Sunday, May 05, 2024
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सूडान में नहीं थम रही हिंसा, पिछले महीने 100 लोगों की मौत, अस्पतालों ने भी दम तोड़ा

सूडान के चिकित्सकों के संगठन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि जनरल अब्देल फताह बुरहान नीत सेना और जनरल मोहम्मद हमदान दालगो नीत रैपिड सपोर्ट फोर्स के बीच हिंसा हुई थी जिसमें कम से कम 481 आम नागरिक मारे गए।

Swayam Prakash Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published on: May 08, 2023 15:01 IST
A man cleans debris of a house hit in recent fighting in Khartoum, Sudan- India TV Hindi
Image Source : AP PHOTO/MARWAN ALI सूडान के खार्तूम में हाल ही में लड़ाई में क्षतिग्रस्त एक घर का मलबा साफ करता एक व्यक्ति

सूडान के अशांत इलाके दार्फुर में सशस्त्र लड़ाकों के बीच झड़पों में पिछले महीने कम से कम सौ लोग मारे गए थे। सूडान के ‘डाक्टर्स सिंडिकेट’ ने यह जानकारी दी। चिकित्सकों के संगठन ने रविवार देर रात अपने आधिकारिक फेसबुक पेज में एक बयान में कहा कि दार्फुर के जेनेना शहर में अस्पताल काम नहीं कर रहे हैं, घायलों की वास्तविक संख्या के बारे में बता पाना मुश्किल है। 

कम से कम 481 आम नागरिक मारे गए

जेनेना में हिंसा उस वक्त हुई जब दो प्रतिद्वंद्वी जनरलों ने राजधानी खार्तुम में एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इस लड़ाई से यह भी संकेत मिलता है कि राजधानी के अलावा पूरे देश में हिंसा की घटनाएं हो सकती हैं। चिकित्सकों के संगठन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि जनरल अब्देल फताह बुरहान नीत सेना और जनरल मोहम्मद हमदान दालगो नीत रैपिड सपोर्ट फोर्स के बीच हिंसा हुई थी जिसमें कम से कम 481 आम नागरिक मारे गए। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं में 2560 से अधिक लोग घायल हुए हैं। वहीं सूडानी स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, संघर्ष शुरू होने के बाद से अब तक नागरिकों और लड़ाकों सहित लगभग 530 लोग मारे गये हैं, जबकि 4,500 अन्य घायल हुए हैं।

हिंसा से ग्रसित देश छोड़कर भाग रहे लोग
सूडान में 15 अप्रैल से सेना और अर्द्धसैनिक बल ‘रैपिड सपोर्ट फोर्स’ (आरएसएफ) के बीच लड़ाई जारी है, जिसमें सैकड़ों लोगों की मौत हुई है। वहीं सूडान की सेना और उसके प्रतिद्वंद्वी अर्धसैनिक बल में जारी संघर्ष के बीच लोगों का मिस्र के साथ लगी सूडान की उत्तरी सीमाओं से निकलने का सिलसिला जारी है। कई सूडानी नागरिक और विदेशी नागरिक देश के मुख्य बंदरगाह पोर्ट सूडान पहुंचे और उन हजारों लोगों में शामिल हो गये जो हिंसाग्रस्त देश से बाहर निकलने के लिए कई दिनों से प्रतीक्षा कर रहे हैं। 

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