वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, वकीलों ने रखी अपनी दलीलें
वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, वकीलों ने रखी अपनी दलीलें
सुपीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की तीन जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई की।
नई दिल्लीः सुपीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की तीन जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई क। वक्फ अधिनियम के खिलाफ कई विपक्षी दलों और नेताओं द्वारा याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें कांग्रेस, डीएमके, आम आदमी पार्टी, वाईएसआरसीपी, एआईएमआईएम, आदि शामिल हैं। अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे गैर सरकारी संगठनों और संगठनों ने भी इसके खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है।
आइए, जानते हैं कि सुनवाई के दौरान किसने क्या-क्या दलील दी।
सुप्रीम कोर्ट ने इन अंतरिम आदेशों को वापस ले लिया है:
जो भी संपत्ति वक्फ घोषित की गई है, जो भी संपत्ति उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ घोषित की गई है, या न्यायालय द्वारा घोषित की गई है, उसे गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा।
कलेक्टर कार्यवाही जारी रख सकते हैं, लेकिन प्रावधान लागू नहीं होगा।
पदेन सदस्य नियुक्त किए जा सकते हैं, उन्हें धर्म की परवाह किए बिना नियुक्त किया जा सकता है, लेकिन अन्य सदस्य मुस्लिम होने चाहिए।
इस मामले पर कल दोपहर 2 बजे फिर से सुनवाई की जाएगी।
Apr 16, 20254:01 PM (IST)Posted by Vineet Kumar
'22 में से अधिकतम 2 सदस्य ही गैर-मुस्लिम होंगे'
CJI ने पूछा, "वक्फ बाय यूजर का रजिस्ट्रेशन कैसे होगा? यह बताने वाला कहां से आएगा कि वक्फ मैंने किया है? वक्फ कानून का दुरुपयोग होता आया है, लेकिन वक्फ बाय यूजर को पूरी तरह रोक देना सही नहीं लगता। अंग्रेजों के ज़माने में प्रिवी काउंसिल ने भी वक्फ बाय यूजर को मान्यता दी थी।" इस पर एसजी तुषार मेहता ने कहा, "नया कानून मुसलमानों को खुद ट्रस्ट बनाने की अनुमति देता है, और उनके लिए वक्फ को ही संपत्ति सौंपने की बाध्यता नहीं है। सेंट्रल वक्फ काउंसिल में गैर-मुसलमानों के होने से वक्फ के काम पर कोई असर नहीं पड़ता। यह काफी हद तक एक एडवाइजरी संस्था है, और इसमें केंद्र की तरफ से नामित प्रतिनिधि शुरू से हैं। सेंट्रल वक्फ काउंसिल में 2 पूर्व जज भी होंगे।" इस पर सीजेआई ने कहा, "वह गैर-मुस्लिम हो सकते हैं।" एसजी ने जवाब दिया, "इस हिसाब से तो आप भी इस मामले को नहीं सुन सकते।" सीजेआई ने तुरंत कहा, "यह तुलना मत कीजिए। बेंच पर बैठे जज इन बातों से अलग हटकर सुनवाई करते हैं।" एसजी ने कहा, "मैं सिर्फ याचिकाकर्ताओं की उस दलील की व्यर्थता के बारे में समझा रहा था। 22 में से अधिकतम 2 सदस्य ही गैर-मुस्लिम होंगे।" सीजेआई ने पूछा, "क्या हम इस बात को रिकॉर्ड करें?" एसजी ने कहा, "मैं लिखित हलफनामा दे सकता हूं। काउंसिल में शिया और दूसरे वर्गों के मुसलमानों को भी जगह दी गई है। 2 मुस्लिम महिलाओं को भी जगह दी गई है।"
Apr 16, 20253:57 PM (IST)Posted by Vineet Kumar
'कलक्टर के आदेश के खिलाफ ट्रिब्यूनल जाने का रास्ता खुला है'
