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Mahashivratri 2024: आखिर बेलपत्र चढ़ाने से क्यों भगवान शिव हो जाते हैं प्रसन्न? जानिए इसका कारण

भोलेनाथ को समर्पित महाशिवरात्रि का त्योहार आने में अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं। आज हम आपको पौराणिक कथा के अनुसार बाताएंगे कि बेलपत्र चढ़ाने मात्र से क्यों भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं और उनको बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है।

Written By: Aditya Mehrotra
Published : Feb 27, 2024 10:35 IST, Updated : Feb 27, 2024 10:42 IST
Mahashivratri 2024- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Mahashivratri 2024

Mahashivratri 2024: हिंदू धर्म में त्रिदेवों में महादेव की उपाधि सबसे पूज्यनीय है। इनके दो प्रमुख पर्व साल में मनाए जाते हैं, एक महाशिवरात्रि जो 8 मार्च के दिन मनाई जाएगी दूसरा है सावन का महीना। चूंकी अभी महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। तो आज हम इसी पर्व के संदर्भ में आपसे बात कर रहे हैं। इस महाशिवरात्रि महादेव के भक्त उनको प्रसन्न करने के लिए हर संभंव प्रयास करेंगे। इस दिन जगह-जगह शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

शिवालयों में हर हर महादेव की गूंज उठती है। यह पर्व उत्साह के साथ मनाया जाता है। सभी लोग शिव भक्ति में डूब जाते हैं। इसी के साथ लोग इस दिन पूजा-पाठ में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें बेलपत्र अर्पित करते हैं। मान्यता है कि बेलपत्र के बिना शिव पूजा अधूरी है। आइए जानते हैं आखिर बेलपत्र चढ़ाने से महादेव शीघ्र क्यों प्रसन्न हो जाते हैं, इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जिसे आज हम आपको बातने जा रहे हैं।

बेलपत्र चढ़ाने की वजह

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान हलाहल विष निकलने से समस्त संसार उसके ताप को सहन करने में असमर्थ हो गया था। देवता और दानव भी परेशान हो गए थे। तब सभी ने भगवान शिव की आराधना कि और उनसे हलाहल विष के निवारण हेतु मदद मांगी। तब भगवान शिव ने उस हलाहल विष से सभी को मुक्ति दिलाने के लिए उसे पी लिया। विष का ताप इतना था कि उसका प्रभाव कम नहीं हुआ और महादेव का कंठ नीला पड़ गया। तब देवताओं ने महादेव को बेलपत्र और जल अर्पित किया। बेलपत्र के प्रभाव से विष का ताप कम होने लगा। बेलपत्र दरअसल ताप को कम करने में सहायक होता है। देवताओं के बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव का ताप कम हुआ और उन्होंने प्रसन्न होकर सभी को आशीर्वाद दिया कि अब से जो भी मुझे बेलपत्र अर्पित करेगा उसकी मैं हर मनोकामना पूरी करूंगा। तभी से भगवान शिव या उनका एक स्वरूप शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा चलती चली आ रही है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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