
मालदा/कोलकाता: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस शुक्रवार को मालदा जिले पहुंचे, जहां उन्होंने मुर्शिदाबाद में हालिया साम्प्रदायिक हिंसा के कारण विस्थापित हुए पीड़ितों से मुलाकात की। यह दौरा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अनुरोध के बावजूद हुआ, जिन्होंने उनसे यात्रा टालने को कहा था। शुक्रवार को ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) और राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की टीमें भी मालदा पहुंचीं और परलालपुर हाई स्कूल में बने अस्थायी राहत शिविर में शरण लिए लोगों से बात की।
लोगों ने जमकर किया विरोध प्रदर्शन
मालदा के वैष्णवनगर में स्थित राहत शिविर में रह रहे लोगों ने राज्यपाल के दौरे के दौरान पुलिस के व्यवहार और बाहरी लोगों से मिलने पर पाबंदी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। एक शिविर निवासी ने कहा, “यह शिविर जेल से भी बदतर है। पुलिस हमें न तो अपनी बात बताने दे रही है और न ही किसी से मिलने की इजाजत दे रही है।” कोलकाता से मालदा के लिए ट्रेन में सवार होने से पहले राज्यपाल बोस ने कहा, ‘मैं हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करूंगा, पीड़ितों से मिलूंगा, उनकी शिकायतें सुनूंगा और अस्पतालों व राहत शिविरों की स्थिति का जायजा लूंगा।’
बोस ने बच्चों और विस्थापित परिवारों से बात की
बोस ने बताया कि राज्य पुलिस और केंद्रीय बल स्थिति को सामान्य करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। शिविर में बोस ने बच्चों और विस्थापित परिवारों से बात की। उन्होंने कहा, ‘महिलाओं ने बताया कि असामाजिक तत्वों ने उनके घरों पर हमला किया, संपत्ति लूटी और उन्हें जबरन बेदखल किया।’ शिविर की अमानवीय परिस्थितियों की शिकायतों पर उन्होंने प्रशासन से विस्तृत रिपोर्ट मांगने की बात कही।
‘यह शरणार्थी शिविर है या हिरासत केंद्र, समझना मुश्किल’
दौरे के दौरान स्थिति तब तनावपूर्ण हो गई, जब गुस्साए लोगों ने बैरिकेड तोड़ दिए और जिला अधिकारियों को घेर लिया। कई महिलाओं ने आरोप लगाया कि पुलिस उन्हें रात में बाहरी लोगों से बात करने की धमकी दे रही है। एक महिला ने कहा, ‘पुलिस हमसे अपराधियों की तरह व्यवहार कर रही है। हमें सूखी रोटियां, केले और बासी चावल दिए जा रहे हैं। यह शरणार्थी शिविर है या हिरासत केंद्र, समझना मुश्किल है।’
NHRC ने 3 सप्ताह में विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी
NHRC ने मुर्शिदाबाद में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में भड़की हिंसा का स्वत: संज्ञान लिया और एक तथ्यान्वेषी दल भेजा। आयोग ने तीन सप्ताह में विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी है। अधिकारियों के अनुसार, मुर्शिदाबाद के शमशेरगंज, सुती, धुलियान और जंगीपुर जैसे क्षेत्रों में हुई हिंसा में तीन लोग मारे गए, जिसके बाद कई लोग मालदा के शिविरों में शरण लेने को मजबूर हुए।
‘महिलाओं और बच्चों की स्थिति देखकर स्तब्ध हूं’
NCW की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने भी मालदा और मुर्शिदाबाद का दो दिवसीय दौरा शुरू किया। शिविर में पीड़ितों से बात करने के बाद उन्होंने कहा, ‘महिलाओं और बच्चों की स्थिति देखकर मैं स्तब्ध हूं। उन्हें जबरन घरों से निकाला गया और वे अकल्पनीय पीड़ा झेल रहे हैं।’ एनसीडब्ल्यू सदस्य अर्चना मजूमदार ने आरोप लगाया कि महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की गई और उन्हें बेदखल किया गया। उन्होंने कहा, ‘उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।’
तृणमूल कांग्रेस ने गवर्नर के दौरे का किया विरोध
तृणमूल कांग्रेस ने राज्यपाल और केंद्रीय टीमों पर राजनीतिक लाभ के लिए स्थिति को अस्थिर करने का आरोप लगाया। तृणमूल सांसद सौगत रॉय ने कहा, ‘मुख्यमंत्री के अनुरोध का सम्मान करना चाहिए था। उनका इरादा तनाव बढ़ाना है। NHRC और NCWकी टीमें भी भाजपा की मदद से अशांति फैलाने की कोशिश कर रही हैं।’ NCW की टीम शनिवार को मुर्शिदाबाद जाएगी और रविवार को कोलकाता में राज्यपाल, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से मुलाकात कर सकती है।