
पिछले कुछ साल में ‘आइस बाथ’ का क्रेज काफी तेजी से बढ़ा है। खुद को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम करने वाले लोग आइस बाथ लेते हैं, हालांकि पहले केवल एथलीट ही इसका उपयोग करते थे। ‘आइस बाथ’ का मतलब बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़ों से भरे पानी में नहाना है। बर्फ के ठंडे पानी में आपको कुछ समय के लिए रहना पड़ता है। ‘आइस बाथ’ के दौरान पानी का टेंपरेचर नॉर्मली 10-15 डिग्री सेल्सियस तक होता है। हालांकि कुछ लोग इससे ज्यादा बर्फीले पानी में नहाना पसंद करते हैं। पिछले कुछ समय में ‘आइस बाथ’ लेने वाले लोगों की संख्या सोशल मीडिया पर तेजी से बढ़ी है। ऐसे कई वीडियो आपको फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर मिल जाएंगे। इन लोगों का मानना है कि ‘आइस बाथ’ एक्सरसाइज की थकान से उबरने से लेकर और मेंटली फिट रहने में मदद करता है।
एक्सरसाइज की थकान उतारने के लिए ‘आइस बाथ’
मांसपेशियों में दर्द कम करने और एक्सरसाइज के बाद थकान से उबरने के लिए आइस बाथ लेने है। रनर, वेटलिफ्टिंग और फुटबॉल खिलाड़ी और एथलीट आमतौर पर ‘आइस बाथ’ लेते हैं। रिसर्च में पता चला है कि ‘आइस बाथ’ लेने से एक्सरसाइज के बाद होने वाली थकान को दूर किया जा सकता है। जो लोग बहुत ज्यादा व्यायाम करते हैं उन्हें एक्सरसाइज के तुरंत बाद ‘आइस बाथ’ लेने से मांसपेशियों का दर्द कम होता है।
आइस बाथ के फायदे
‘आइस बाथ’ लेने से मांसपेशियों की ताकत मिलती है। इससे मसल्स रिलेक्स होती हैं और मजबूती बनती है। आइस बाथ लेने से बॉडी और मसल्स में फ्लेक्सिबिलिटी आती है। ‘आइस बाथ’ से व्यायाम के बाद होने वाली सूजन, मांसपेशियों की सूजन और मांसपेशियों के डैमेज होने जैसी स्थिति में सुधार आता है। अगर आपको कुछ दिनों तक हाई इंटेंसिटी की एक्सरसाइज करनी पड़ती है तो आपको रिलेक्स देने के लिए ‘आइस बाथ’ एक अच्छा ऑप्शन है।
आइस बाथ के नुकसान
अगर आप एक एथलीट हैं तो भी आपको हमेशा ‘आइस बाथ’ लेने से बचना चाहिए। क्योंकि इसके फायदे के साथ ज्यादा बार आइस बाथ लेने से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। जो लोग बार-बार ‘आइस बाथ’ लेते हैं उनकी एक्सरसाइज के दौरान मिलने वाली एनर्जी, स्टेमिना, पावर और मांसपेशियों में वृद्धि धीमी हो सकती है। हालांकि ‘आइस बाथ’ लेने से ‘एरोबिक फिटनेस’ को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। इसका मतलब है कि आप ‘एरोबिक ट्रेनिंग सेशन’ के बाद जितनी बार चाहें उतनी बार ‘आइस बाथ’ ले सकते हैं।
आइस बाथ से स्वास्थ्य को मिलने वाले फायदे
हाल ही में स्वास्थ्य के क्षेत्र में ‘आइस बाथ’ काफी फेमस हुआ है। इसे सपोर्ट करने वाले लोगों का मानना है कि आइस बाथ के मानसिक स्वास्थ्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद मिलती है। हालांकि इस क्षेत्र में बहुत कम रिसर्च हुए हैं। हाल ही में नॉर्मल लोगों पर ‘आइस बाथ’ और उससे हेल्थ रिसर्च और उनके रिजल्ट्स को देखा गया जिसमें कुछ रिसर्च में कहा गया है कि ‘आइस बाथ’ के बजाय ठंडे पानी से नहाने फायदेमंद है। रिसर्च में पता चला है कि नियमित रूप से ठंडे पानी में नहाने से तनाव में थोड़ी कमी आ सकती है। नींद और लाइफस्टाइल में थोड़ा सुधार हो सकता है। जिससे लोगों के बीमार होने की संभावना कम हो सकती है।
आइस बाथ से क्या खतरा है?
आइस बाथ को लेकर कोई ऐसा रिसर्च नहीं है जिसमें इससे होने वाले जोखिमों के बारे में बताया गया हो। लेकिन कुछ मामलों में ऐसा देखा गया है कि ठंडे पानी में नहाने से ‘कोल्ड शॉक’ हो सकता है। जिसकी वजह से सांस फूलना, तेजी से सांस लेने की वजह से खून में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में कमी होना, हाई ब्लड प्रेशर होना और कभी-कभी दिल की धड़कन असामान्य होने जैसे मामले सामने आ सकते हैं। अगर ऐसी स्थिति हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
‘आइस बाथ’ लेते वक्त किन बातों का ख्याल रखें?
बहुत ज्यादा ठंडे पानी में न नहाएं- अगर आप आइस बाथ लेना चाहते हैं तो आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि पानी का टेंपरेचर केवल 10 से 15 डिग्री सेल्सियस हो।
बहुत ज्यादा देर तक ‘आइस बाथ’ न लें- रिसर्च में आइस बाथ लेने का समय काफी अलग-अलग है। कुछ लोगों के लिए 3 मिनट से कम का समय रखा गया है। जबकि कुछ लोगों के लिए सिर्फ 30 मिनट का समय रखा गया है। नॉर्मली 10-20 मिनट आइस बाथ ले सकते हैं। जिससे स्वास्थ्य और व्यायाम के बाद थकान दूर करने में मदद मिलेगी। जो लोग पहली बार आइस बाथ ले रहे हैं वो सिर्फ 10 मिनट तक ही आइस बाथ लें। इसे 3-3 मिनट में बांटकर बाथ लें।
(हंटर बेनेट और बेन सिंह, साउथ ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी)
इनपुट: भाषा