Thursday, April 18, 2024
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Queen Elizabeth II Funeral: ताबूत की अंतिम यात्रा के पहले जुटी लाखों की भीड़, कई लोगों ने दिया श्रद्धांजलि

Queen Elizabeth II Funeral: ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ II का निधन हो गया। वह काफी लंबे समय से बीमार चल रही थी। 96 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। महारानी एलिजाबेथ II सबसे लंबे समय शासन करने वाले शासक बनी।

Ravi Prashant Edited By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Updated on: September 14, 2022 19:44 IST
Queen Elizabeth II Funeral- India TV Hindi
Image Source : AP Queen Elizabeth II Funeral

Highlights

  • द मॉल पर और टेम्स नदी के किनारे हजारों लोग जुट रहे
  • मंगलवार रात को भी हजारों लोग इंतजार में बैठे रहे
  • घुड़सवारों को अंतिम संस्कार के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है

Queen Elizabeth II Funeral: ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ II का निधन हो गया। वह काफी लंबे समय से बीमार चल रही थी। 96 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। महारानी एलिजाबेथ II सबसे लंबे समय शासन करने वाले शासक बनी। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के बाद उनके बेटे चार्ल्स को नया राजा बनाया गया। चार्ल्स की लगभग उम्र 73 साल हो गई है। महारानी एलिजाबेथ II बाल्मोरल में समर की छुट्टियां बिताने के लिए आई थी इसी जगह पर उनकी निधन हुई।

बकिंघम पैलेस बुधवार को महारानी ऐलिजाबेथ को अंतिम विदाई देगा। महारानी के प्रशासनिक मुख्यालय और शाही आवास बकिंघम पैलेस से दिवंगत महारानी के ताबूत को तोप गाड़ी पर रखकर संसद भवन ले जाया जाएगा जहां महारानी की पार्थिव देह चार दिन तक रखी जाएगी। इस तोप गाड़ी को घोड़ें खींचेंगे। महारानी के आधिकारिक लंदन आवास बकिंघम पैलेस से संसद के ऐतिहासिक वेस्टमिंस्टर हॉल तक की ताबूत यात्रा के लिए महल के बाहर बड़ी संख्या में लोग जमा है। महाराजा चार्ल्स तृतीय और शाही परिवार के अन्य सदस्य ताबूत गाड़ी के पीछे चलेंगे। 

देशभर में है शोक की लहर 

ताबूत यात्रा शुरू होने से कुछ घंटे पहले ही बकिंघम पैलेस के बाहर द मॉल पर और टेम्स नदी के किनारे हजारों लोग जुट रहे। यह भीड़ महारानी के प्रति सम्मान और उनके निधन पर देशभर में फैली शोक की लहर की ताजा झलक है। महारानी का बृहस्पतिवार को उनके बाल्मोरल स्थित ग्रीष्मकालीन आवास पर निधन हो गया। वह 96 वर्ष की थीं। महारानी के अंतिम संस्कार से जुड़ी कुछ जिम्मेदारियां संभाल रहे मेजर जनरल क्रिस्टोफर घीका ने कहा कि यह बहुत दुखद दिन है लेकिन यह महारानी के लिए हमारा कर्तव्य अदा करने का आखिरी मौका है वहीं महाराजा के लिए कुछ करने का हमारा पहला अवसर है। हमारे लिए यह बहुत सम्मान की बात है। ताबूत यात्रा में शामिल होने वाले सैनिक महारानी के निधन के बाद से ही इसके लिए तैयारी कर रहे थे।

ध्वज में लिपटा था ताबूत 
इसी तरह महाराजा की ट्रूप रॉयल हॉर्स आर्टिलरी के घुड़सवारों को अंतिम संस्कार के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है जिनमें रोते बिलखते शोकग्रस्त लोगों को संभालना और साथ ही ताबूत यात्रा के गुजरने के दौरान श्रद्धांजलि स्वरूप फेंके जाने वाले फूलों आदि को संभालना भी शामिल है। रास्तों में अवरोधकों के पीछे जमा लोग फोल्डिंग कुर्सियों पर बैठे हैं। उनके पास छाते हैं और कुछ के हाथों में कॉफी के मग हैं। मंगलवार रात को भी हजारों लोग इंतजार में बैठे रहे।

महारानी के पार्थिव शरीर को लाने वाले वाहन के भीतर लाइटें जल रही थीं और उनका ध्वज में लिपटा ताबूत बाहर से देखने पर नजर आ रहा था। टैक्सी ड्राइवर ज्यौफ कोलगान छुट्टी लेकर अपने नन्हें बच्चे को गोदी में लिए महारानी की ताबूत यात्रा को देखने के लिए आए थे । उन्होंने कहा कि आपको पता होता है कि एक दिन ऐसा होना ही है लेकिन जब होता है तो आप यकीन नहीं कर पाते।

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