CJI ने कहा कि पिछले वक्फ से जुड़े मुद्दे हैं। मेहता ने कहा कि सिब्बल कहते हैं, यह केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से हड़प लिया गया है, कृपया 1995 के अधिनियम में धारा 9 को देखें। 2013 के संशोधन के बाद भी हमेशा केंद्र सरकार ही नामांकन करती रही है। एसजी ने कहा कि यहां मसला यह है कि सदस्य नॉन-मुसलिम क्यों है। सीजेआई ने पूछा, "क्या सभी वक्फ बाय यूजर खत्म हो गए हैं?" एसजी ने जवाब दिया, "यह दावा सही नहीं है।" एसजी ने कहा, "अगर कोई हिंदू ट्रस्ट बनाता है तो उसके सदस्यों के हिंदू होने की शर्त रख सकता है। वक्फ बोर्ड की स्थिति अलग है। वह वक्फ संपत्तियों के मैनेजमेंट के लिए होती है।" जस्टिस विश्वनाथन ने कहा, "यह दलील गलत है। हिंदू ट्रस्ट में सिर्फ हिंदू होते हैं, और यहां दूसरे लोग भी हैं।" एसजी ने कहा, "जो वक्फ बाय यूजर संपत्तियां पंजीकृत हैं, उनकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा।" सीजेआई ने पूछा, "अनरजिस्टर्ड संपत्ति वक्फ क्यों नहीं रहेगी? इसे सिविल कोर्ट को तय करने दीजिए।" एसजी ने कहा, "1923 से ही रजिस्ट्रेशन को ज़रूरी रखा गया है। सिब्बल ने मुतवल्ली के जेल चले जाने जैसी अवास्तविक दलील दी।" सीजेआई ने कहा, "अंग्रेजों से पहले रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था नहीं थी। पुरानी इमारतों का रजिस्टर्ड वक्फ कैसे हो सकता है?" सीजेआई ने कहा, "जामा मस्जिद भी वक्फ बाय यूजर है।" एसजी ने कहा, "उन्हें इसे रजिस्टर्ड करवाने से कोई नहीं रोक सकता है।" एसजी ने कहा, "कलक्टर की तरफ से सरकारी जमीन की पहचान के खिलाफ दलील जेपीसी में भी रखी गई थी। कलक्टर राजस्व अधिकारी होता है। इसलिए कहा गया था कि उससे ऊंचे पद के अधिकारी को ज़मीन की स्थिति तय करने का जिम्मा दिया जाए।" एसजी ने कहा, "कलक्टर के आदेश के खिलाफ ट्रिब्यूनल जाने का रास्ता खुला है। उसका अध्यक्ष पूर्व डिस्ट्रिक्ट जज होगा। उसमें मुस्लिम विद्वान भी होंगे। ट्रिब्यूनल को सिविल कोर्ट का दर्जा दिया गया है।"
Apr 16, 20253:53 PM (IST)Posted by Vineet Kumar
'यह कानून द्वारा स्थापित किसी चीज को खत्म करने जैसा होगा'
CJI ने कहा, 'मुझे अब भी मेरा जवाब नहीं मिल पाया है।' इस पर SG मेहता ने कहा, 'अगर वह वक्फ पंजीकृत है, तो मैं उस पर हलफनामे के माध्यम से जवाब देने को तैयार हूं।' CJI ने आगे कहा, 'यह कानून द्वारा स्थापित किसी चीज को खत्म करने जैसा होगा। आप इसे कैसे पंजीकृत करेंगे? उप-धारा 2 पर गौर करें। जहां तक ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ का सवाल है, इसे पंजीकृत करना मुश्किल है। आपकी यह बात सही है कि इसका दुरुपयोग किया जाता है, लेकिन आप यह नहीं कह सकते कि ‘उपयोगकर्ता द्वारा’ कोई भी वक्फ वास्तविक नहीं हो सकता। अगर आप इस तरह की संपत्तियों को वक्फ के रूप में चिह्नित करते हैं, तो यह गंभीर समस्या उत्पन्न करेगा। उप-धारा 2 का प्रावधान तो पूरी तरह इसके विपरीत है।' CJI ने आगे टिप्पणी की, 'कोई विधायिका (legislature) अदालत के किसी निर्णय या डिक्री को अमान्य घोषित नहीं कर सकती। आप कानून का आधार भले ही हटा सकते हैं, लेकिन किसी न्यायिक निर्णय को अप्रभावी नहीं ठहरा सकते। वह बाध्यकारी रहेगा।' इस पर मेहता ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि ये शब्द क्यों आए हैं। कृपया उस हिस्से को अनदेखा करें। मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो खुद को मुस्लिम वक्फ बोर्ड के अधीन नहीं मानना चाहता। अगर कोई मुसलमान दान करना चाहता है, तो वह ट्रस्ट के माध्यम से भी ऐसा कर सकता है।' इसके बाद एसजी और कपिल सिब्बल के बीच थोड़ी बहस शुरू हो गई, जिसे सीजेआई ने रोक दिया।
Apr 16, 20253:48 PM (IST)Posted by Vineet Kumar
'अब यह प्रक्रिया अधिक विस्तृत और न्यायसम्मत हो गई है'
SG तुषार मेहता ने कहा कि सरकारी ज़मीन से संबंधित मामलों में राजस्व के दृष्टिकोण से adjudication होनी चाहिए। उन्होंने कहा किJPC के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया था कि चूंकि कलेक्टर एक राजस्व अधिकारी होता है, इसलिए उसके ऊपर एक उच्च अधिकारी द्वारा इस प्रक्रिया की निगरानी की जानी चाहिए। इस पर CJI ने टिप्पणी की, 'प्रावधान को पढ़िए, जैसे ही कलेक्टर जांच करने की बात कहता है, क्या यह उचित है? क्या यह प्रक्रिया न्यायोचित है?' मेहता ने जवाब दिया, 'वक्फ के रूप में संपत्ति की स्थिति अभी निलंबित हो सकती है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि उस पर उपयोग रुक जाएगा। यह पूरी तरह से राजस्व प्रक्रिया है। और यदि कोई व्यक्ति यह मानता है कि उसका प्रतिकूल कब्ज़ा है, तो वह उचित उपायों की मांग कर सकता है।' CJI ने इस पर सवाल उठाया, 'लेकिन सिविल मुकदमे पर तो रोक है।' मेहता ने कहा, 'धारा 81 को देखा जाए, वक्फ ट्रिब्यूनल एक न्यायिक निकाय है, जिसमें एक न्यायाधीश और मुस्लिम कानून की जानकारी रखने वाला एक व्यक्ति शामिल होता है। इसमें न्यायिक समीक्षा को समाप्त नहीं किया गया है।' इसके बाद जस्टिस विश्वनाथन ने कहा, 'एसजी साहब, कृपया उपधारा 9 पढ़ें, इसमें यह भी प्रावधान है कि हाईकोर्ट में अपील की जा सकती है।' इस पर मेहता ने जवाब दिया, 'मैं इस बात के लिए आभारी हूं। पहले ट्रिब्यूनल का निर्णय अंतिम माना जाता था, लेकिन अब यह प्रक्रिया अधिक विस्तृत और न्यायसम्मत हो गई है।'
Apr 16, 20253:44 PM (IST)Posted by Vineet Kumar
सरकारी संपत्ति को लेकर SG ने कही ये बात
CJI ने कहा कि अधिकांश मामलों में जैसे कि जामा मस्जिद, उसे 'उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ' के रूप में माना जाएगा। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रतिक्रिया दी, 'उन्हें पंजीकरण कराने से किसने रोका?' जस्टिस विश्वनाथन ने इस पर कहा, 'सीजेआई जो कह रहे हैं, उसका तात्पर्य यह है कि यदि धारा 3(सी) लागू होती है, और सरकार यह दावा करती है कि वह संपत्ति उसकी है, तो क्या होगा? भूमि अतिक्रमण अधिनियम के तहत कानून कहता है कि इस प्रकार के वास्तविक विवादों पर अदालत विचार करेगी।' इस पर SG ने कहा, 'माय लॉर्ड्स, कृपया मुझे अपना उत्तर पूरा करने दें। ऐसे कई फैसले हैं जो यह कहते हैं कि सरकार ट्रस्टी के रूप में ऐसी संपत्तियों को विनियमित कर सकती है। यदि यह प्रश्न उठता है कि क्या कोई संपत्ति सरकारी है, तो कलेक्टर इसका निर्धारण करेगा। यह प्रावधान इसलिए लाया गया ताकि कोई इस पर विवाद न कर सके, क्योंकि सरकारी संपत्ति, सरकारी संपत्ति के अलावा कुछ और नहीं हो सकती।' इस पर CJI ने टिप्पणी की, 'ऐसे में तो फिर आप पहले से की गई किसी भी घोषणा को रद्द करें जिसमें यह कहा गया हो कि संपत्ति वक्फ संपत्ति है।'
Apr 16, 20253:40 PM (IST)Posted by Vineet Kumar
'13वीं, 14वीं और 15वीं शताब्दी में कई मस्जिदें बनाई गई थीं'
