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महाकुंभ के दूसरे अमृत स्नान के दिन है अमावस्या तिथि, डुबकी लगाने के साथ ही करें ये 3 काम; बरसेगी भोलेनाथ की कृपा

मौनी अमावस्या की तिथि पर इस पर कई शुभ योग बन रहे हैं। ऐसे में श्रद्धालु जो संगम में डुबकी लगाने जा रहे हैं उन्हें अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए जरूर पूजा करनी चाहिए।

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Jan 21, 2025 13:36 IST, Updated : Jan 21, 2025 13:37 IST
Mahakumbh 2025
Image Source : INDIA TV मौनी अमावस्या

महाकुंभ के दूसरे अमृत स्नान धीरे-धीरे निकट आ रहा है, इस दौरान लोगों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। लोग हर्षोल्लास से महाकुंभ में स्नान करने आ रहे हैं। प्रशासन ने अनुमान लगाया है कि दूसरे अमृत स्नान के दिन 8 करोड़ लोग डुबकी लगा सकते हैं। जानकारी दे दें कि 29 जनवरी को महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान है। लोग बढ़-चढ़ कर इस दिन स्नान करने की कोशिश करेंगे। इसी दिन मौनी अमावस्या तिथि भी पड़ रही है। हिंदू धर्म में इस दिन का खासा महत्व है।

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बन रहा शुभ योग

ज्योतिष शास्त्र की मानें तो इस दिन शुभ योग बन रहा जिस कारण इस दिन का महत्व काफी बढ़ गया है। मौनी अमावस्या का माघी या माघ अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन लोग मौन व्रत रखते हैं और अपने पूर्वजों को तर्पण भी करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा, मान्यता है कि इन दिन मौन व्रत रखने से कार्यों में बढ़ोतरी और सफलता मिलती है। साथ ही साधक के जीवन में खुशियां आती है। इतना ही नहीं, पितरों को तर्पण करने से दान करने से ग्रह दोष भी शांत हो जाते हैं।

कब से कब तक मौनी अमावस्या?

हिंदू पंचांग की मानें तो माघ माह की अमावस्या तिथि 28 जनवरी की शाम 7 बजकर 22 मिनट शुरू होगी और 29 जनवरी की शाम 6 बजकर 05 मिनट पर खत्म होगी। वहीं, 29 जनवरी के दिन अमृत स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 5.25 बजे से 6.18 बजे तक रहेगा। इसके बाद प्रात: संध्या मुहूर्त 5.51 बजे से 7.11 बजे तक रहेगा।

डुबकी लगाने के बाद करें ये 3 काम

  1. श्रद्धालुओं को शिवलिंग पर गंगाजल और दुग्ध से अभिषेक करना चाहिए।
  2. श्रद्वालुओं को शिवलिंग के सामने शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए।
  3. साथ ही साधु संतों को यथासंभव अन्न का दान भी करना चाहिए।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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