Sunday, December 07, 2025
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. प्लेन के पहिए के पास बैठकर काबुल से दिल्ली पहुंचा 13 साल का लड़का, जिंदा देख डॉक्टर भी हैरान

प्लेन के पहिए के पास बैठकर काबुल से दिल्ली पहुंचा 13 साल का लड़का, जिंदा देख डॉक्टर भी हैरान

प्लेन के पहिए के पास बैठकर सफर करना जानलेवा साबित हो सकता है। अधिकतर मामलों में ऐसी कोशिश करने वाले लोगों की मौत हो जाती है, लेकिन अफगानिस्तानी लड़का ऐसी यात्रा करने में सफल रहा।

Edited By: Shakti Singh
Published : Sep 22, 2025 02:50 pm IST, Updated : Sep 22, 2025 02:50 pm IST
Representative Image- India TV Hindi
Image Source : X/KAMAIR प्रतीकात्मक तस्वीर

अफगानिस्तान का एक लड़का प्लेन के पहिए के पास बैठकर काबुल से दिल्ली पहुंच गया। दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल तीन पर अधिकारियों ने उसे प्रतिबंधित इलाके में टहलते देखा तो उससे पूछताछ की, जिसके बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ। 13 साल का अफगानी लड़का चोरी-छिपे ईरान जाना चाहता था, लेकिन गलती से वह भारत आने वाले विमान में बैठ गया। इस वजह से वह दिल्ली पहुंच गया। इस घटना ने काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं।

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार केएएम एयर की फ्लाइट संख्या आरक्यू4401 को काबुल से दिल्ली आने में 94 मिनट लगे। इस दौरान अफगानी लड़का 94 मिनट तक प्लेन के पिछले पहिए के ऊपरी हिस्से में बैठा रहा। यह प्लेन भारतीय समयानुसार काबुल से सुबह 8:46 बजे रवाना हुआ और सुबह 10:20 बजे टर्मिनल 3 पहुंचा।

व्हील वेल तक कैसे पहुंचा?

अफगानी लड़के ने बताया कि उसने काबुल हवाई अड्डे पर यात्रियों के पीछे गाड़ी चलाकर फ्लाइट में प्रवेश किया और फिर विमान में चढ़ने के दौरान व्हील वेल में छिप गया। हालांकि, नाबालिग होने के कारण इस लड़के के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी।

व्हील वेल में यात्रा लगभग असंभव

विशेषज्ञों के अनुसार व्हील वेल में यात्रा करना लगभग असंभव होता है। प्लेन के हवा में जाने पर ऑक्सीजन लेवल बेहद कम हो जाता है। ऊपर बहुत ज्यादा ठंड होती है। इसके अलावा पहिए के अंदर जाते समय उसकी चपेट में आने से भी मौत हो सकती है। कैप्टन मोहन रंगनाथन ने टीएनआईई को बताया, "उड़ान भरने के बाद, व्हील बे का दरवाजा खुलता है, पहिया अंदर जाता है और दरवाजा बंद हो जाता है। वह संभवतः इस बंद जगह में घुस गया होगा, जहां दबाव ज्यादा रहा होगा और तापमान यात्री केबिन के जैसा बना रहा होगा। हो सकता है कि वह बचने के लिए अंदर की तरफ चिपका रहा हो।" उन्होंने कहा कि ऐसे हालातों के बिना 30,000 फीट की ऊंचाई पर जीवित रहना असंभव होगा, जहां तापमान बहुत कम होता है।

क्या कहते हैं डॉक्टर?

पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रितिन मोहिंद्रा के अनुसार 10,000 फीट से ऊपर, ऑक्सीजन का स्तर काफी कम हो जाता है। इससे कुछ ही मिनटों में बेहोशी आ जाती है और प्लेन के उड़ान की ऊंचाई पर पहुंचते ही मौत हो जाती है। -40°C और -60°C के बीच का तापमान एक मिनट से भी कम समय में शीतदंश और उसके तुरंत बाद घातक हाइपोथर्मिया का कारण बन सकता है। व्हील बेस में बैठकर यात्रा करने वाले पांच लोगों में से सिर्फ एक ही जिंदा बच पाता है।

भारतीय एयरपोर्ट पर दूसरा मामला

भारतीय एयरपोर्ट पर व्हीलबेस में छिपकर सफर करने का यह दूसरा मामला है। इससे पहले 14 अक्टूबर, 1996 को, प्रदीप सैनी (22) और विजय सैनी (19) नामक दो भाई दिल्ली से लंदन जा रहे ब्रिटिश एयरवेज के बोइंग 747 प्लेन के व्हील बेस में छिप गए थे। लंदन पहुंचने पर रणदीप बच गया था, लेकिन विजय की मौत हो गई थी।

यह भी पढ़ें-

एयर इंडिया प्लेन क्रैश मामला: SC ने केंद्र सरकार, DGCA और इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो से मांगा जवाब, रिपोर्ट पर नाराजगी जताई

श्रीलंका की 4 दिन की आधिकारिक यात्रा पर नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, PM हरिनी अमरसूर्या से मुलाकात करेंगे

 

 

Latest India News

Google पर इंडिया टीवी को अपना पसंदीदा न्यूज सोर्स बनाने के लिए यहां
क्लिक करें

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement