Sunday, May 05, 2024
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तालिबान के हाथों लगा हेलीकॉप्टर भारतीय वायु सेना का नहीं: विदेश मंत्रालय

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, 'वह हेलीकॉप्टर भारतीय वायु सेना का नहीं था। मैं केवल इतना कह सकता हूं कि यह अफगानिस्तान का आंतरिक मामला है और मैं उस पहलू पर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा।'

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: August 13, 2021 7:57 IST
तालिबान के हाथों लगा हेलीकॉप्टर भारतीय वायु सेना का नहीं: विदेश मंत्रालय- India TV Hindi
Image Source : PTI (प्रतीकात्मक तस्वीर) तालिबान के हाथों लगा हेलीकॉप्टर भारतीय वायु सेना का नहीं: विदेश मंत्रालय (प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली: अफगानिस्तान में कथित तौर पर तालिबान के हाथों लगा लड़ाकू हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना का नहीं है। यह बयान भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से आया है। विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि तालिबान और अफगान सेना के बीच जो लड़ाई हो रही है वह अफगानिस्तान का आंतरिक मामला है। हालात के बारे में विस्तार से बताते हुए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, जमीन पर स्थिति विकसित हो रही है। वह हेलीकॉप्टर भारतीय वायु सेना का नहीं था। मैं केवल इतना कह सकता हूं कि यह अफगानिस्तान का आंतरिक मामला है और मैं उस पहलू पर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा।

बुधवार को, भारत द्वारा 2019 में अफगानिस्तान वायु सेना को उपहार में दिए गए चार मिग-24वी हेलीकॉप्टरों में से एक पर तालिबान ने कुंदुज एयरबेस पर कब्जा करने के बाद कथित तौर पर अपना नियंत्रण ले लिया था। रूसी-डिजाइन किए गए मिग-24वी अटैक हेलीकॉप्टर को निर्यात के लिए मिग-35 के रूप में नामित किया गया है। इसके अलावा सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें तालिबान का एक सदस्य कुंदुज एयरबेस पर अटैक हेलिकॉप्टर के इर्द-गिर्द घूमता नजर आ रहा है।

हालांकि वीडियो में पाया गया कि हेलीकॉप्टर के कई महत्वपूर्ण हिस्से गायब हैं। पता चला है कि अक्टूबर 2019 में अफगानिस्तान में भारतीय राजदूत विनय कुमार ने काबुल वायुसेना अड्डे पर अफगानिस्तान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्री असदुल्ला खालिद को मिग-24वी हेलीकॉप्टर सौंपा था। मई 2019 में दो अटैक हेलीकॉप्टर पहले ही डिलीवर किए जा चुके थे।

हेरात पर तालिबान का कब्जा

आपको बता दें कि अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी के बीच तालिबान ने बृहस्पतिवार को काबुल के निकट सामरिक रूप से महत्वपूर्ण एक और प्रांतीय राजधानी तथा देश के तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात पर कब्जा कर लिया। इसे मिलाकर तालिबान अब तक 34 प्रांतीय राजधानियों में से 11 पर कब्जा कर चुका है। हेरात पर कब्जा तालिबान के लिए अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक एक सरकारी इमारत से भीषण गोलीबारी की आवाजें आयी जबकि तालिबान के कब्जे में आने के बाद से शहर के बाकी हिस्से में शांति है। वहीं, गजनी पर तालिबान के कब्जे के साथ अफगानिस्तान की राजधानी को दक्षिणी प्रांतों से जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण राजमार्ग कट गया है। अमेरिका और नाटो के सैनिक करीब 20 साल पहले अफगानिस्तान आये थे और उन्होंने तालिबान सरकार को अपदस्थ किया था। अब अमेरिकी बलों की पूरी तरह वापसी से कुछ सप्ताह पहले तालिबान ने गतिविधियां बढ़ा दी हैं।

इनपुट-एजेंसी

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