Saturday, July 05, 2025
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गुजरात: कोऑपरेटिव मॉडल बना महिला सशक्तिकरण का आदर्श, महिला डेयरी समितियों में 21% की वृद्धि, आय 9,000 करोड़ के पार

महिला संचालित दुग्ध समितियों का दुग्ध संग्रह 39 प्रतिशत से बढ़कर 57 लाख LPD तक पहुंच गया है। महिला दुग्ध समितियों की वार्षिक आय में 43 प्रतिशत की शानदार वृद्धि और सालाना आय 9,000 करोड़ रुपये के पार पहुंच गई है।

Reported By : Nirnay Kapoor Edited By : Dhyanendra Chauhan Published : Jul 04, 2025 16:19 IST, Updated : Jul 04, 2025 16:23 IST
कोऑपरेटिव मॉडल बना महिला सशक्तिकरण का आदर्श
Image Source : INDIA TV कोऑपरेटिव मॉडल बना महिला सशक्तिकरण का आदर्श

गुजरात के सहकारिता विभाग द्वारा साझा आंकड़ों के अनुसार दुग्ध संघों में भी महिलाओं की नेतृत्व भूमिका बढ़ी है। साल 2025 में दुग्ध संघों के बोर्ड में 82 निदेशकों के रूप 25% सदस्य महिलाएं हैं, जो दुग्ध संघों की नीति निर्धारण में उनकी सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है। गुजरात की डेयरी सहकारी समितियों में महिलाओं की सदस्यता भी लगातार बढ़ रही है। गुजरात में लगभग 36 लाख दुग्ध उत्पादक सदस्यों में से लगभग 12 लाख महिलाएं हैं यानी करीब 32% दुग्ध उत्पादक सदस्य महिलाएं हैं। 

समितियों में भी महिलाओं की भागीदारी 14% बढ़ी 

इतना ही नहीं, इसी समयावधि में ग्रामीण स्तर की सहकारी समितियों की प्रबंधन समितियों में भी महिलाओं की भागीदारी 14% बढ़ी है। इन प्रबंधन समितियों में महिलाओं की संख्या 70,200 से बढ़कर 80,000 हो गई है। ये महिलाएं अब ग्रामीण स्तर की सहकारी समितियों में नीति निर्माण, संचालन और निगरानी जैसी अहम जिम्मेदारियां संभाल रही हैं।

दुग्ध संग्रह 39% बढ़कर 57 लाख LPD तक पहुंचा

अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के विशेष अवसर पर गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (GCMMF) द्वारा साझा किए गए आंकड़ों में यह जानकारी सामने आई है कि गुजरात में महिला संचालित दुग्ध सहकारी समितियों द्वारा मिल्क प्रोक्योरमेन्ट 2020 में 41 लाख लीटर प्रति दिन से 39% बढ़कर 2025 में 57 लाख लीटर प्रति दिन हो गया है जो वर्तमान समय में राज्य के कुल मिल्क प्रोक्योरमेन्ट का लगभग 26% है। 

आर्थिक रूप से बड़ा योगदान दे रहीं दुग्ध समितियां 

गुजरात में महिला संचालित दुग्ध समितियां अब न सिर्फ सामाजिक बदलाव का प्रतीक बन चुकी हैं, बल्कि आर्थिक रूप से भी बड़ा योगदान दे रही हैं। साल 2020 में इन समितियों का अनुमानित दैनिक राजस्व 17 करोड़ रुपये था, जो वार्षिक रूप से करीब 6,310 करोड़ रुपये तक पहुंचता था। 

सालाना अनुमानित राजस्व 9,000 करोड़ रुपये के पार

बीते पांच सालों में यह आंकड़ा बढ़कर 2025 में 25 करोड़ रुपये प्रतिदिन हो गया है, जिससे सालाना अनुमानित राजस्व 9,000 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है। यानी इस अवधि में महिला संचालित समितियों के कारोबार में 2,700 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है, जो 43% की उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाती है। यह सफलता महिला सशक्तिकरण के सहकारी मॉडल की मजबूती का प्रमाण है।

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