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Exclusive: बांग्लादेश में भीषण हिंसा के बीच जान बचाकर भारत लौटे मेडिकल छात्रों ने सुनाई आपबीती, हालात जानकर खड़े हो जाएंगे रोंगटे

बांग्लादेश से भारत वापस लौटे मेडिकल स्टूडेंट्स ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि किस तरह वह डर के साये में जी रहे थे और वहां से भारत वापस लौटने की कोशिश में लगे थे।

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Published : Jul 24, 2024 14:27 IST, Updated : Jul 24, 2024 14:46 IST
Bangladesh news- India TV Hindi
Image Source : PTI/FILE बांग्लादेश में भड़की हिंसा के बीच भारत लौटे मेडिकल छात्र

नई दिल्ली: बांग्लादेश में मची भीषण हिंसा के बीच जान बचाकर भारत लौटे मेडिकल स्टूडेंट्स ने इंडिया टीवी से खास बात की है। इस दौरान उन्होंने बताया कि बांग्लादेश में जब हिंसक प्रदर्शन शुरू हुए तो उन्हें ये नहीं पता था कि हालात इतने बिगड़ जाएंगे कि भारतीय एंबेसी को उन्हें ये कहना पड़ेगा कि जल्द से जल्द बांग्लादेश छोड़ दें। स्टूडेंट्स ने अपनी आपबीती भी सुनाई कि किस तरह हर रात वह इस डर में जी रहे थे कि उन्हें कल का सूरज देखने को मिलेगा भी या नहीं। फिलहाल ये स्टूडेंट्स सुरक्षित भारत पहुंच चुके हैं और उनके परिजनों ने भी राहत की सांस ली है।

हिंसा की वजह से ये फैसला नहीं ले पा रहे थे कि क्या करें: एमबीबीएस छात्र

बांग्लादेश से भारत वापस लौटे एमबीबीएस के स्टूडेंट ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि किस तरह वह डर में जी रहे थे। फोन और इंटरनेट काम नहीं कर रहे थे। उनके घर वाले परेशान थे और उन्हें ये चिंता सता रही थी कि अगले दिन क्या होने वाला है। 

पीड़ित छात्र ने बताया, 'जब मैं बांग्लादेश से लौटा, तो हालात अच्छे नहीं थे। बहुत प्रदर्शन और हिंसा हो रही थी। कोटा सिस्टम को लेकर ढाका यूनिवर्सिटी के छात्र प्रदर्शन कर रहे थे। फिर हालात बिगड़ गए और हम लोग काफी डरे हुए थे। हमारा इंटरनेट काट दिया गया था और कोई कॉल नहीं हो पा रही थी। हमारे घर वाले बात ना हो पाने और मौजूदा हालातों की वजह से परेशान हो रहे थे। किसी से कोई कॉन्टैक्ट नहीं हो रहा था और ये सुनने में आ रहा था कि कॉल्स बंद कर दी जाएंगी।'

पीड़ित छात्र ने बताया, 'जब हम भारत में परिजनों से बात करने के लिए इंटरनेशनल कॉल करते थे तो हमें आवाज ही नहीं सुनाई देती थी। हमने भारत की तरफ से भी रिचार्ज करवाने की कोशिश की लेकिन ये हो नहीं पाया। फिर हमने मिलकर फैसला लिया कि हम किसी भी तरह से एयरपोर्ट पहुंचेंगें और वहां से भारत के लिए निकलेंगे। लेकिन कर्फ्यू की वजह से एयरपोर्ट पहुंचना आसान नहीं था। क्योंकि ऐसे हालात में सरकार की तरफ से शूट एंड साइट के ऑर्डर थे। संदिग्ध गतिविधियों पर सरकार की पैनी नजर थी।'

पीड़ित छात्र ने बताया, 'हमने इंटरनेट बैन होने की वजह से एक लोकल शख्स की मदद से अपना फोन रिचार्ज करवाया और फिर इंडिया से अपनी फ्लाइट की टिकट करवाईं। एयरपोर्ट जाने तक हमारे पास टिकट नहीं थी, क्योंकि इंटरनेट बैन था। हमारे पास सिर्फ एक पीएनआर नंबर था। हमारे रिक्वेस्ट करने के बाद एयरपोर्ट पर हमें इसी नंबर के जरिए एंट्री मिली।'