SG तुषार मेहता ने कहा, '1923 से ही वक्फ का पंजीकरण वैधानिक रूप से अनिवार्य है। यहां तक कि 'उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ' को भी बिना पंजीकरण के मान्यता नहीं दी जा सकती। 1995 के अधिनियम में भी इस प्रावधान का पालन किया गया, जहां वक्फ पंजीकरण अनिवार्य है।' इस पर कपिल सिब्बल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर पंजीकरण नहीं कराया गया तो मुतवल्ली को जेल जाना पड़ता है, और वह 1995 से ही जेल जा रहा है। इस बीच, CJI ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, 'एक बात स्पष्ट कर दूं ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ को 1925 से पहले स्वीकार किया जाता था। अब क्या इसे शून्य घोषित कर दिया गया है, या इसे अस्तित्वहीन माना जा रहा है? कृपया अपने बयान में सावधानी बरतें। अगर कोई वक्फ पहले से स्थापित है, तो क्या अब उसे शून्य घोषित कर दिया जाएगा, या वह वैध बना रहेगा?' इस पर मेहता ने कहा, 'यदि वह पंजीकृत है, तो वह वक्फ संपत्ति के रूप में बना रहेगा।' CJI ने आगे पूछा, 'आपने कहा कि यह 'विवाद' है। इस शब्द से आपका क्या तात्पर्य है, क्या केवल न्यायालय के समक्ष लंबित विवाद? और यह भी समझना होगा कि ब्रिटिश शासन से पहले हमारे पास कोई पंजीकरण अधिनियम नहीं था। 13वीं, 14वीं और 15वीं शताब्दी में कई मस्जिदें बनाई गई थीं। क्या आप उनसे अब बिक्री विलेख या पंजीकरण दस्तावेज प्रस्तुत करने की अपेक्षा करते हैं? यह तो असंभव है।'
Apr 16, 20253:36 PM (IST)Posted by Vineet Kumar
'ट्रस्ट का उदाहरण न दिया जाए, क्योंकि...'
CJI ने कहा कि हम इस समय केवल ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ के विषय पर हैं। इस दौरान जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि ट्रस्ट का उदाहरण न दिया जाए, क्योंकि सबसे अधिक संभावना है कि वह हिंदू बंदोबस्ती का ही होगा, और आमतौर पर उसका प्रशासन हिंदू समुदाय ही करता है। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उत्तर दिया कि वे किसी भी तरीके से शासित हो सकते हैं, लेकिन अंततः वे वैधानिक ढांचे द्वारा ही नियंत्रित होते हैं। CJI ने SG से कहा कि वे कोई उदाहरण प्रस्तुत करें। इस पर मेहता ने कहा, 'ठीक है, इस पर नहीं जाते हैं।' इसके बाद सीजेआई ने टिप्पणी की, 'मेहता जी, जब हम हिंदुओं की बंदोबस्ती की बात करते हैं, तो यह स्पष्ट होना चाहिए कि यह आमतौर पर हिंदुओं की ही बंदोबस्ती होती है।' इसके बाद मेहता ने कहा, 'अब हम मेरे संकलन पर आते हैं। 2025 अधिनियम से पहले जो वक्फ पंजीकृत हैं, वे वक्फ संपत्ति के रूप में बने रहेंगे। लेकिन यदि कोई यह कहता है कि वे पंजीकृत नहीं हैं, तो केवल वे संपत्तियां जो विवादों में हैं, उन्हें छोड़कर बाकी सब वक्फ संपत्ति मानी जाएंगी।' इस पर CJI ने टिप्पणी की, 'यह वक्फ संपत्ति क्यों नहीं रहेगी? इसे सिविल कोर्ट को तय करने दिया जाना चाहिए।'
Apr 16, 20253:32 PM (IST)Posted by Vineet Kumar
'धार्मिक व्यवस्था पर नहीं, बल्कि कानून पर बात कर रहे हैं'
एसजी तुषार मेहता ने कहा, 'पहले परिभाषा खंड पर एक नज़र डालें‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ सबसे विवादास्पद है। मैं इसे स्पष्ट कर दूं।' इस पर मुख्य न्यायाधीश ने पूछा, 'क्या आप कह रहे हैं कि यदि ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’, निर्णय द्वारा या अन्यथा स्थापित किया जाता है, तो आज उसकी कोई वैधता नहीं है?' इस पर एसजी ने जवाब दिया कि जो प्रस्तुत किया गया है, वह सही वैधानिक योजना नहीं है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, 'मैं हिंदू हूं, मैं एक ट्रस्ट बनाता हूं, और कहता हूं कि सभी ट्रस्टी हिंदू होंगे। प्रशासन चैरिटी कमिश्नर के पास होगा। वहीं इस्लामी कानून में, संपत्ति को धर्मार्थ उद्देश्य के लिए अल्लाह को समर्पित किया जाता है। एक वक्फ होना चाहिए जो ट्रस्ट का निपटान करता है, और वह कहेगा कि इसका संचालन मुतवल्ली द्वारा किया जाएगा।' उन्होंने स्पष्ट किया कि वह यहां धार्मिक व्यवस्था पर नहीं, बल्कि कानून पर बात कर रहे हैं।
Apr 16, 20253:29 PM (IST)Posted by Vineet Kumar
'कानून को बनाने के लिए JPC का गठन हुआ था'
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, 'अदालत इस समय उस कानून पर सुनवाई कर रही है, जिसे व्यापक चर्चा और विचार-विमर्श के बाद लाया गया है। अब मैं वह सच्चाई सामने रख रहा हूं, जिसे याचिकाकर्ता नजरअंदाज कर रहे हैं। इस कानून को बनाने के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया गया था। इस समिति ने 38 बैठकें कीं, देश के प्रमुख शहरों का दौरा किया, विभिन्न पक्षों से परामर्श किया और प्राप्त हुए 29 लाख सुझावों पर गंभीरता से विचार किया।'
Apr 16, 20253:26 PM (IST)Posted by Vineet Kumar
एडवोकेट हुजेफा अहमदी ने दी ये दलील
एडवोकेट हुजेफा अहमदी ने कहा, 'सबसे पहले हमें 'तीन आर' (3R) के तीन पहलुओं पर ध्यान देना होगा। पहला बिंदु यह है कि परिभाषा को बदला जा रहा है। दूसरा बिंदु यह है कि अगर इस्लाम का पालन करना एक आवश्यक धार्मिक अभ्यास माना जाता है, तो इसका परिणाम यह होगा कि व्यक्ति के मौलिक अधिकारों को 5 वर्षों के लिए निलंबित कर दिया जाएगा। क्या कोई मुझे बताएगा कि श्री अहमदी, जो स्वयं मुस्लिम हैं, क्या वे दिन में 5 बार नमाज़ नहीं पढ़ते? इसका मतलब है कि इस मामले में अस्पष्टता का तत्व मौजूद है।' (अतुल भाटिया)
Apr 16, 20253:24 PM (IST)Posted by Vineet Kumar
'मूल रूप से अनुच्छेद 31 को हटा दिया गया था'
सीनियर एडवोकेट राजीव शकधर ने कहा कि मूल रूप से अनुच्छेद 31 को हटा दिया गया था। वे संपत्ति के साथ कब छेड़छाड़ कर सकते हैं? नैतिकता, स्वास्थ्य आदि के अधीन, किसी को मुस्लिम के रूप में प्रमाणित करने के लिए उन्हें 5 साल की परिवीक्षा अवधि की आवश्यकता होती है।
Apr 16, 20253:02 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने दिया ये दलील
वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने अब तर्क देना शुरू किया। हेगड़े ने कहा कि आप पंजाब से हैं, आपको पता होगा कि अमृतसर गैर-सिख नियंत्रण में था और इसके लिए पूरे अकाली दल आंदोलन की आवश्यकता थी। अन्य वकीलों ने भी कानून पर रोक लगाने की मांग की.. सीजेआई ने कहा कि बस हो गया। अब हमें मौका दीजिए।
Apr 16, 20252:59 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
वकील सीयू सिंह ने दी ये दलील
वकील सीयू सिंह ने कहा कि अनुच्छेद 26 देखें, मैं आवश्यक धार्मिक तर्क से भटक रहा हूं, यह यहां महत्वपूर्ण नहीं है। कृपया धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के बीच अंतर देखें, इसमें धार्मिक आवश्यक अभ्यास के प्रश्न का उत्तर देने की आवश्यकता नहीं है। सीजेआई ने कहा कि आप लोग कानून के पहलू पर ही बात करें।
Apr 16, 20252:59 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
सिंघवी ने कानून पर रोक लगाए जाने की मांग की
