नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को वैश्विक खतरा करार देते हुए कहा है कि इसके खिलाफ लड़ाई में नई दिल्ली तथा तेल अवीव 'अधिक घनिष्ठतापूर्वक सहयोग' कर सकते हैं। मोदी मंगलवार को इजरायल दौरे पर रवाना होंगे। मोदी ने इजरायली समाचार पत्र 'इजरायल हायोम' से एक साक्षात्कार में कहा कि उनके तीन दिवसीय इजरायल दौरे का अपना महत्व है और यह द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करेगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या इजरायल तथा भारत आतंकवाद के एक जैसे खतरे का सामना कर रहे हैं? मोदी ने कहा, ‘आतंकवाद एक वैश्विक खतरा है। इससे न तो भारत और न ही इजरायल सुरक्षित है। हमारे बीच पूर्णतया समझौता है कि जो तत्व निर्दोष लोगों के खिलाफ हिंसा की साजिश रचते हैं, उन्हें फलने-फूलने की मंजूरी नहीं देनी चाहिए। सीमा पार आतंकवाद हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है। सीमा पार विभाजनकारी ताकतें हमारे देश की एकता को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रही हैं। समस्या पैदा करने वाले ऐसे तत्व हमारे देश तथा क्षेत्रों में युवाओं को गुमराह करने के लिए मजहब को एक औजार की तरह इस्तेमाल करते हैं।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आतंकवाद को किसी खास मजहब से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। भारत तथा इजरायल आतंकवाद की बुराई से लड़ने के लिए पहले से अधिक सहयोग कर सकते हैं और एक-दूसरे के प्रयास का पूरक बन सकते हैं।’ यह पूछे जाने पर कि क्या उनका दौरा भारत-इजरायल संबंधों को और घनिष्ठ करने के लिए है? उन्होंने कहा, ‘मेरे दौरे का अपना महत्व है..मैं आश्वस्त हूं कि यह दौरा विभिन्न क्षेत्रों में हमारे संबंधों को और मजबूत करेगा और सहयोग की नई प्राथमिकताएं तय करेगा।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि फिलिस्तीन मुद्दे का समाधान दो राष्ट्र है, ताकि इजरायल और भविष्य का फिलिस्तीन दोनों एक-साथ शांतिपूर्वक रह सकें।
मोदी ने साल 2006 में गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए अपने इजरायल दौरे का स्मरण किया। उन्होंने कहा, ‘एक दशक बाद फिर लौटने पर मैं खुश हूं और इस दौरान इजरायल द्वारा किए गए विकास को देखने को इच्छुक हूं।’ उन्होंने कहा कि भारत-इजरायल के संबंध हमेशा से मजबूत रहे हैं और पिछले कई वर्षो के दौरान उनमें लगातार विस्तार और विविधता आई है। यह पूछे जाने पर कि इजरायल दौरा करने के उनके फैसले का आशय संयुक्त राष्ट्र में इजरायल समर्थक रुख अख्तियार करना तो नहीं? उन्होंने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र में हमारा रुख खास मुद्दों के गुण-दोषों पर आधारित है और यह हमारे मूल मूल्यों तथा सिद्धांतों से प्रेरित होता है..भारत संयुक्त राष्ट्र में किसी अकेले देश का पक्षधर नहीं है।’
उन्होंने कहा कि उनके मन में इजरायल के साथ सिर्फ पारंपरिक आयात-निर्यात संबंध नहीं है। मोदी ने कहा, ‘यह विक्रेता-खरीदार के संबंधों से बढ़कर है। हम मेक इन इंडिया पर जोर देते हुए प्रौद्योगिकी आधारित भागीदारी के इच्छुक हैं।’