...
कौन-सा है अमृत स्नान?
महाकुंभ में अमृत स्नान का महत्व तो वैसे ही अधिक होता है, लेकिन तीनों अमृत स्नान में भी एक में कई शुभ संयोग बनते रहते हैं ऐसे में इसे ज्यादा महत्व दिया गया है। इसे वैसे तो दूसरा अमृत स्नान कह सकते हैं। इसका कारण है यह मौनी अमावस्या के तिथि में पड़ता है। इसे साधु-संत में काफी पवित्र मानते हैं। नागा साधुओं को दीक्षा भी इसी अमृत स्नान के दिन दी जाती है।
क्यों है इसका अधिक महत्व?
मौनी अमावस्या के अमृत स्नान को बेहद शुभ माना जाता है। इसी दिन नागा साधुओं को दंडी तले दीक्षित किया जाता है। साथ ही चंद्रमा पूजन करने से इस दिन कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है। मौनी अमावस्या के दिन वैसे ही पितृ पूजन शुभ माना जाता है, ऐसे में महाकुंभ अमृत स्नान का संयोग बनने से ये दिन और भी खास बना गया है। भगवान शिव की पूजा के लिए भी खास। तांत्रिक विद्या और मंत्र साधना के लिए भी यह दिन बेहद खास होता है, साथ ही मंत्र जप के लिए भी खास माना गया है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)