सिंघवी ने कहा कि 3( 3)(डीए) कलेक्टर को व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है। लोगों को अधिकारी के पास जाने के लिए बनाया गया है। सिंघवी ने कानून पर रोक लगाए जाने की मांग की। सिंघवी ने कहा कि अनुच्छेद 25 और 26 को पढ़ने से ज्यादा अनुच्छेद 32 क्या है, यह ऐसा मामला नहीं है जहां मायलॉर्ड्स को हमें HC भेजना चाहिए।
Apr 16, 20252:57 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
अभिषेक मनु सिंघवी दे रहे हैं दलील
अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि 8 लाख में से 4 वक्फ हैं, जो उपयोगकर्ता के द्वारा हैं। सीजेआई ने कहा कि क्षमा करें, हम बीच में नहीं बोलना चाहते, हमें बताया गया है कि दिल्ली हाई कोर्ट वक्फ की जमीन पर बना है। हम यह नहीं कह रहे हैं कि वक्फ की सभी जमीनें गलत हैं, लेकिन इसमें वास्तविक चिंता है।
सिंघवी ने कहा कि अयोध्या के 118वें फैसले में कहा गया है कि यह बहुत पुरानी अवधारणा है। क्या आपने आधार हटा दिया है? 2(आर)(आई) हटा दिया गया है, लेकिन क्या आप फैसले का आधार हटा सकते हैं? व्यावहारिक रूप से देखें। अगर मैं देखूं कि संसद वक्फ है, तो आपका आधिपत्य स्वीकार नहीं करेगा, लेकिन अवधारणा खराब नहीं है।
Apr 16, 20252:52 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
अधिवक्ता राजीव धवन दे रहे हैं दलील
वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि यह कानून इस्लाम धर्म की अंदरूनी व्यवस्था के खिलाफ है। धवन ने कहा कि संवैधानिक हमले का आधार यह है कि वक्फ इस्लाम के लिए आवश्यक और अभिन्न अंग है। धर्म, विशेष रूप से दान, इस्लाम का आवश्यक और अभिन्न अंग है। अन्य पहलुओं में मैं सिब्बल के तर्क का समर्थन करता हूं। पहले सीईओ मुस्लिम होना चाहिए था, अब ऐसा नहीं है।
Apr 16, 20252:51 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
सीजेआई ने कहा लिमिटेशन एक्ट के अपने फायदे हैं
सिब्बल ने कहा कि पहले कोई लिमिटेशन नहीं थी। इनमें से कई वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण किया गया था। सीजेआई ने कहा कि लिमिटेशन एक्ट के अपने फायदे हैं। सिब्बल ने कहा कि मैं अलग बात पर हूं, इसमें कहा गया है कि मुझे इसे 2 साल के भीतर करना होगा और कई पंजीकृत नहीं हैं, मैं दावा कैसे करूंगा। सिब्बल ने कहा कि कानून की धारा 61 देखिए।
Apr 16, 20252:48 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
जमीयत उलेमा ए हिन्द के वकील दे रहे हैं दलील
मौलाना अरशद मदनी की जमीयत उलेमा ए हिन्द के वकील के तौर पर कपिल सिब्बल ने दलील देते हुए कहा कि कलेक्टर का प्रोसेस न्यायिक प्रक्रिया नहीं है। सिब्बल ने धारा 7(ए) का हवाला देते हुए कहा कि इसमें 20 साल लगेंगे। इस पर सीजेआई ने कहा लेकिन यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी। क्या कलेक्टर का फैसला न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आता है? सिब्बल ने कहा कि कानून की धारा ऐसा नहीं कहती।
मेहता ने कहा कि इसमें स्पष्ट रूप से ऐसा कहा गया है। विश्वनाथन ने कहा कि मत उलझाओ, संपत्तियां धर्मनिरपेक्ष हो सकती हैं। केवल संपत्ति का प्रशासन ही इसके लिए उत्तरदायी हो सकता है, बार-बार अनिवार्य धार्मिक प्रथा न कहें। सिब्बल ने कहा कि कृपया धारा 9 देखें। कुल सदस्य संख्या 22 है, 10 मुस्लिम होंगे। सीजेआई ने कहा कि दूसरा प्रावधान देखें। क्या इसका मतलब यह है कि पूर्व अधिकारी को छोड़कर केवल दो सदस्य ही मुस्लिम होंगे?
