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रतन टाटा ने कहां से की थी पढ़ाई, कब ज्वॉइन की अपनी कंपनी, यहां जानें सबकुछ

देर रात रतन टाटा ने कैंडी अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली। देश-विदेश के कई बड़े नेता उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Oct 10, 2024 12:50 IST, Updated : Oct 10, 2024 12:50 IST
रतन टाटा- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO रतन टाटा

टाटा संस के मानद चेयरमैन (Emeritus Chairman) रतन टाटा का बुधवार देर रात निधन हो गया। इनके निधन से पूरा देश शोक में डूबा हुआ है। रतन टाटा देश के सबसे प्रभावशाली बिजनेमेन में से एक थे, उन्होंने अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ी है जिसने इंडियन इंडस्ट्री को एक महत्वपूर्ण रूप दिया है। उनका पार्थिव शरीर सुबह 10 बजे से दर्शन के लिए NCPA में रखा गया है। इसके बाद 3.30 बजे शाम को वर्ली श्मशान घाट पर रतन टाटा का अंतिम संस्कार शुरू होगा।

बचपन में अलग हो गए थे माता-पिता

रतन टाटा को देश-विदेश से श्रद्धांजलि दी जा रही है। ऐसे में आइए नजर नजर उनके करियर और उपलब्धियों पर डालते हैं। रतन टाटा का जन्म मुंबई में सूनू कमिसारीट और नवल टाटा (पारसी परिवार) के घर हुआ। जब रतन टाटा 10 साल के थे, तब उनके पैरेंट्स अलग हो गए। इसके बाद उन्हें उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने जे.एन.पेटिट पारसी अनाथालय से उन्हें गोद लिया। फिर इनका पालन-पोषण उनके सौतेले भाई नोएल टाटा (नवल टाटा और सिमोन टाटा के बेटे) के साथ किया।

रतन टाटा की एजुकेशन और करियर पर एक नजर:

  • रतन टाटा की शुरुआती पढ़ाई मुंबई के कैंपियन स्कूल, कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल, शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से हुई। 
  • फिर 1955 में रतन टाटा न्यूयॉर्क के इथाका में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में आर्किटेक्चर और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए अमेरिका चले गए। साल 1962 में टाटा को बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर (BArch) की डिग्री हासिल हुई।
  • लौटने के बाद रतन साल 1962 में टाटा इंडस्ट्रीज में असिस्टेंट के रूप में टाटा ग्रुप में शामिल हुए। उसी साल, उन्होंने टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (अब टाटा मोटर्स) के जमशेदपुर प्लांट में 6 महीने की ट्रेनिंग ली।
  • फिर साल 1963 में, वे टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी या टिस्को (अब टाटा स्टील) के जमशेदपुर स्थित ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल हुए। दो साल बाद, उन्हें टिस्को के इंजीनियरिंग डिवीजन में टेक्निकल ऑफिसर के रूप में नियुक्त हुए। इसके बाद वे टाटा ग्रुप के रेसिडेंट रिप्रिंटेटिव के रूप में 2 साल के लिए ऑस्ट्रेलिया चले गए।
  • इसके बाद साल 1970 में रतन टाटा अपने सरजमीं भारत लौटे और कुछ समय के लिए टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) में शामिल हुए। 1971 में, वे नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स (NELCO) के डायरेक्ट इंचार्ज बने और अपना पहला स्वतंत्र नेतृत्व मिशन शुरू किया। वे 1974 में टाटा संस के बोर्ड में शामिल हुए और 1975 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया।
  • इसके बाद साल 1981 में इन्हें टाटा इंडस्ट्रीज का चेयरमैन बनाया गया। 1986 से 1989 के बीच वे एयर इंडिया के चेयरमैन रहे। 21 मार्च 1991 को उन्होंने जेआरडी टाटा से टाटा संस और टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन का पद संभाला।
  • उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने ग्लोबल लेवल पर अपना विस्तार किया और कई बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण किया, जिनमें टेटली, कोरस, जगुआर लैंड रोवर, ब्रूनर मोंड, जनरल केमिकल इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स और देवू जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
  • भारत सरकार ने साल 2008 में रतन टाटा को देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया। 
  • इसके बाद दिसंबर 2012 में उन्होंने टाटा संस के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया और उन्हें टाटा संस का मानद चेयरमैन (Emeritus Chairman) नियुक्त किया गया। 

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