Saturday, April 20, 2024
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सिविल सेवा व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए निशुल्क कार्यक्रम की मांग

दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर दिल्ली में 'मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना' प्रारम्भ करने की अपील की गई है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: February 18, 2021 10:39 IST
Demand for free program for Civil Services and other...- India TV Hindi
Image Source : FILE Demand for free program for Civil Services and other competitive examinations

नई दिल्ली। दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर दिल्ली में 'मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना' प्रारम्भ करने की अपील की गई है। इसके अंतर्गत सिविल सेवा व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के इच्छुक सभी वर्ग के लोगों के लिए एक पूर्णत निशुल्क कार्यक्रम चलाने का प्रावधान है। दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सिविल सेवा व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के इच्छुक सभी वर्ग के लोगों के लिए ऐसी एक निशुल्क योजना शुरू की गई है।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अभ्युदय नामक योजना सिविल सेवा व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के इच्छुक सभी लोगों के लिए हाल ही में प्रारम्भ की गयी एक ऐसी योजना है, जो निशुल्क है। इसकी खास बात ये है कि ये योजना वर्ग विशेष पर आधारित नहीं है। मतलब इस योजना का लाभ हर वर्ग का छात्र उठा सकता है।

अभ्युदय योजना के अन्तर्गत प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रशिक्षण हेतु मेधावी छात्रों को एक ऐसा मंच प्रदान करवाया जा रहा है, जिसमें 500 से अधिक आईएएस अधिकारी, 450 से अधिक आईपीएस अधिकारी, 300 से अधिक आईएफएस अधिकारी और विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ हैं। यह अधिकारी सिविल सेवा व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के इच्छुक उम्मीदवारों को साक्षात कक्षाओं व वर्चूअल माध्यम से प्रशिक्षण देंगे।

दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना की विशेषताओं को दर्शाते हुए अपील की है कि ऐसी ही निशुल्क योजना दिल्ली में भी लागू करें, जो सभी वर्गों के मेधावी छात्रों के लिए एक समान अवसर प्रदान करे।

दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने कहा, "प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे, सिविल सेवा, जेईई, नीट, एनडीए, सीडीएस इत्यादि हेतु निजी क्षेत्र में प्रशिक्षण व्यवस्थाओं में संसाधनों की कमी से ग्रामीण क्षेत्र तथा निर्बल आय के परिवारों के बच्चे, प्रतिभावान, मेधावी व लगनशील एवं परिश्रमी होते हुये भी इन परीक्षाओं की गुणवत्तापरक तैयारी नहीं कर पाते हैं।

इससे इनकी प्रतिभाओं का समुचित निखार नहीं हो पाता है। समाज भी इनकी सेवाओं से वंचित रह जाता है। ऐसे में यह आवश्यकता प्रतीत हुई है कि प्रतियोगी परीक्षाओं के स्तर समय-समय पर परिवर्तित होते हुये पाठ्यक्रम के अनुरूप विषय विषेशज्ञों के मार्गदर्शन में प्रतिस्पर्धात्मक तैयारी हेतु परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केंद्रो की स्थापना हो।"

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