Sunday, April 28, 2024
Advertisement

क्या है ट्रिपल तलाक? नए कानून में क्या है और क्यों इन देशों ने इसे बैन कर दिया, जानें यहां

ट्रिपल तलाक पर बिल का नाम-मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट है। यह कानून तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत पर लागू होगा जिसके तहत मुस्लिम पुरुष एक साथ ट्रिपल तलाक नहीं दे पाएंगे।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 28, 2017 17:01 IST
Triple Talaq- India TV Hindi
Triple Talaq

नई दिल्ली: ट्रिपल तलाक बिल आज लोकसभा में पेश कर दिया गया। इस विधेयक में एक बार में तीन तलाक देने वाले को तीन साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है। कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने ट्रिपल तलाक बिल पेश किया। बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को विधेयक पेश करते वक्त लोकसभा में मौजूद रहने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के चलन को निरस्त कर दिया था।

क्या है ट्रिपल तलाक?

एक बार में तीन बार तलाक कहने को तलाक-ए-बिद्दत कहते हैं जिसके तहत लिखकर, फोन से ट्रिपल तलाक देते थे। कई महिलाओं को लेटर, व्हाट्सएप मैसेज से तलाक दिया गया। अगर पुरुष तलाक का फैसला बदलना चाहे तो नहीं कर सकता लेकिन तलाकशुदा जोड़ा फिर हलाला के बाद ही शादी कर सकता था।

ट्रिपल तलाक पर नए कानून में क्या है
ट्रिपल तलाक पर बिल का नाम-मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट है। यह कानून तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत पर लागू होगा जिसके तहत मुस्लिम पुरुष एक साथ ट्रिपल तलाक नहीं दे पाएंगे। इसमें मैसेज के जरिए, फोन और चिट्ठी से भी ट्रिपल तलाक अवैध होगा। ट्रिपल तलाक पर कानून का उल्लंघन करने पर 3 साल की सजा का प्रावधान है। नए कानून के मुताबिक ट्रिपल तलाक गैर जमानती अपराध होगा।

इन देशों में ट्रिपल तलाक पर बैन
भारत, पाकिस्तान, ईरान, ब्र्रुनेई, मोरक्को, कतर, यूएई, ट्यूनीशिया, मलेशिया का सारावाक राज्य, इंडोनेशिया, मलेशिया, मिस्र, सूडान, बांग्लादेश, श्रीलंका, इराक, सीरिया, साइप्रस, तुर्की, जॉर्डन, अल्जीरिया, और सऊदी अरब में ट्रिपल तलाक पर बैन है।

शाहबानो के तलाक से शुरू हुआ विरोध
62 साल की शाहबानो को 1978 में उसके पति ने तलाक दे दिया। शाहबानो ने गुजारे भत्ते के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया।  सुप्रीम कोर्ट ने 1985 में शाहबानो के हक में फैसला दिया। पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के विरोध के चलते 1986 में तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने संसद में कानून पास कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement