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8 साल से सांस की नली में फंसा था 25 पैसे का सिक्का, बीएचयू के डॉक्टरों ने 20 मिनट में निकाला

बीएचयू के डॉक्टरों की टीम ने एक मुश्किल ऑपरेशन में एक शख्स की श्वास नली में पिछले 8 साल से फंसे 25 पैसे के सिक्के को निकाला।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published : Jul 03, 2024 20:13 IST, Updated : Jul 03, 2024 20:13 IST
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Image Source : BHU सांस नली में फंसा 25 पैसे का सिक्का

वाराणसी: अगर किसी शख्स की सांस नली में 25 पैसे का सिक्का पिछले 8 वर्षों से फंसा हो तो आप खुद समझ सकते हैं कि उसे किस तरह की परेशानियों से दो चार होना पड़ता होगा। लेकिन बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के श्री सुंदरलाल अस्पताल के डॉक्टरों ने एक बेहद मुश्किल सर्जरी में एक 40 वर्षीय व्यक्ति की श्वास नली (श्वांस नली) में पिछले आठ वर्षों से फंसा 25 पैसे का सिक्का निकाला है। कार्डियो-थोरेसिक सर्जन प्रोफेसर सिद्धार्थ लखोटिया और प्रोफेसर एसके माथुर के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम ने मंगलवार को 20 मिनट तक चले ऑपरेशन में श्वास नली से सिक्का निकाला।

ऐसे मामले बहुत कम

डॉ. लखोटिया ने कहा, "वयस्कों में तेज खांसी के चलते किसी वस्तु का श्वासनली में प्रवेश करना बहुत ही असामान्य बात है। बच्चों में तो यह आम बात है। लेकिन व्यस्कों में इस तरह का मामला बहुत कम देखने को मिलता है। खासतौर तो इस तरह का मामला बेहद रेयर है जिसमें पिछले 8 वर्षों से श्वासनली में कोई बाहर की वस्तु फंसी हो।"

फेफड़े हो सकते हैं क्षतिग्रस्त 

उन्होंने कहा, "ऐसी बाहरी चीजें जब शरीर के अंदर फंस जाती हैं तो जीवन के लिए खतरा होती हैं और मरीजों का दम घुट सकता है। मरीज को निमोनिया हो सकता है और फेफड़े क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। सांस लेने में कठिनाई या अन्य जटिलताओं के कारण मरीजों की मौत भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि पूरी प्रक्रिया में 20 मिनट लगे और मरीज अब ठीक है। ऑपरेशन की प्रक्रिया के एक दिन के भीतर उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।"

एडवांस्ड ब्रोंकोस्कोप का इस्तेमाल

मरीज की सांस की नली से सिक्का निकालने में अहम भूमिका निभाने वाली एनेस्थिसियोलॉजी विभाग की डॉ. अमृता रथ ने कहा, "इस तरह के ऑपरेशन के लिए हाई लेवल की सटीकता की आवश्यकता होती है और थोड़ी सी भी गलती जीवन के लिए खतरा बन सकती है। सिक्के को निकालने के लिए एक एडवांस्ड रिजिड ब्रोंकोस्कोप का इस्तेमाल किया गया।"

पूर्वी यूपी में केवल बीएचयू में यह सुविधा उपलब्ध

टीम में शामिल कार्डियोथोरेसिक सर्जन डॉ. रत्नेश कुमार ने बताया, "वयस्कों की श्वासनली में फंसी चीजों को निकालने की यह सुविधा पूर्वी उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में केवल बीएचयू के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में ही उपलब्ध है।" डॉ. कुमार ने यह भी कहा कि वयस्कों के मामले में, यदि कोई व्यक्ति मुंह में कुछ डालकर सोता है या शराब या नशीली दवाओं के प्रभाव में अर्ध-चेतन अवस्था में रहता है, तो सांस की नली में बाहरी चीजों के प्रवेश की संभावना बढ़ जाती है।

पहले भी हो चुकी है ऐसी सर्जरी

सर्जरी की पूरी प्रक्रिया में सहयोगी स्टाफ के तौर पर त्रिवेंद्र त्यागी, आनंद कुमार, ओम प्रकाश, बैजनाथ पाल, विकास और संजय ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हाल ही में बीएचयू के डॉक्टरों ने एक मरीज की श्वास नली से अलमारी की चाबी भी सफलतापूर्वक निकाली, जो 10 साल से उसकी सांस की नली में फंसी हुई थी।

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