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एशियाई और अफ्रीकी हाथियों में शारीरिक संरचना से लेकर व्यवहार तक में अंतर देखने को मिलता है। जहां एशियाई हाथी भारत और एशिया के अन्य हिस्सों की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं, वहीं अफ्रीकी हाथी अपनी विशालता और पर्यावरणीय महत्व के लिए जाने जाते हैं।
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एशियाई हाथी आकार में छोटे होते हैं। इनके कान छोटे और त्रिकोणीय आकार के होते हैं। माथा गुम्बदनुमा (दो गुम्बद वाली संरचना) होती है। इनकी त्वचा हल्की चिकनी और पतली होती है।
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अफ्रीकी हाथी आकार में बड़े होते हैं। इनके कान बड़े और पंख के आकार के होते हैं। माथा सपाट या कम गुम्बदनुमा होता है। इनकी त्वचा मोटी और अधिक झुर्रियों वाली होती है।
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एशियाई हाथियों में केवल नर हाथी के लंबे दांत (टस्क) होते हैं। मादा में टस्क या तो छोटे होते हैं या बिल्कुल नहीं होते। इनके टस्क पतले और छोटे होते हैं। इनका औसत जीवनकाल लगभग 48-50 वर्ष होता है।
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अफ्रीकी हाथियों में नर और मादा दोनों में टस्क होते हैं। इनके टस्क बड़े, मजबूत और मोटे होते हैं। इनका औसत जीवनकाल लगभग 60-70 वर्ष होता है।
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एशियाई हाथी भारत, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, म्यांमार, थाईलैंड, कम्बोडिया, लाओस और इंडोनेशिया में पाए जाते हैं। इनका प्राकृतिक आवास घने जंगल और घास के मैदान होते हैं।
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अफ्रीकी हाथी अफ्रीका के सवाना, घास के मैदान और उष्णकटिबंधीय जंगलों में पाए जाते हैं। अफ्रीका में मुख्य रूप से दो उप-प्रजातियां हैं। सवाना हाथी और वन हाथी
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एशियाई हाथी छोटे समूहों में रहते हैं, जिनमें 6-7 हाथी शामिल होते हैं। ये मानवों के साथ आसानी से घुल मिल जाते हैं और पालतू बनाए जा सकते हैं। खेती और धार्मिक कार्यों में उपयोगी माने जाते हैं।
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अफ्रीकी हाथी बड़े समूहों में रहते हैं, जिनमें 10-20 हाथी शामिल हो सकते हैं। ये जंगली स्वभाव के होते हैं और पालतू बनाना कठिन होता है।