Friday, April 26, 2024
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मौलाना महमूद मदनी ने कहा, अयोध्या फैसले ने न्यायपालिका में अल्पसंख्यकों के भरोसे को हिला दिया

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर गहरी असहमति प्रकट की है।

Bhasha Reported by: Bhasha
Updated on: November 11, 2019 6:39 IST
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Our faith in judiciary has shaken, says Jamiat Ulama-i-Hind general secretary Maulana Mahmood Madani | Facebook

नई दिल्ली: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर गहरी असहमति प्रकट की है। मौलाना मदनी ने दावा किया कि फैसले ने न्यायपालिका में अल्पसंख्यकों के भरोसे को हिला दिया है। उन्होंने कहा कि फैसला ‘अन्यायपूर्ण’ है और वास्तविकता तथा सबूतों की सरासर अवहेलना हुई है। महमूद मदनी के बयान के एक दिन पहले जमीयत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा था कि फैसला संगठन की अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं है, लेकिन जोर दिया कि शीर्ष अदालत का निर्णय ‘सर्वोच्च’ है।

मदमूद मदनी ने एक बयान में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर गहरी असहमति प्रकट की और कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की पीठ ने मूर्ति रखे जाने और बाबरी मस्जिद गिराए जाने को कानून के शासन का सरासर उल्लंघन माना लेकिन इसके बावजूद जमीन ‘ऐसे अपराध करने वालों को दे दी गई।’ उन्होंने कहा, ‘यह उस विशेष समुदाय के खिलाफ स्पष्ट भेदभाव है, जो अदालत की ओर से अपेक्षित नहीं था। फैसले ने न्यायपालिका में अल्पसंख्यकों के विश्वास को हिला दिया है क्योंकि उनका मानना है कि उनके साथ अन्याय हुआ है।’

महमूद मदनी ने कहा कि जब देश को आजादी मिली और संविधान लागू हुआ तो उस जगह बाबरी मस्जिद थी। उन्होंने कहा, ‘लोगों ने पीढ़ियों से देखा था कि वहां एक मस्जिद थी और वहां नमाज अदा की जा रही थी। इस मामले में, संविधान में मुसलमानों के अधिकारों, उनकी स्वतंत्रता और धर्म की स्वतंत्रता की रक्षा करना सर्वोच्च न्यायालय की जिम्मेदारी है।’ उन्होंने दावा किया कि शीर्ष न्यायालय के फैसले और देश की स्थिति ने दिखाया है कि मुसलमानों के लिए यह ‘परीक्षा की घड़ी’ है। उन्होंने समुदाय से धैर्य और संयम बरतने की अपील की।

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