
Google की सर्च इंजन मोनोपोली वाले एंटी ट्रस्ट केस में मुश्किल बढ़ गई है। गूगल की वेब सर्च इंजन को लेकर अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के फैसले को फेडरल ट्रेड कमीशन (FTC) ने सही ठहराया है और टेक कंपनी को जमकर लताड़ लगाई है। FTC ने अपने स्टेटमेंट में कहा कि कंपनी की यह सर्च मोनोपोली खतरनाक है, जिसकी वजह से छोटे बिजनेस का ग्रोथ नहीं हो पा रहा है। इसका समाधान कंपनी का ब्रेक-अप है।
मार्केट पर एकाधिकार
गूगल ने आज से 27 साल पहले 1998 में अपनी वेब बेस्ड सर्च इंजन की शुरुआत की थी। कंपनी ने बाद में गूगल ऐड्स, गूगल क्रोम समेत कई प्रोडक्ट्स मार्केट में लॉन्च किए। स्मार्टफोन की बढ़ती डिमांड को देखते हुए कंपनी ने Android ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किया और अब कंपनी Gemini AI समेत पिक्सल स्मार्टफोन भी बना रही है। गूगल की मोनोपोली की वजह से कंपनी का सर्च मार्केट और डिजिटल एडवर्टाइजमेंट्स में एकाधिकार है।
गूगल पर अमेरिकी कोर्ट में पिछले तीन सप्ताह से एंटी-ट्रस्ट केस की सुनवाई की जा रही है। इसमें गूगल ने अपना पक्ष रखते हुए इसे तकनीकी डेवलपमेंट और समय से साथ हुए बदलाव से जोड़ा है। हालांकि, फेडरल ट्रेड कमीशन ने डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिक का समर्थन करते हुए कहा कि गूगल को डिसमेंटल करके सर्च के मोनोपोली की खत्म करना चाहिए, ताकि ऑनलाइन सर्च में और प्रतिद्वंदी आ सके। ऑनलाइन सर्च में एकाधिकार की वजह से गूगल का इस मार्केट में कोई कंपीटिशन नहीं है।
गूगल को FTC की लताड़
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, FTC का कहना है कि मार्केट कंपीटिशन को बेहतर बनाने के लिए गूगल को अपनी प्राइवेसी सेफगार्ड को मजबूत करना होगा। खास तौर पर डेटा शेयरिंग को लेकर कंपनी को अपना स्टैंडर्ड बेहतर करना चाहिए। इसके अलावा फेडरल ट्रेड कमीशन ने यह भी कहा है कि एक ऐसे संस्था की भी जरूरत है तो कंप्लायेंस की पड़ताल कर सके।
डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने गूगल को सुझाव दिया है कि वो अपने वेब ब्राउजर Chrome के बिजनेस को बेच दे ताकि मार्केट में फेयर कंपीटिशन हो सके। इस समय पूरी दुनिया में गूगल क्रोम के 4 अरब से ज्यादा यूजर्स हैं। कंपनी का सर्च इंजन ऑनलाइन सर्च के गेटवे के तौर पर काम करता है। यह प्लेटफॉर्म 35 प्रतिशत यूजर्स के क्वेरीज को टेकल करने का काम करता है।
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