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Vikram Batra Birth Anniversary: कारगिल युद्ध का वो नायक जिसने पाकिस्तान के उड़ा दिए होश, शहीद होने के बाद भी दिलों में हैं जिन्दा

कारगिल विजय के 25 साल पूरे हो गए हैं। इस युद्ध के नायक विक्रम बत्रा का आज जन्मदिन है। विक्रम बत्रा कारगिल युद्ध दौरान कैप्टन थे और उन्होंने इस युद्ध में पाकिस्तान के होश उड़ा दिए थे।

Edited By: Amar Deep
Published on: September 09, 2024 8:52 IST
विक्रम बत्रा का आज है जन्मदिन।- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO विक्रम बत्रा का आज है जन्मदिन।

Vikram Batra Birth Anniversary: कारगिल विजय के योद्धा विक्रम बत्रा को कौन नहीं जानता है। करीब 25 वर्ष पहले हुए करगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए दुश्मनों से लोहा लिया और इस दौरान वह वीरगति को प्राप्त हो गए। आज उन्हीं विक्रम बत्रा का जन्मदिन है। कैप्टन विक्रम बत्रा 24 साल की उम्र में 1999 में करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए थे। उन्हें युद्धकाल का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार ‘परमवीर चक्र’ मरणोपरांत दिया गया था। उनके अदम्य साहस के कारण उन्हें प्यार से ‘द्रास का टाइगर’, ‘करगिल का शेर’ और ‘करगिल का हीरो’ आदि कहा जाता है। 

बतौर कैप्टन तैनात थे विक्रम बत्रा

साल 1999 में जब कारगिल का युद्ध शुरू हुआ, उस समय कैप्टन विक्रम बत्रा जम्मू कश्मीर राइफल्स की 13वीं बटालियन में बतौर कैप्टन तैनात थे। कारगिल युद्ध में भारत के इस संघर्ष को ऑपरेशन विजय के नाम से जाना जाता है। इसे कारगिल जिले और एलओसी के साथ अन्य कई स्थानों पर एक साथ लड़ा गया, तब जाकर भारतीय सेना को इस लड़ाई में जीत मिली। इस युद्ध को जीतने में कैप्टन विक्रम बत्रा ने अहम किरदार निभाया था।

दुश्मन की गोली से घायल हुए विक्रम बत्रा

7 जुलाई 1999 को एक अहम चोटी पर जिस पर पाकिस्तानी सेना ने कब्जा कर लिया था, को जीतने के इरादे से विक्रम बत्रा की बटालियन आगे बढ़ती है। इस दौरान उनकी बटालियन को भारी गोलीबारी का सामना करना पड़ता है। अपनी टीम का नेतृत्व कर रहे विक्रम बत्रा सफलतापूर्वक चोटी पर कब्जा कर लेते हैं। इसी दौरान विक्रम बत्रा को दुश्मन सेना की गोलियां लग जाती हैं। दरअसल विक्रम बत्रा को जब यह एहसास होता है कि उनके एक साथ सैनिक राइफलमैन संजय कुमार को गोली लगी है और वे गंभीर रूप से घायल हैं।

घायल होने के बाद भी साथी को बचाया

तब विक्रम बत्रा उनकी मदद करने के लिए बिना किसी चीज के परवाह किए बगैर आगे बढ़ते हैं। उनके साथी संजय कुमार एक खुली पहाड़ी पर फंसे हुए थे। बिना किसी हिचकिचाहट के बत्रा ने वापस जाकर उन्हें बचाने का फैसला किया। खतरनाक हालातों में वह भारी गोलीबारी के बीच संजय कुमार तक पहुंचने में कामयाब हो जाते हैं और उन्हें सफलतापूर्वक वहां से निकाल लेते हैं। हालांकि इसी दौरान पहाड़ी से नीचे उतरते वक्त कैप्टन बत्रा को गोली लग गई और वह घायल हो गए। इसके बाद भी वह लड़ते रहे। लेकिन अंत में वे शहीद हो गए। बता दें कि 9 सितंबर 1974 को विक्रम बत्रा का जन्म हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में हुआ था। उनके जीवन पर एक फिल्म भी बन चुकी है। 

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