Apr 16, 20252:42 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
20 करोड़ लोगों के अधिकारों को हड़पा जा सकता हैः सिब्बल
महमूद मदनी के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सेंट्रल वक्फ काउंसिल, 1995 के तहत, सभी नामांकित व्यक्ति मुस्लिम थे। मेरे पास चार्ट है, सभी हिंदू या सिख बंदोबस्त, नामांकित व्यक्ति हिंदू या सिख हैं- यह सीधा उल्लंघन है। यह 200 मिलियन को संसदीय तरीके से हड़पना है।
सिब्बल- हिन्दू और सिख ट्रस्टों में सिर्फ उन्हीं धर्मों के लोग होते हैं। यहां गैर मुस्लिम भी हो सकते हैं। 20 करोड़ लोगों के अधिकारों को हड़पा जा सकता है।
CJI- आप बार-बार अनिवार्य धार्मिक बातों का हवाला दे रहे हैं। यह ठीक नहीं लगता। बात संपत्ति की है। उसका चरित्र धार्मिक या सेक्युलर हो सकता है। सिब्बल क़ानून के प्रावधान को पढ़ रहे हैं।
Apr 16, 20252:39 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कही ये बातें
सीजेआई ने कहा कि ऐसे कितने मामले होंगे? मेरी समझ से, व्याख्या आपके पक्ष में है। अगर इसे प्राचीन स्मारक घोषित किए जाने से पहले वक्फ घोषित किया गया है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यह वक्फ ही रहेगा, आपको तब तक आपत्ति नहीं करनी चाहिए जब तक कि इसे संरक्षित घोषित किए जाने के बाद वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता।
Apr 16, 20252:38 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
सिब्बल ने दिल्ली की जामा मस्जिद का जिक्र किया
कपिल सिब्बल ने जामा मस्जिद का उदाहरण देने की कोशिश की। CJI ने उन्हें रोकते हुए कहा कि जामा मस्जिद पहले से धार्मिक गतिविधि हो रही है। उस पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। यही स्थिति दूसरी इमारतों की भी है।
सिब्बल- आदिवासी ज़मीन को भी वक्फ घोषित होने से रोका गया है। मुस्लिम में भी ट्राइबल हैं।
CJI- पूरे देश में आदिवासी ज़मीन को संरक्षित करने वाले कानून बने हैं।
सीजेआई ने कहा कि वक्फ के बाद ASI के तहत कई ऐतिहासिक इमारतें दी गई हैं जो Ancient mournamrnt act के तहत हैं।
सिब्बल ने कहा कि आपने एक ऐसे अधिकारी की पहचान की है जो सरकार का अधिकारी है। यह अपने आप में असंवैधानिक है। तीसरी चुनौती।
चौथी- संरक्षित स्मारक या वक्फ की घोषणा शून्य है।
Apr 16, 20252:33 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
सुप्रीम कोर्ट में सिब्बल ने दी ये दलीलें
सिब्बल ने कहा कि इस्लाम में उत्तराधिकार मृत्यु के बाद मिलता है, वे उससे पहले ही हस्तक्षेप कर रहे हैं। इसके बाद धारा 3(सी) के तहत वक्फ के रूप में पहचानी गई या घोषित की गई सरकारी संपत्ति को अधिनियम के लागू होने के बाद वक्फ नहीं माना जाएगा। सिब्बल ने कहा कि सरकार और वक्फ के बीच विवाद में सरकारी अधिकारी निर्णय लेगा। यह सही नहीं है। सिब्बल ने कहा कि कानून की धारा 3(सी)(2)- वे घोषणा कर सकते हैं कि यह उनकी संपत्ति है। इस प्रक्रिया में कोई समय सीमा नहीं है।
Apr 16, 20252:33 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कही ये बात
सिब्बल ने कहा कि धारा 3(ए)(2)- वक्फ-अल-औलाद के गठन से महिलाओं को विरासत से वंचित नहीं किया जा सकता। इस बारे में कहने वाला राज्य कौन होता है? सीजेआई ने कहा कि हिंदू में भी सरकार ने कानून बनाया है। संसद ने मुसलमानों के लिए भी कानून बनाया है। सीजेआई ने कहा कि अनुच्छेद 26 धर्मनिरपेक्ष है, सभी समुदायों पर लागू होता है।
Apr 16, 20252:27 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने दी ये दलील
सिब्बल ने कहा कि वक्फ के मामले में पर्सनल लॉ लागू होता है और मैं ऐसे में किसी अन्य का अनुसरण क्यों करूंगा। सिब्बल ने कहा कि 2025 अधिनियम की धारा 3 (आर) का संदर्भ देते हुए- वक्फ की परिभाषा देखिए- सिब्बल ने पढ़ा। यदि मैं वक्फ स्थापित करना चाहता हूं, तो मुझे यह दिखाना होगा कि मैं 5 वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा हूं। यदि मैं मुस्लिम पैदा हुआ हूं, तो मैं ऐसा क्यों करूंगा? मेरा व्यक्तिगत कानून लागू होगा।
Apr 16, 20252:22 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल दे रहे हैं दलील
एक याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर वकील कपिल सिब्बल दलील दे रहे हैं। कोर्ट से उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद मूवेबल और इमूवेबल संपत्ति जो धर्म संबंधी है। उनको संरक्षित करता है। सिब्बल ने कहा कि मैं मोटे तौर पर बता दूं कि चुनौती किस बारे में है। संसदीय कानून के माध्यम से जो करने की कोशिश की जा रही है, वह एक धर्म के आवश्यक और अभिन्न अंग में हस्तक्षेप करना है। मैं अनुच्छेद 26 का उल्लेख करता हूं और अधिनियम के कई प्रावधान अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करते हैं।
