भारतीय अर्थव्यवस्था संभवत: उम्मीद से अधिक तेजी से उबर रही है और भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों में नरमी के रुख को अब छोड़ सकता है।
एसोचैम ने अपनी अर्थव्यवस्था की स्थिति पर आकलन रिपोर्ट में आने वाले महीनों में इसमें और सुधार की बात कही है।
औद्योगिक संगठन फिक्की द्वारा आयोजित एक वर्चुअल कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए गवर्नर दास ने कहा कि सरकार द्वारा जारी जीडीपी का आंकड़ा कोविड-19 से प्रभावित है।
अपने एशियन डेवलपमेंट आउटलुक 2020 अपडेट मे एडीबी ने अनुमान जताया है कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत वृद्धि हासिल करेगी।
Fitch Ratings ने मंगलवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी यानी अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में जीडीपी में सुधार देखने को मिलेगा।
अप्रैल-जून तिमाही के दौरान दुनियाभर में कोरोना वायरस का कहर बढ़ा है और कोरोना की वजह से दुनिया के कई बड़े देशों की अर्थव्यवस्था चौपट हुई है। ऐसे देशों में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका के साथ जापान, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देश शामिल हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को ही कोवडि-19 को एक दैवीय घटना बताते हुए कहा था कि इसका असर अर्थव्यवस्था पर साफ दिखाई देगा और चालू वित्त वर्ष में इसमें बड़ा संकुचन आएगा।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) 55वें स्थान के साथ शीर्ष 100 वैश्विक बैंकों की सूची में एकमात्र भारतीय बैंक है। इस सूची में चीन के 18 बैंक और अमेरिका के 12 बैंक हैं।
तीन फसलों ने ग्रामीण भारत में तीन लाख करोड़ रुपए की आमदनी पहुंचाई हैं।
नीतियां सहीं हों तो अगले साल अर्थव्यवस्था में तेज बढ़त संभव
रिपोर्ट के अनुसार सकल माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह भी जून में 90,917 करोड़ रुपए रहा, जो मई के मुकाबले 46 प्रतिशत और अप्रैल के मुकाबले 181 प्रतिशत अधिक है।
फिच रेटिंग्स ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत के वृद्धि के अनुमान को घटा कर 8 प्रतिशत कर दिया है। एजेंसी ने पिछले माह इसके 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
सप्लाई में बाधा पड़ने से महंगाई दर पर असर संभव
2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 6 फीसदी की बढ़त का भी अनुमान
आईएमएफ द्वारा बुधवार को जारी अनुमानों के मुताबिक वैश्विक अर्थव्यवस्था में इस साल 4.9 प्रतिशत की कमी होगी, जबकि अप्रैल में अपनी पिछली रिपोर्ट में उसने तीन प्रतिशत कमी का अनुमान जताया था।
आईएचएस मार्किट ने कहा कि वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही अप्रैल-जून में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर में तीव्र गिरावट का अनुमान है, जिससे वित्त वर्ष 2020-21 में देश की आर्थिक वृद्धि दर गहरी मंदी का शिकार हो सकती है।
World Bank ने कहा वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जो कड़े उपाय किए गए उससे अल्पकालिक गतिविधियां बहुत सीमित हो गई। आर्थिक संकुचन में इसकी भूमिका होगी।
अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने और कोविड-19 से पहले वाले दौर में वापस लाने के लिए हमें इस स्वास्थ्य संकट से बाहर आना होगा।
2019-20 में जीडीपी की वृद्धि दर 11 साल के निचले स्तर 4.2 प्रतिशत पर आ गई है।
संपादक की पसंद