Friday, March 29, 2024
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देशभर में एक साथ चुनाव बिना संविधान संशोधन के संभव नहीं: मुख्य चुनाव आयुक्त

मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने बताया कि कमीशन साथ चुनाव कराने के लिए अचानक से अतिरिक्त मशीनों का ऑर्डर नहीं दे सकता है, इसके लिए लीगल फ्रेमवर्क की जरूरत होगी।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: August 14, 2018 16:02 IST
देशभर में एक साथ चुनाव बिना संशोधन के संभव नहीं: मुख्य चुनाव आयुक्त- India TV Hindi
Image Source : FILE देशभर में एक साथ चुनाव बिना संशोधन के संभव नहीं: मुख्य चुनाव आयुक्त

नई दिल्ली: देशभर में एक साथ चुनाव कराने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत की टिप्पणी भी सामने आ गई है। ओपी रावत ने कहा है कि वर्तमान परिदृश्य में पूरे देश में एक साथ चुनाव संभव नहीं है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि अगर चरणबद्ध तरीके से कराया जाए तो कई राज्यों के चुनाव आम चुनावों के साथ संभव हैं। चुनाव आयुक्त ने कहा कि देश में पहले चार चुनाव एक साथ ही थे। अगर कानून में संशोधन हो, मशीनें पर्याप्त हों और सुरक्षाकर्मी जरूरत के हिसाब से हों, तो ऐसा संभव है।

इससे पहले खबर आई थी कि लोकसभा का चुनाव अगले वर्ष के शुरू में 10-11 विधानसभाओं के साथ कराने को लेकर प्रयास किये जा सकते हैं जिसके लिए भाजपा शासित तीन राज्यों का चुनाव विलंबित किया जा सकता है और 2019 में बाद में होने वाले कुछ राज्यों के चुनाव पहले कराये जा सकते हैं। भाजपा सूत्रों ने यद्यपि कहा कि राज्यों का चुनाव विलंबित करने या पहले कराने को लेकर कोई ठोस प्रस्ताव नहीं है और इस विचार पर पार्टी के भीतर औपचारिक रूप से चर्चा नहीं की गई है क्योंकि ऐसे कदमों की संवैधानिक वैधता को ध्यान में रखना होगा।

ऐसे में जब मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ विधानसभाओं का कार्यकाल अगले वर्ष जनवरी में समाप्त हो रहा है, पार्टी के नेता ने संकेत दिया कि भाजपा शासित इन राज्यों के लिए कुछ समय के लिए राज्यपाल शासन की संभावना तलाशी जा सकती है ताकि वहां विधानसभा चुनाव अगले वर्ष के शुरू में लोकसभा चुनाव के साथ हों। उन्होंने यद्यपि स्पष्ट किया कि अभी कोई ठोस प्रस्ताव तैयार नहीं किया गया है।

वहीं मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने बताया कि कमीशन साथ चुनाव कराने के लिए अचानक से अतिरिक्त मशीनों का ऑर्डर नहीं दे सकता है, इसके लिए लीगल फ्रेमवर्क की जरूरत होगी। दूसरे शब्दों में कहें तो कानूनी तौर पर एक साथ चुनाव को मान्यता मिलने तक चुनाव आयोग कोई अतिरिक्त मशीन का ऑर्डर नहीं दे सकता है। चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, यदि लोकसभा और कई राज्यों में चुनाव एकसाथ होते हैं तो 34 लाख बैलट यूनिट, 26 लाख कंट्रोल यूनिट और 27 लाख वीवीपैट मशीनों की जरूरत होगी।

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