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इजराइल-हमास युद्ध का भारत पर कितना होगा इम्पैक्ट, कच्चे तेल की सप्लाई पर जानें एक्सपर्ट की राय

भारत के साथ इजरायल का कारोबार 10 बिलियन डॉलर से थोड़ा ज्यादा है। वित्त वर्ष 2023 में इजरायल को निर्यात 8.5 बिलियन डॉलर और आयात 2.3 बिलियन डॉलर है।

Sourabha Suman Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: October 08, 2023 13:54 IST
इजराइल-हमास युद्ध - India TV Paisa
Photo:REUTERS इजराइल-हमास युद्ध

एक्सपर्ट की मानें तो अगर इजराइल-हमास युद्ध (Israel-Hamas war) पूरे पश्चिम एशिया में फैल गया तो कच्चे तेल की सप्लाई में चुनौती खड़ी हो सकती है। वरिष्ठ अर्थशास्त्री इजराइल-हमास युद्ध के भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव को लेकर प्रतीक्षा और निगरानी की स्थिति में हैं। युद्ध का भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) पर कितना असर पड़ेगा, इसके प्रभाव पर कमेंट करना अभी जल्दबाजी होगी क्योंकि स्थिति पर नजर रखनी होगी। IANS की खबर के मुताबिक, जरूरत पड़ने पर आने वाले समय में इस लड़ाई के पूरे पश्चिम एशिया में फैलने और इसमें कई देशों के शामिल होने की भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

भारत के साथ इजरायल का कारोबार 

खबर के मुताबिक,एक्यूइट रेटिंग्स एंड रिसर्च लिमिटेड के मुख्य अर्थशास्त्री और अनुसंधान प्रमुख,सुमन चौधरी कहते हैं कि ओपेक+ (पेट्रोलियम निर्यातक देशों और दूसरे तेल उत्पादक देशों का संगठन) द्वारा सप्लाई में कटौती के चलते इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों (Crude Oil Prices)में पहले ही बढ़ोतरी हो चुकी है। उनका कहना है कि संघर्ष (Israel-Hamas war)का सीधा असर सीमित होने जा रहा है क्योंकि भारत के साथ इजरायल का कारोबार 10 बिलियन डॉलर से थोड़ा ज्यादा है।  वित्त वर्ष 2023 में इजरायल को निर्यात 8.5 बिलियन डॉलर और आयात 2.3 बिलियन डॉलर है।

आरबीआई के इस समय कोई एक्शन लेने की संभावना नहीं
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि आर्थिक प्रभाव पहले तेल की कीमत और उसके बाद मुद्रा के जरिये देखा जाएगा। चौधरी ने आरबीआई के एक्शन पर कहा कि वह सिर्फ उभरते हालात पर नजर रखेगा और इस समय कोई एक्शन की संभावना नहीं है। महंगाई का असर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर नहीं बल्कि थोक मूल्य सूचकांक पर दिखेगा। कच्चे तेल (Crude Oil) की ऊंची कीमतों का असर तेल मार्केटिंग कंपनियों पर देखने को मिल सकता है। 

सोने की कीमतें बढ़ने की आशंका
सुमन चौधरी ने कहा कि अगर पश्चिम एशिया में जारी संघर्ष पूर्ण युद्ध (Israel-Hamas war) में बदल जाता है और नई सप्लाई बाधाएं सामने आती हैं तो भारत सरकार जरूरी वस्तुओं की कीमतों को कम करने के लिए कदम उठा सकती है। इसके अलावा, युद्ध के चलते सोने की कीमतें बढ़ने की आशंका है। मद्रास ज्वैलर्स एंड डायमंड मर्चेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और चैलेंजी ज्वेलरी मार्ट के पार्टनर जयंतीलाल चैलेंजानी ने बताया कि युद्ध के चलते शनिवार को कीमत बढ़ गई।

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