Tuesday, April 16, 2024
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पीएम मोदी ने NSA, CDS के साथ की हाईलेवल मीटिंग, चीनी राष्ट्रपति के बयान के बाद से LAC पर बढ़ी टेंशन

LAC पर चीन से बिगड़ते हालात को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने NSA अजीत डोभाल और CDS बिपिन रावत के साथ बैठक की।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: May 27, 2020 8:40 IST
Narendra Modi, NSA, CDS, LAC tensions- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Narendra Modi reviews situation with NSA, CDS and 3 Service Chiefs amid LAC tensions

नई दिल्ली। चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर चीनी राष्ट्रपति के बयान के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव को लेकर हाई लेवल बैठक की। बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल, चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के साथ बैठक की है। लद्दाख में चीन सीमा पर सुरक्षा की स्थिति को लेकर ​पीएम मोदी ने बैठक में डटकर मुकाबला करने की तैयारी कर ली है। चीन को जवाब देने के लिए तीनों सेनाओं ने पीएम मोदी को ब्लूप्रिंट सौंप दिया है। चीन के साथ तनातनी के हालात के बीच कल (26 मई) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ तीनों सेनाओं की बैठक हुई। विदेश सचिव ने सरहद पर हो रहे विवाद पर पीएम को रिपोर्ट सौंप दी है।

पीएम मोदी से लद्दाख के उपराज्यपाल लद्दाख के LG। इधर लड़ाकु विमान तेजस के उड़ने और ग्लोबमास्टर को लेह में उतरने की भी खबरें सामने आ रही हैं। स्ट्रैटजी के तहत तय हुआ कि भारतीय सेना एक ईंच भी पीछे नहीं हटेगी। भारतीय सेना चीन के बराबर सरहद पर सैनिक अभ्यास जारी रखेगी।  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी CDS और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ बैठक की है। दो दिन पहले ही लेह का दौरा कर लौटे सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने रक्षा मंत्री को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर ताजा स्थिति से अवगत कराया है। दौलत बेग ओल्डी की एयरफील्ड को पूरी तरह एक्टिव रखा गया है। एयरफोर्स और आर्म्ड कॉम्बैट ग्रुप को हाईअलर्ट पर रखा गया है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल लद्दाख और उत्तरी सिक्किम एवं उत्तराखंड में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर उभरती स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। 

लगता है ये सबकुछ चीन इसलिए कर रहा है क्योंकि चीन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ्यूचर प्लान का डर सता रहा है। हिंदुस्तान की बढ़ती ताकत चीन को बेचैन कर रही है। चीन को अपनी सल्तनत की जमीन सिकुड़ती नजर आ रही है, इसलिए वो सरहद पर चालबाजी कर रहा है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी और सेना चीन की हर चालाकी से निपटने के लिए तैयार है। 

कोरोना काल के बाद की दुनिया में चीन को अपनी जगह डगमगाती नजर आ रही है, क्योंकि चीन जानता है कि कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया में उसके के खिलाफ आक्रोश है। लिहाजा दुनिया की नजरों को कोरोना जांच से हटाने के लिए भारत पर दबाव बना रहा है। इसके लिए चीन ने तीन चालें चलीं हैं। चाल नंबर-1, लद्दाख और सिक्किम में LAC पर विवाद बढ़ाना है। चाल नंबर-2, चीन की शह पर नेपाल का लिपुलेख पर बोलना और चाल नंबर-3, पीओके में चीन का दिआमेर-भाषा बांध का निर्माण करना है।  

इसके पीछे चीन का मकसद साफ है किसी भी तरह इलाके में अशांति पैदा की जाए और भारत की बढ़ती ताकत को रोका जाए। मोदी के आत्मनिर्भर भारत का ब्लूप्रिंट और चीन से विदेशी कंपनियों के एक्जिट प्लान को रोका जाए, क्योंकि दुनिया में बड़ी बड़ी कंपनियों के कई फैसलों ने चीन की नींद उड़ा दी है। 

आपको बता दें कि, अमेरिका समेत दुनिया के ज्यादातर देश कोरोना को लेकर चीन से चिढ़े हुए हैं। सबको लगता है कि चीन ने जानबूझकर कोरोना को दुनिया में फैलाया है। दुनिया ये भी मानती है कि चीन अपनी आदत के मुताबिक कोरोना को लेकर भी बता कम रहा है और छिपा ज्यादा रहा है। ऐसे में दुनिया के बड़े से लेकर छोटे देशों की नाराजगी से उसे बड़ी आर्थिक चोट लगने वाली है और वो इससे तिलमिलाया हुआ है। एप्पल कंपनी चीन से प्रोडक्शन भारत में शिप्ट करने का प्लान बना रही है वहीं जापान की कई कंपनियां चीन से भारत में शिफ्ट होने की तैयारी कर रही हैं साथ ही साउथ कोरिया की कई कंपनियों ने भी चीन से अपना EXIT प्लान तैयार कर लिया है। 

रक्षा मामलों के विशेषज्ञ का मानना है कि चीन के खिलाफ पूरी दुनिया में हवा बह रही है। चीन को डर सताने लगा है कि दुनिया भर में बादशाहत कायम करने का उसका सपना टूटने वाला है और इस डर की वजह से चीन भारत से सटे सरहद पर सैनिकों का जमावड़ा लगा रहा है, लेकिन उसे समझ लेना होगा कि भारत अब 1962 वाला नहीं है। ये 21वीं सदी का नया भारत है जो दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने का माद्दा रखता है।

सैन्य कमांडरों की 3 दिवसीय कांफ्रेंस आज से

भारत-चीन तनातनी के बीच सेना के कमांडरों की बुधवार से तीन दिन की कांफ्रेंस शुरू हो रही है। समझा जा रहा है कि इस कांफ्रेंस में पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन के कारण उपजे मौजूदा हालात पर ही विशेष रूप से चर्चा होगी। सेना के प्रवक्ता अमन आनंद ने बताया कि कॉन्प्रेंस का पहला चरण 27 मई से 29 मई तक चलेगा और दूसरा चरण जून के अंतिम सप्ताह में होगा। यह कॉन्फ्रेंस पहले 13 से 18 अप्रैल तक होनी थी, लेकिन कोरोना के कारण टल गई थी।

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