अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योव गैलेंट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने की तैयारी में है। आईसीसी के संभावित गिरफ्तारी वारंट की लिस्ट में हमास नेता याह्या सिनवार, इस्माइल हनियेह और मोहम्मद दीफ का भी नाम है। दरअसल, आईसीसी मुख्य प्रॉसीक्यूटर करीम खान ने कथित युद्ध अपराधों को लेकर इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनके रक्षा प्रमुख योव गैलेंट के साथ-साथ हमास के नेताओं की गिरफ्तारी वारंट के लिए अनुरोध जारी किया है। हमास और इजराइली नेताओं को एक साथ रखने पर अमेरिका ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
इन्होंने निभाई बड़ी भूमिका
प्रॉसीक्यूटर करीम खान ने कहा कि उनके पास यह विश्वास करने के लिए "उचित आधार" हैं कि बेंजामिन नेतन्याहू, योव गैलेंट और हमास नेता, याह्या सिनवार, मोहम्मद दीफ और इस्माइल हनियेह ने युद्ध अपराध किए हैं और उन्हें युद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए। यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है इस पूरे में मामले में एक नाम और भी है जिसने बड़ी भूमिका निभाई है। यह नाम है अमल क्लूनी। क्लूनी ने इस मामले में विशेष सलाहकार के रूप में काम किया है। करीम खान ने युद्ध अपराधों से संबंधित सबूतों के मूल्यांकन में योगदान के लिए क्लूनी और अंतरराष्ट्रीय कानून विशेषज्ञों के पैनल को जमकर सराहा भी है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये अमल क्लूनी हैं कौन...तो चलिए जानते हैं अमल क्लूनी के बारे में।
अमल क्लूनी हैं कौन
अमल क्लूनी अरब मूल की ब्रिटिश बैरिस्टर हैं, जिनका जन्म 3 फरवरी 1978 को हुआ था। क्लूनी प्रसिद्ध मानवाधिकार वकील हैं और उन्होंने दुनिया में कई हाई प्रोफाइल मुकदमों को लड़ा है। उन्होंने जिन हाई प्रोफाइल मुकदमों को लड़ा है, उनमें मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद का केस, ऑस्ट्रेलियाई विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे केस, पूर्व यूक्रेनी प्रधान मंत्री यूलिया टिमोशेंको का केस, इराकी मानवाधिकार कार्यकर्ता नादिया मुराद केस, फिलिपिनो-अमेरिकी पत्रकार मारिया रेसा केस, अजरबैजानी पत्रकार खदीजा इस्माइलोवा केस और मिस्र-कनाडाई पत्रकार मोहम्मद फहमी जैसे नामी केस शामिल हैं। क्लूनी यूके सरकार की तरफ से संयुक्त राष्ट्र में भी कई मुकदमों की पैरवी कर चुके हैं और वो कोलंबिया लॉ स्कूल में एक सहायक कानून प्रोफेसर भी हैं। उनके पति प्रसिद्ध अमेरिकी एक्टर जॉर्ज क्लूनी हैं और दोनों ने मिलकर साल 2016 में क्लूनी फाउंडेशन फॉर जस्टिस की सह-स्थापना की थी।
आठ सदस्यीय पैनल का हिस्सा हैं क्लूनी
मानवाधिकार वकील अमल क्लूनी ने हाल ही में जारी एक बयान में कहा था कि वह कानूनी और शैक्षणिक विशेषज्ञों के आठ सदस्यीय पैनल का हिस्सा थी, जिसे अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने युद्ध के दौरान किए गए संभावित अपराधों की अपने अभियोजक करीम खान के सबूतों की जांच के लिए जनवरी में बनाया था। इस पैनल को अकादमिक सलाहकार प्रोफेसर संदेश शिवकुमारन (इंटरनेशनल लॉ के प्रोफेसर, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय) और प्रोफेसर मार्को मिलानोविक (पब्लिक इंटरनेशनल लॉ के प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग स्कूल ऑफ लॉ के प्रोफेसर) का भी समर्थन प्राप्त था।
जारी है कानूनी विश्लेषण की प्रक्रिया
क्लूनी फाउंडेशन फॉर जस्टिस पर पोस्ट किए गए एक बयान के मुताबिक, पैनल को यह तय करने के लिए कहा गया था कि प्रॉसीक्यूटर ने जो गिरफ्तारी वारंट के लिए अनुरोध किया है, क्या वो सबूतों के आधार पर इंटरनेशनल कोर्ट के मानकों मानकों का अनुपालन करते हैं या नहीं। क्लूनी ने कहा था कि हम साथ मिलकर हेग में इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में सबूतों की समीक्षा और कानूनी विश्लेषण की प्रक्रिया में लगे हुए हैं।
पैनल से पूछी गई यह बात
इस पैनल से विशेष रूप से पूछा गया था, कि क्या "विश्वास करने के लिए उचित आधार" हैं, कि वारंट याचिकाओं में शामिल लोगों ने ऐसे अपराध किए हैं, जो अदालत के दायरे में आते थे, जैसे मानवता के खिलाफ अपराध, युद्ध अपराध या फिर नरसंहार हैं। इसपर जवाब देते हुए क्लूनी ने कहा कि "हम सर्वसम्मति से यह निष्कर्ष निकालते हैं, कि यह मानने के उचित आधार हैं कि हमास के नेताओं याह्या सिनवार, मोहम्मद दीफ और इस्माइल हनियेह ने युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध किए हैं, जिनमें बंधक बनाना, हत्या और यौन हिंसा के अपराध शामिल हैं। क्लूनी ने यह भी कहा कि इस बात पर विश्वास करने के लिए उचित आधार हैं, कि इजराइली पीएम, बेंजामिन नेतन्याहू और इजराइली रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने युद्ध, हत्या, उत्पीड़न और विनाश के एक तरीके रूप में भुखमरी सहित मानवता के खिलाफ युद्ध अपराध किए हैं।"
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