सुन्नी सोशल फोरम के राष्ट्रीय संयोजक रजा रईस ने भी बकरीद इसी तरह से मनाई। मंच के एक अन्य सदस्य ने कहा कि यह तरीका ‘ईको-फ्रेंडली’ है और मुस्लिम समुदाय के लोगों को इस बारे में जागरूक किए जाने की जरूरत है।
राजधानी पटना की विभिन्न मस्जिदों और ईदगाहों में भी ईद की नमाज अदा की गई। अलग-अलग जगहों पर नमाज का समय निर्धारित किया था।
इस बार बकरीद 22 अगस्त, बुधवार को पड़ रही है। इस दिन बकरे की ही कुर्बानी नहीं दी जाती है बल्कि भैंस तो कहीं कहीं ऊंट की भी कुर्बानी दी जाती है। जानिए आखिर क्यों दी जाती बकरे की कुर्बानी, क्या है इसके पीछे का सच।
23 अगस्त को बकरा ईद यानि बकरीद मनाई जाएगी। इस बात ऐलान जामा मस्जिद ने कर दिया है। मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोग इस त्योहर को बहुत हर्षोल्लास से मनाते हैं। लेकिन दूसरी तरफ और सबसे महत्वपूर्ण बकरीद को कुर्बानी के लिए याद किया जाता है। इसलिए इसे ईद-उल-जुहा के नाम से भी जाना जाता है। इस्लामिक कैलंडर के बारहवे माह के दसवे दिन मनाया जाता हैं।
3 अगस्त को बकरा ईद यानि बकरीद मनाई जाएगी। इस बात ऐलान जामा मस्जिद ने कर दिया है। मुश्लिम धर्म को मानने वाले लोग इस त्योहर को बहुत हर्षोल्लास से मनाते हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगामी ईद-उल-अज़हा (बकरीद) के पर्व पर कानून-व्यवस्था के सम्बन्ध में पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश दिये हैं।
सिराज उद्दीन कुरैशी ने बताया कि हम हिन्दुस्तान में रह रहे हैं। यहां कई चीजों से बहुसंख्यक लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। हमें गैर मुस्लिम लोग इज्जत देते हैं तो हमें भी उनके जज्बात का एहतराम करना चाहिए।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के सदस्य ईद-उल-अजहा या बकरीद पर कुर्बानी के नाम पर जानवरों की दी जाने वाली बलि के विरोध में खड़ा हो गया है। उन्होंने इस्लाम के अनुयायियों से आग्रह किया है कि सड़कों पर जानवरों की कुर्बानी ना दें, सड़को और अपने इलाके को स्वच्छ बन
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