Thursday, March 28, 2024
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USIBC ने वाशिंगटन में भारत और अमेरिका के सहयोग से कराया ICET गोलमेज सम्मेलन, जानें खास बातें

भारत और अमेरिका के बीच पहली बार वाशिंगटन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) स्तर की सबसे बड़ी बैठक ‘इनीशिएटिव फॉर क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी’ (आइसीईटी) हो रही है। इसके तहत भारत और अमेरिका 6 ऐसे बड़े बिंदुओं पर काम करने वाले हैं, जिसका लाभ पूरी दुनिया को मिलेगा।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: January 31, 2023 13:54 IST
वाशिंगटन के आइसीईटी में हिस्सा लेने पहुंचे एनएसए अजीत डोभाल- India TV Hindi
Image Source : FILE वाशिंगटन के आइसीईटी में हिस्सा लेने पहुंचे एनएसए अजीत डोभाल

वाशिंगटन। भारत और अमेरिका के बीच पहली बार वाशिंगटन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) स्तर की सबसे बड़ी बैठक ‘इनीशिएटिव फॉर क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी’ (आइसीईटी) हो रही है। इसका आयोजन यूएस-इंडिया बिजिनसे काउंसिल (यूएसआइबीसी) की ओर से कराया जा रहा है। इसके तहत भारत और अमेरिका 6 ऐसे बड़े बिंदुओं पर काम करने वाले हैं, जिसका लाभ पूरी दुनिया को मिलेगा है। हालांकि इस गोलमेज सम्मेलन को लेकर चीन बहुत बड़ी चिंता में पड़ गया है, क्योंकि भारत और अमेरिका की आइसीईटी की रणनीति चीन जैसे चालबाज देशों की चाल को ध्वस्त करने का काम करेगी। अमेरिकी सुरक्षा सलाहकार सुलिवन ने कहा है कि आइसीईटी से भारत के साथ अमेरिका की सामरिक प्रौद्योगिकी साझेदारी को गति मिलेगी।

वाशिंगटन के आइसीईटी में एनएसए अजीत डोभाल अपने अमेरिकी समकक्ष सुलिवन और अन्य के साथ।

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वाशिंगटन के आइसीईटी में एनएसए अजीत डोभाल अपने अमेरिकी समकक्ष सुलिवन और अन्य के साथ।

उन्होंने कहा कि इस पहल से भारत के साथ अमेरिका की प्रौद्योगिकी साझेदारी और रणनीतिक अभिसरण व नीति संरेखण में तेजी आएगी। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अपने समकक्ष सुलिवन के साथ व्हाइट हाउस में बैठक कर रहे हैं। इसकी रूपरेखा मई 2022 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच टोक्यो में हुई एक अहम बैठक के दौरान तय हुई थी। दोनों देशों ने पहली बार एक संयुक्त बयान में आईसीईटी का उल्लेख किया था। भारत और अमेरिका को उम्मीद है कि यह बैठक दोनों देशों के कॉरपोरेट क्षेत्रों के बीच एक विश्वसनीय भागीदार पारिस्थितिकी तंत्र के विकास की नींव रखेगी, ताकि स्टार्टअप की संस्कृति से फल-फूल रही सार्वजनिक-निजी साझेदारी पर जोर देने वाले दोनों देश वैज्ञानिक अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तानाशाही हुकूमतों के कारण उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना कर सकें।

गोलमेज सम्मेलन में कई अहम चर्चाएं
सुलिवन ने सोमवार को यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) द्वारा आयोजित एक उच्च स्तरीय गोलमेज सम्मेलन में कहाकि आईसीईटी प्रौद्योगिकी सहयोग से कहीं अधिक है। यह हमारे सामरिक अभिसरण व नीति संरेखण में तेजी लाने का एक मंच है। इस गोलमेज सम्मेलन में अमेरिका की वाणिज्य मंत्री जीना रायमोंडो और डोभाल ने भी शिरकत की। सुलिवन ने कहा कि अमेरिका और भारतीय सरकार ‘‘प्राथमिकता की सूची’’ बनाएगी, ‘‘ सबसे पहले दोनों पक्षों की बाधाओं को दूर करने के लिए, ताकि सभी की महत्वाकांक्षा को सक्षम बनाया जा सके। अमेरिका में भारतीय दूतावास ने ट्वीट किया, ‘‘ जीना रामोंडो, डोभाल और जेक सुलिवन ने यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) द्वारा आयोजित गोलमेज सम्मेलन में उद्योगजगत के लोगों, शिक्षाविदों और विचारकों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। भारत-अमेरिका भरोसेमंद भागीदारी के पारिस्थितिकी तंत्र पर विस्तृत चर्चा की। डोभाल के अलावा अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने प्रौद्योगिकी विकास तथा समावेश के लिए भारत की उल्लेखनीय क्षमता को रेखांकित किया।

वाशिंगटन के आइसीईटी में एनएसए अजीत डोभाल अपने अमेरिकी समकक्ष सुलिवन और अन्य के साथ।

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वाशिंगटन के आइसीईटी में एनएसए अजीत डोभाल अपने अमेरिकी समकक्ष सुलिवन और अन्य के साथ।

रणनीति के हिसाब से बैठक बेहद अहम
अजित डोभाल और उनके अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन के बीच आइसीईटी यह की पहली उच्च-स्तरीय बैठक है, जो एक ‘‘रणनीतिक प्रवर्तक’’ साबित हो सकती है। इससे भारत-अमेरिकी संबंधों के एक नए मुकाम पर पहुंचने की संभावना है। भारत के प्रतिनिधिमंडल में सचिव स्तर के 5 अधिकारी और उन भारतीय कंपनियों का कॉरपोरेट नेतृत्व शामिल है, जो भारत में कुछ अत्याधुनिक अनुसंधान कर रहे हैं। यह पांच अधिकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस.सोमनाथ, प्रधानमंत्री के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद, रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार जी.सतीश रेड्डी, दूरसंचार विभाग में सचिव के.राजाराम और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के महानिदेशक समीर वी.कामत हैं।

चीन के साथ सबसे बड़ी प्रतिस्पर्धा
‘सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज थिंक टैंक’ में ‘वाधवानी चेयर इन यूएस इंडिया पॉलिसी स्टडीज’ के रिचर्ड एम.रॉस्सो ने कहा, ‘‘ आइसीईटी बैठक से काफी उम्मीदें हैं। अंतिम मकसद चीन के साथ प्रतिस्पर्धा में अगली सदी के लिए तकनीकों के निर्माण में हमारी संबंधित क्षमताओं को बेहतर बनाने के लिए मिलकर काम करना है। भारत और अमेरिका ने आइसीईटी के तहत सहयोग के लिए जिन छह क्षेत्रों की पहचान की है, उनमें वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास, क्वांटम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमता), रक्षा नवाचार, अंतरिक्ष तथा 6जी और सेमीकंडक्टर जैसी उन्नत संचार पद्धतियां शामिल हैं। साथ ही दोनों देशों के बीच सहयोग सह-विकास तथा सह-उत्पादन के सिद्धांत पर आधारित होगा, जिसे धीरे-धीरे क्वाड (अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान का रणनीतिक समूह), फिर नाटो (उत्तर एटलांटिक संधि संगठन) और फिर यूरोप और बाकी दुनिया में विस्तार दिया जाएगा। इसका मकसद बाकी दुनिया को ऐसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां प्रदान करना है, जो तुलनात्मक रूप से काफी सस्ती हों।

 

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