पीड़ित छात्र ने बताया, 'हर समय हमारे हॉस्टल के ऊपर से ड्रोन, हेलीकॉप्टर और चॉपर निकलते थे। हम लोग डरे हुए थे और हिंसा की वजह से ये फैसला नहीं ले पा रहे थे कि क्या करें। क्योंकि अगर हम हॉस्टल में रहते तो असुरक्षित महसूस कर रहे थे। छात्रों के लिए मुख्य रूप से खतरा था और कहीं से कोई उम्मीद नहीं मिल रही थी। इसके बाद हमने एक एंबुलेस हायर की और उसमें 8 लोग बैठकर एयरपोर्ट के लिए निकले। रात में 3.30 बजे हम लोग जिस रास्ते से एयरपोर्ट के लिए निकले, वहां कुछ समय पहले ही ओपन फायरिंग हुई थी।'

पीड़ित छात्र ने बताया, 'मैं बांग्लादेश से सुरक्षित भारत पहुंच गया हूं लेकिन अभी भी जब मैं बांग्लादेश कॉल करता हूं तो वहां बात नहीं हो पाती।'

चॉपर से फेंकी जा रही थी टियर गैस: पीड़ित मेडिकल छात्रा 

इंडिया टीवी ने एक और भारतीय स्टूडेंट से बात की, जो बांग्लादेश में मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं और हिंसा की वजह से उन्हें जान बचाकर भारत लौटना पड़ा। पीड़ित छात्रा ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया, 'बांग्लादेश में हालात सही नहीं हैं। अभी कुछ स्थिति सुधरी है। हम लोग एंबुलेंस से एयरपोर्ट तक आए। हमें कॉलेज ने एंबुलेंस उपलब्ध करवाई थी, उसमें बैठकर हम एयरपोर्ट पहुंचे और फिर वहां से भारत के लिए फ्लाइट ली।'

पीड़ित छात्रा ने बताया, 'हमें फ्लाइट की टिकट नहीं मिल पा रही थी क्योंकि इंटरनेट बंद था। पैरेंट्स और एजेंट की मदद से हमने टिकट करवाईं। एयरपोर्ट पहुंचने पर हमारे पास केवल पीएनआर नंबर था। हमारे बैच के लोग हमसे पहले निकले थे, लेकिन तब रास्ते बंद थे। जब हम लोग एयरपोर्ट के लिए निकले तो आर्मी ने हमें रोककर पासपोर्ट चेक किया था।'

पीड़ित छात्रा ने बताया, 'हमारी फ्लाइट अगले दिन थी लेकिन हम रात में 3 या 4 बजे ही एयरपोर्ट के लिए निकल गए थे और एयरपोर्ट पर ही रुके। भारतीय एंबेसी की तरफ से कॉल गया था कि अपनी जानकारी दर्ज करा दें, हम रेस्क्यू कर लेंगे। लेकिन हमने एंबेसी का इंतजार नहीं किया और एंबुलेंस के जरिए एयरपोर्ट पहुंच गए और भारत आ गए।'

पीड़ित छात्रा ने बताया, 'हमारे कॉलेज के पास चॉपर उड़ रहे थे और ऊपर से टियर गैस फेंकी जा रही थी। चारों तरफ धुआं था। एक कॉलेज की एंबुलेंस, जिसमें भारतीय स्टूडेंट थे, उस पर हमला भी हुआ था और कई जगह पत्थरबाजी भी हुई थी। अभी भी काफी भारतीय स्टूडेंट बांग्लादेश में फंसे हुए हैं। काफी स्टूडेंट एयरपोर्ट पर रुके हुए हैं। फ्लाइट भले ही 3 दिन बाद की हों लेकिन स्टूडेंट्स एयरपोर्ट पहुंचे हुए हैं।'

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