Thursday, May 02, 2024
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Pradosh Vrat 2022: कब है अगस्त माह का आखिरी प्रदोष व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Pradosh Vrat 2022: जानिए प्रदोष व्रत 2022 की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा।

Sushma Kumari Written By: Sushma Kumari @ISushmaPandey
Published on: August 21, 2022 17:03 IST
Pradosh Vrat 2022- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Pradosh Vrat 2022

Pradosh Vrat 2022: हर माह के कृष्ण और शुक्ल, दोनों पक्षों की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत किया जाता है। किसी भी प्रदोष व्रत में प्रदोष काल का बहुत महत्व होता है। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार सप्ताह के सातों दिनों में से जिस दिन प्रदोष व्रत पड़ता है, उसी के नाम पर उस प्रदोष का नाम रखा जाता है | जैसे सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष और मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष कहा जाता है | वैसे ही बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष को बुध प्रदोष के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि- बुध प्रदोष का व्रत करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। 

बुध प्रदोष व्रत 2022 तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 अगस्त सुबह 08 बजकर 30 मिनट से  शुरू और 25 अगस्त सुबह 10 बजकर 37 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में बुध प्रदोष व्रत 24 अगस्त को को मनाया जाएगा।

बुध प्रदोष व्रत 2022 पूजा मुहूर्त

बुध प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 52 मिनट से रात 09 बजकर 04 मिनट तक है। इस समय में आपको भगवान शिव की पूजा कर लेनी चाहिए।

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प्रदोष व्रत का महत्व

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति भगवान शंकर की पूजा करता है और प्रदोष व्रत करता है, वह सभी पापकर्मों से मुक्त होकर पुण्य को प्राप्त करता है और उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है। त्रयोदशी तिथि में रात्रि के प्रथम प्रहर, यानी सूर्योदय के बाद शाम के समय को प्रदोष काल कहते हैं। हेमाद्रि के व्रत खण्ड-2 में पृष्ठ 18 पर भविष्य पुराण के हवाले से बताया गया है कि त्रयोदशी की रात के पहले प्रहर में जो व्यक्ति किसी भेंट के साथ शिव प्रतिमा के दर्शन करता है वह सभी पापों से मुक्त होता है। इस दिन रात के पहले प्रहर में शिवजी को कुछ न कुछ भेंट अवश्य करना चाहिए। 

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प्रदोष व्रत की पूजा विधि

इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद सूर्य भगवान को अर्ध्य दें और बाद में शिव जी की उपासना करनी चाहिए। इस दिन भगवान शिव को बेल पत्र, पुष्प, धूप-दीप और भोग आदि चढ़ाने के बाद शिव मंत्र का जाप, शिव चालीसा करना चाहिए। ऐसा करने से मनचाहे फल की प्राप्ति के साथ ही कर्ज की मुक्ति से जुड़े प्रयास सफल रहते हैं। सुबह पूजा आदि के बाद संध्या में, यानी प्रदोष काल के समय भी पुनः इसी प्रकार से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। शाम में आरती अर्चना के बाद फलाहार करें। अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा संपन्न कर व्रत खोल पहले ब्राह्मणों और गरीबों को दान दें। इसके बाद भोजन करें।  इस प्रकार जो व्यक्ति भगवान शिव की पूजा आदि करता है और प्रदोष का व्रत करता है, वह सभी पापकर्मों से मुक्त होकर पुण्य को प्राप्त करता है और उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है।

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं)

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