Wednesday, December 04, 2024
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सर्दियों में बढ़ जाती है अस्थमा की तकलीफें, इन 3 आयुर्वेदिक उपाय से मरीजों को मिलेगा तुरंत आराम

आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के अनुसार, कुछ आसान आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। इस लेख में हम आपको ऐसे ही कुछ आयुर्वेदिक उपाय के बारे में बता रहे हैं जो अस्थमा के इलाज में सहायक हैं।

Written By: Poonam Yadav @R154Poonam
Published : Nov 09, 2024 7:18 IST, Updated : Nov 09, 2024 7:18 IST
अस्थमा - India TV Hindi
Image Source : SOCIAL अस्थमा

अस्थमा सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है जिसमें सांस की नली में सूजन हो जाती है। सर्दियों का मौसम आते ही बड़ों के साथ-साथ छोटे बच्चे भी इस बीमारी की चपेट में आने लगते हैं। सांस फूलना, सांस लेने में कठिनाई, खांसी और खाँसते समय सीने में दर्द होना अस्थमा के मुख्य लक्षण हैं। अस्थमा के लक्षणों को अनदेखा ना करें बल्कि सही समय पर अस्थमा का इलाज कराएं। अस्थमा का अगर सही तरीके से इलाज ना किया जाए तो इसके लक्षण और बढ़ने लगते हैं। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के अनुसार, कुछ आसान आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। इस लेख में हम आपको ऐसे ही कुछ आयुर्वेदिक उपाय के बारे में बता रहे हैं जो अस्थमा के इलाज में सहायक हैं। 

  • तुलसी: तुलसी में कफ को दूर करने वाले गुण पाए जाते हैं। इसके सेवन से रेस्पिरेटरी ट्रैक में जमा कफ दूर होता है साथ ही सांस की नली की सूजन भी कम होती है।   5-10 तुलसी की पत्तियां पानी में डालकर उबालें और जब हल्का गुनगुना होने पर इसमें शहद मिलाकर पिएं। दिन में एक से दो बार इसे पीने से खांसी से आराम मिलता है और गले में जमा कफ दूर होता है।  तुलसी से मिलने वाले फ़ायदों को पाने के लिए आप सीधे तुलसी की पत्तियों का सेवन भी कर सकते हैं। तुलसी की 5-6 पत्तियां रोजाना चबाकर या सलाद में डालकर खाएं। 

  • मुलेठी: आयुर्वेद के अनुसार यह कफ की एक उत्तम औषधि है जो कफ को गले में जमने से रोकतीं है। मुलेठी में कफ को शांत करने वाले गुण होते हैं। अस्थमा के मरीजों के लिए यह काफी उपयोगी है। इससे गले में कम नहीं जमता है और खांसी से जल्दी राहत मिलती है। मुलेठी के चूर्ण को शहद या गुनगुने पानी के साथ मिलाकर पीने से फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं में लाभ मिलता है। मुलेठी का उपयोग चाय के रूप में भी कर सकते है। जब भी आप चाय बनाएं तो उसमें आधा चम्मच मुलेठी चूर्ण मिला दें और चाय को 5-10 मिनट तक उबालें। दिन में एक से दो बार इस चाय का सेवन करें। 

  • अदरक:  अदरक का उपयोग आमतौर पर हर घर में किया जाता है। कुछ लोग चाय में इसका उपयोग करते हैं तो वहीं कुछ लोग सब्जियों का स्वाद बढ़ाने के लिए इसका उपयोग करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह कफ को कम करने की अचूक दवा है और अस्थमा के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है। अदरक श्वासनली को फैलाने में भी मदद करता है  जिससे सांस लेने की समस्या में आराम मिलता है। अदरक की चाय बनाने के लिए, एक छोटी सी कटी हुई अदरक को पानी में डालकर उबालें। इसमें थोड़ा शहद और नींबू का रस भी मिलाकर पिएं। इस चाय को दिन में एक से दो बार पी सकते हैं। अदरक की चाय फेफड़ों की समस्याओं से आराम दिलाती है। अस्थमा के लक्षणों से राहत के लिए अदरक का ताजा रस निकालकर पिएं। अदरक के रस में शहद मिलाकर पीना ज्यादा जल्दी असर करता है। 

 

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