लखनऊः उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटों में से समाजवादी पार्टी (सपा) ने 37 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया है। जब सपा का गठन हुआ है तब से लेकर अब तक यह पार्टी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। इसके अलावा सपा का वोट शेयर भी बढ़ा है। यूपी में समाजवादी पार्टी को 33.59 प्रतिशत वोट मिला। इसे पहले इतना वोट शेयर सपा को कभी नहीं मिला था। इसके अलावा सपा इतनी सीटें तब नहीं जीत पाई जब उसकी यूपी में उसकी सरकार थी और मुलायम सिंह यादव का प्रदेश में जलवा था। सीट जीतने के मामले में अखिलेश यादव ने वो करिश्मा कर दिखाया जो उनके दिवंगत पिता पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव भी नहीं सके थे।
सपा के साथ आने से कांग्रेस को भी लाभ हुआ
अखिलेश यादव की पार्टी के साथ गठबंधन से कांग्रेस को भी लाभ हुआ। इंडिया गठबंधन में सपा की सहयोगी कांग्रेस ने भी यूपी में छह सीट जीती हैं। वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में धमाकेदार जीत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी को इस बार राज्य में 33 सीट मिली हैं।
इससे पहले सपा ने 2004 में किया था सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी का गठन अक्टूबर 1992 में किया था। सपा ने अपना पहला लोकसभा चुनाव साल 1996 में लड़ा था। सपा अपने पहले ही चुनाव में यूपी में 16 लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही। सपा का वोट शेयर 20.80 प्रतिशत था। 1998 में कराए गए लोकसभा चुनाव में सपा अपना जनाधार बढ़ाते हुए 20 सीटें जीत ली। पार्टी का वोटर शेयर 28.7 प्रतिशत था। साल 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में सपा 26 सीटें जीत गई। इसके बाद हुए साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में सपा सबसे बड़ा प्रदर्शन करते हुए 35 सीटें जीत गई। पार्टी को 26.74 प्रतिशत वोट मिले। साल 2009 के चुनाव में सपा की सीटें कम हो गई और 23 सीटें मिली। इसके बाद 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा महज पांच सीटें ही जीत सकी।
समाजवादी पार्टी का पिछला प्रदर्शन
साल | वोट शेयर (प्रतिशत में) | सीट जीती |
1991 | 20.84 | 16 |
1996 | 28.70 | 20 |
1999 | 24.06 | 26 |
2004 | 26.74 | 35 |
2009 | 23.26 | 23 |
2014 | 22.18 | 5 |
2019 | 17.96 | 5 |
यूपी में सपा ने दी बीजेपी को कड़ी टक्कर
यूपी में सपा ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी जिसकी बदौलत भाजपा की सीटें आधी हो गई। जहां पर सपा हारी है वहां भी दूसरे नंबर पर रही। कई जगहों पर बीजेपी और सपा के बीच हार-जीत का अंतर 2000 से 50000 हजार के बीच रहा। कुछ सीटों पर बीजेपी पांच हजार या उससे कम सीट पर जीती है। सपा ने बीजेपी को अयोध्या में भी हरा दिया जहां पर राम मंदिर के नाम पर बीजेपी देश भर में माहौल बना रही थी।
अखिलेश यादव का काम कर गया पीडीए का नारा
चुनाव नतीजों को देखकर ऐसा लगता है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव का पीडीए का नाम चल पड़ा। जनता ने इस नारे को मतलब समझा और अपना वोट भी दिया। अखिलेश यादव ने रैलियों में पीडीए का नारा प्रमुखता से दिया और गरीब जनता से जुड़े मुद्दे भी उठाए। सबसे बड़ी बात यह रही की सपा की तरफ से कोई भी नेता विवादित बयान नहीं दिया। अक्कर विवादित बयान का फायदा प्रतिद्वंदी उठा लेते हैं। अखिलेश यादव ने समाज के सभी वर्गों को टिकट देकर समाज में सकारात्मक संदेश दिया। रैलियों में उमड़ रही भीड़ भी अखिलेश यादव का मनोबल बढ़ाया।
मुलायम परिवार के पांच नेता बने सांसद
बता दें कि मुलायम सिंह यादव के परिवार के पांच लोग सांसद बने हैं। अखिलेश यादव, उनकी पत्नी डिंपल यादव, चचेरे भाई अक्षय यादव, धर्मेंद्र यादव और आदित्य यादव लोकसभा चुनाव जीत गए हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और कन्नौज सीट से नवनिर्वाचित सांसद अखिलेश यादव ने बुधवार को अपने निर्वाचन का प्रमाणपत्र प्राप्त किया। यादव ने जिलाधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी सुभ्रान्त कुमार शुक्ला से प्रमाणपत्र हासिल किया। सपा अध्यक्ष ने मंगलवार को घोषित चुनाव परिणामों में कन्नौज सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी के सुब्रत पाठक को एक लाख 70 हजार 922 मतों से पराजित किया था। यादव वर्ष 2000 में कन्नौज लोकसभा सीट के उपचुनाव में पहली बार चुने गये थे।
उसके बाद वह वर्ष 2004 और 2009 में हुए आम चुनावों में भी इसी सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे। वर्ष 2012 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के कारण उन्होंने लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद हुए उपचुनाव में यादव की पत्नी डिम्पल यादव इस सीट से निर्विरोध निर्वाचित हुई थीं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में डिम्पल एक बार फिर कन्नौज से सांसद चुनी गयी थीं। हालांकि 2019 में वह भाजपा के सुब्रत पाठक से हार गयी थीं। इस बार चुनाव में अखिलेश यादव ने जीत दर्ज कर यह सीट एक बार फिर सपा की झोली में डाल ली है।
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