Apr 16, 20252:20 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कही ये बातें
सीजेआई ने कहा कि हम सभी को नहीं सुन सकते। इसलिए तय कर देंगे कि कौन बहस करेगा। हम एक-एक कर नाम लेंगे। कोई भी दलील दोहराएगा नहीं। तमाम रिट याचिकाएं हैं और सभी ब्रीफ नोट तैयार करेंगे। दूसरा किन आधारों पर तर्क रखेंगे। वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि मैं वरिष्ठ हूं, मुझे मौका दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी डेकोरम बनाएं रखें। सीजेआई ने कहा दो सवाल हैं- क्या मामला हाईकोर्ट भेजें... आपके तर्कों के आधार क्या हैं।
Apr 16, 20252:18 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
वक्फ संशोधित कानून सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू
वक्फ संशोधित कानून-2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की तीन जजों की बेंच सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता असद्दुदीन ओवैसी, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद समेत अन्य सीजेआई मौजूद हैं।
Apr 16, 20252:13 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
इल्तिजा मुफ्ती ने वक्फ बिल को लेकर NC पर साधा निशाना
PDP नेता इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस वाले सबसे बड़ा प्रोपेगेंडा कर रहे है। आज फारुख अब्दुल्ला के बेटे मुख्यमंत्री हैं। कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु ने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रस्ताव लाने का फैसला किया। हमारे मुख्यमंत्री क्या कर रहे थे? इनकी भाजपा के साथ एक समझ है कि हम वक्फ के खिलाफ प्रस्ताव नहीं लाएंगे।"
Apr 16, 20252:10 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
मौलाना सैयद कल्बे जवाद ने वफ्क कानून का किया विरोध
वक्फ संशोधन अधिनियम, 2024 पर शिया धर्मगुरु मौलाना सैयद कल्बे जवाद ने कहा, "हमारी सारी उम्मीदें सुप्रीम कोर्ट से हैं। सरकार सभी राज्यों में वक्त संशोधन अधिनियम लागू करने के लिए मजबूर है। यह एक काला कानून है जो सभी वक्फ संपत्तियों को नष्ट कर देगा। पहली बार ऐसा हो रहा है कि राज्य सरकारें वक्फ बिल के पक्ष में हैं। 6 राज्यों की सरकारें वक्फ बिल के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट गई हैं। इससे पता चलता है कि कितनी बड़ी साजिश चल रही है..."
Apr 16, 20252:02 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे असदुद्दीन ओवैसी
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ बिल पर दो बजे के बाद सुनवाई शुरू होगी। सुप्रीम कोर्ट में असदुद्दीन ओवैसी भी मौजूद हैं।
Apr 16, 20251:03 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
याचिकाकर्ता के वकील ने कानून पर रोक लगाने की मांग की
वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ याचिका दायर करने वाले एक याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता प्रदीप यादव ने कहा, "याचिकाओं को दोपहर 2 बजे के लिए अधिसूचित किया गया है। मामले की सुनवाई दोपहर 2 बजे मुख्य न्यायाधीश की अदालत में होगी। मैं दो लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं, हमारे पास दो रिट याचिकाकर्ता हैं, एक तैय्यब अहमद सुलेमानी और दूसरे अंजुम कादरी। दोनों रिट याचिकाओं पर हमारा तर्क यह है कि इसे स्वीकार किया जाना चाहिए जिसके बाद हमने अंतरिम रोक की मांग की है।
Apr 16, 202512:59 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
वफ्क बिल कानून के खिलाफ नहींः केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने मंगलवार को कहा कि सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत में किसी के लिए किसी अन्य व्यक्ति की भूमि पर "जबरन और एकतरफा" कब्जा करने का कोई प्रावधान न हो। वहीं, वक्फ अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह कानून "मुसलमानों और मुस्लिम समुदाय के मौलिक अधिकारों का खुलेआम उल्लंघन करता है"।
Apr 16, 202512:59 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
ममता बनर्जी ने कहा बिल कानून के खिलाफ
कोलकाता में इमामों के साथ बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम "देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है"।
Apr 16, 202512:55 PM (IST)Posted by Mangala Yadav
दोपहर एक बजे से शुरू होगी सुनवाई
वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में दोपहर एक बजे से सुनवाई शुरू होगी। वक्फ संशोधन कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर चीफ जस्टिस की बेंच सुनवाई करेगी। 70 से ज्यादा याचिकाएं कोर्ट में लगाई गई हैं।
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